कन्या पूजन में कितनी कन्याओं को बुलाना चाहिए ?
कन्या पूजन में 9 कन्याओं को बुलाना शुभ माना जाता है. इन नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है. हालांकि, अगर एक साथ नौ कन्याएं न मिलें, तो जितनी कन्याएं हों, उनका पूजन करके बाकी कन्याओं के लिए भोग लगाया जा सकता है। कन्या पूजन में नौ कन्याओं के साथ एक या दो बालकों को भी बुलाना चाहिए. इन बालकों को भगवन गणपति और भगवान भैरव का प्रतीक माना जाता है।
अगर आपके आस-पड़ोस में कोई कन्या नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में आप आस-पड़ोस में कोई कन्या नहीं है तो आप मंदिर में जाकर कन्या पूजन का सामान पंडित जी को देकर कन्या पूजन पूरा कर सकते हैं।
कन्या पूजन की विधि
- पूजा की शुरुआत कन्याओं के स्वागत से होती है। उनका स्वागत किया जाता है और उन्हें आसन पर बिठाया जाता है।
- सर्वप्रथम कन्याओं के पैर धोये जाते है।
- इसके बाद उन्हें आसान पर बैठाया जाता है।
- उन्हें कलावा, पवित्र धागा और लाल कुमकुम लगाया जाता है।
- उन्हें पूड़ी, काले चने, नारियल और हलवा खिलाया जाता है।
- कन्याओं को चुनरी, चूड़ियां और नए कपड़े या फिर अपने सामर्थय के अनुसार कोई अन्य उपहार दिया जाता है। साथ ही फल और दक्षिणा भी दी जाती है।
- कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
कन्या पूजन का आयोजन नवरात्रि के समय क्यों किया जाता है?
कन्या पूजन का आयोजन प्रमुखतः नवरात्रि के समय किया जाता है, इसके कई कारण हैं।
- नवरात्रि का महत्व: नवरात्रि माता दुर्गा की पूजा का प्रमुख त्योहार है। कन्या पूजन भी माता दुर्गा के सम्मान में किया जाता है, इसलिए नवरात्रि के समय इसका आयोजन किया जाता है।
- पौराणिक कथाएं: पुराणों के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षस कालासुर को मारने के लिए एक युवा लड़की का अवतार लिया था। इसलिए नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन को विशेष महत्व दिया जाता है।
- कन्याओं का प्रतीकात्मक महत्व: नवरात्रि में कन्याएं देवी दुर्गा के विभिन्न अवतारों का प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए उनका पूजन किया जाता है।
- शुभ मुहूर्त: नवरात्रि के समय अष्टमी और नवमी तिथियों पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त माना जाता है। इन दिनों कन्या पूजन करना अधिक शुभ माना जाता है।
क्या कन्या पूजन के पीछे कोई पौराणिक कथा है।
- इंद्रदेव की कथा: पुराणों के अनुसार, इंद्रदेव ने माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कन्याओं का पूजन किया था। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव को सुझाव दिया था कि कन्याओं का पूजन करने से देवी प्रसन्न होंगी। इंद्रदेव ने इसी सलाह को मानकर कन्याओं का पूजन किया और माता दुर्गा प्रसन्न हुईं।
- माता दुर्गा का कन्या स्वरूप: पुराणों में बताया गया है कि माता दुर्गा ने एक युवा लड़की के रूप में अवतार लिया था ताकि वह राक्षस कालासुर को मार सकें। इसलिए कन्या पूजन को बेहद शुभ माना जाता है।
- पंडित श्रीधर की कथा: एक प्राचीन कथा के अनुसार, एक गरीब पंडित श्रीधर ने माता से प्रार्थना की कि वह उसे नवरात्र में पूरे गांव को भोजन कराने की शक्ति दें। माता ने कन्या के रूप में आकर उसकी यह इच्छा पूरी की।
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