विक्टर एम्ब्रोस एक अमेरिकी वैज्ञानिक हैं। जिन्होंने पहले ज्ञात माइक्रो आर.एन.ए की खोज की और पोस्ट ट्रांसक्रिप्शनल जीन विनियमन में इसकी भूमिका की खोज के लिए 2024 का मेडिसिन कैटेगरी में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुए हैं। इसके साथ ही यह पुरस्कार गैरी रूवकुन की भी घोषणा की गई है।
70 साल के विक्टर एम्ब्रोस एक जीव विज्ञानी हैं जो यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाच्यूट में प्रोफेसर है। जबकि 72 वर्षीय रुवकुन हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर हैं।विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन रॉबर्ट होर्विट्ज़ की प्रयोगशाला में पोस्टडॉक्टरल फेलो थे, जिन्हें 2002 में सिडनी ब्रेनर और जॉन सुलस्टन के साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
माइक्रोएनएएस क्या हैं? MicroRNAs (miRNAs)
माइक्रोएनएएस MicroRNAs (miRNAs) आरएनए अणु हैं जो जीन अभिव्यक्ति को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे महत्वपूर्ण बायोमार्कर और चिकित्सीय लक्ष्यों के रूप में उभरे हैं, विभिन्न सेलुलर प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकते हैं, जिसमें विकास, भेदभाव, प्रसार शामिल हैं।
खोज किस प्रकार होगी उपयोगी
दरअसल इस जो रिसर्च को देखा जाए तो बेशक हमारी बॉडी की जो सेल्स होती हैं उसके अंदर जींस होते हैं वे एक जैसे होते हैं बावजूद इसकी सेल्स अलग-अलग कार्यों को संपादित करने के लिए बनी होती है जैसे मसल सेल्स और नर्व सेल इसके पीछे का कारण जीन रेगुलेशन बताया गया है जीन रेगुलेशन केवल उन्हीं जीनों को एक्टिवेटेड करता है जिनकी आवश्यकता होती है इस प्रकार उनकी जो खोज है वो जीन रेगुलेशन और माइक्रो आरएनए को लेकर एक काफी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है नोबल एकेडमी ने कहा है कि उनकी जो रिसर्च है वो मानव सहित जीवों की उत्पत्ति विकास तथा उनकी वृद्धि को समझने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। उदाहरण के लिए, मांसपेशी कोशिकाएं, आंतों की कोशिकाएं और विभिन्न प्रकार की तंत्रिका कोशिकाएं अपना काम करती हैं
विशिष्ट कार्य. इसके अलावा, अनुकूलन के लिए जीन गतिविधि को लगातार ठीक किया जाना चाहिए।
यह हमारे शरीर और पर्यावरण में बदलती परिस्थितियों के अनुसार कार्य करता है। यदि जीन विनियमन गड़बड़ा जाता है, इससे कैंसर, मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। इस प्रकार जो मेडिसन फील्ड का प्रतिष्ठित नोबल पुरस्कार अमेरिकी साइंटिस्ट विक्टर एमब्रोस तथा गैरी रूवकुन को दिया जा रहा है।
क्या है नोबेल का इतिहास
अल्फ्रेड नोबल एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। सन 1867 में 25 नवंबर को इन्होंने डायनामाइट का पे पेटेंट कराया। अल्फ्रेड नोबल ने जो यह डायनामाइट का पेटेंट लिया 1867 में इसका मतलब यह है कि डायनामाइट किस तरह से बनाया जाता है। एक तरह से इस मामले में कानूनी अधिकार किसी व्यक्ति को मिल जाता है और यह जो इनके पास डायनामाइट जो इन्होंने बनाया यह नाइट्रोग्लिसरीन पर अध्ययन कर रहे थे और नाइट्रोग्लिसरीन पर अध्ययन करने के दौरान ही उसमें इन्होंने सिलिका को जब मिलाया तो यह डायनामाइट बना और डायनामाइट की सबसे खास बात यह थी कि इसे कंट्रोल किया जा सकता था इसको किस तरह से उपयोग करना है सुरक्षित तरीके से यह व्यवस्था इनके माध्यम से तय हो पाई और यही हुआ भी कि इसका उपयोग आगे चलकर युद्धों में हुआ बहुत सारे लोग मरे लाखों करोड़ों लोग इनकी वजह से मर चुके हैं दरअसल हुआ यह था कि 1888 में इनका भाई की मौत हो गई और मीडिया था उसको यह लगा अल्फ्रेड नोवल की ही मृत्यु हुई है तो जब अखबारों में खबरें छपी हेडलाइन छपी तो हेडलाइन में यह लिखा था कि मर्चेंट ऑफ डेथ यानी कि मौत के सौदागर की मौत हो गई है हालांकि अल्फ्रेड नोबल की मौत नहीं हुई थी जबकि उनके भाई की हुई थी इस वजह से जब अगले दिन खबर आई अखबार में और अवार को जब पढ़ा अल्फ्रेड नोबल ने तो देख के शॉक्ड रह गए कि दुनिया उन्हें मौत के सौदागर के रूप में जानती है इसी वजह से यह हेडलाइन थी बहुत सारे अखबारों में बहुत सारी बातें लिखी थी जैसे एक जगह लिखा था कि डॉक्टर अल्फ्रेड नोबल जो पहले से कहीं अधिक तेजी से लोगों को मारने के तरीके खोजकर अमीर बने कल उनकी मृत्यु हो गई यानी कि लोगों को मारने वाले तरीको को कोई खोज रहा था उससे वह मर गया कितना बुरा इंसान है कुल मिलाकर इस हेडलाइन का यही मतलब था और इस बात से उनको काफी बुरा लगा हालांकि वह जानते थे कि यह जो डायनामाइट बना है इससे लोग मर रहे हैं इस बात की उन्हें ग्लानि हुई और इस ग्लानि की वजह से उन्होंने कुछ अपने आप में ऐसे बदलाव किए जिसकी वजह से यह पुरस्कार हमें दिखाई देता है जो इतने सारे पेटेंट कमाए थे इतने आविष्कार किए थे उससे जो पैसा मिला था उन्हें उस पैसे का उन्होंने एक सही जगह पर उपयोग किया तो आती है वसीयत इनकी देखी गई और उस वसीयत में लिखा था कि यही वसीयत मेरी आखिरी अंतिम और मान्य वसीयत होगी इस वसीयत के हिसाब से उन्होंने अपनी संपत्ति का कुछ पार्ट तो अपने कुछ पहचानने वालों को दे दिया लेकिन एक बहुत बड़ा हिस्सा अवार्ड के लिए और वह अवार्ड क्या था नोबल अवार्ड। नोबल पुरस्कार कि यह किस किस क्षेत्र में दिया जाएगा इसी वसीयत में मरने के पहले एक साल पहले इन्होंने लिख दिया था कि साहित्य पहला फिर चिकित्सा फिर फिजिक्स फिर केमिस्ट्री फिर शांति के क्षेत्र में दिया जाएगा लेकिन दिया किसे जाएगा जिन्होंने पिछले एक साल में यानी कि अवार्ड देने के समय से पिछले एक साल में कुछ बेहतर कार्य किया है अपने क्षेत्र में तो पांच क्षेत्र थे जो भी इनमें बेहतर कार्य किया होगा मानवता के लिए और यह भी कह दिया कि वह जरूरी नहीं कि इन्हीं के देश का हो इन्हीं के देश का हो ऐसा कहीं भी जरूरी नहीं है जरूरी नहीं कि यह स्वीडन का ही हो वह दुनिया में किसी भी देश का हो सकता है लेकिन उसने पूरी की पूरी मानवता के लिए कुछ बेहतर कार्य किया हो उसकी बेहतरी के लिए कार्य किया हो मानव जाति की बात हुई थी इसमें सीमा तो नहीं रखी लेकिन निर्धारण जो है वह यहीं पे होगा इसी क्षेत्र के लोगों के द्वारा होगा उसके लिए एक फाउंडेशन के निर्माण की बात कही गई फाउंडेशन था नोबल फाउंडेशन नोबल फाउंडेशन यह निगरानी करता है कि नोबल पुरस्कार किसे किसे दिए जाएंगे उसकी क्या व्यवस्था होगी सही तरीके से उस पूरी व्यवस्था को बनाने का कार्य करता है और इसी के साथ वसीयत में यह भी लिखा था कि यह सारे के सारे जो पांच क्षेत्र हैं वे पांचों के पांचों क्षेत्रों के लिए कौन निर्धारित करेगा कि पुरुस्कार इस क्षेत्र में इस व्यक्ति को दिया जाएगा उसके लिए पांच क्षेत्रों के अलावा यह छठवां आया शामिल हुआ नोबल पुरस्कारों में 1968 में यह वसीयत में नहीं था नोबल जो थे अल्फ्रेड नोबल उन्होंने इसे शामिल नहीं किया था लेकिन स्वीडन के सेंट्रल बैंक ने 1968 में उनको सम्मान देते हुए नोबल पुरस्कार शुरू किया।
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