9 अक्टूबर 2024 बुधवार को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्रि में सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है जो कि मां दुर्गा का सातवां स्वरूप मानी जाती हैं और इनकी पूजा से अकाल मृत्यु भय दुर्घटना और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। किसी भी प्रकार की बड़ी से बड़ी परेशानी हो तो मां कालरात्रि की पूजा से समाप्त हो जाती है इसलिए नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि की पूजा अत्यंत आवश्यक मानी जाती है मां कालरात्रि की पूजा से शनि जनित कोई भी पीड़ा हो समाप्त हो जाती है शनि की ढैया से परेशान हो साढ़े सती से परेशान हो या फिर शनि की दशा अंतर्दशा गोचर में आप कष्ट पा रहे हैं तो मां कालरात्रि की पूजा आपके लिए अत्यंत श्रेष्ठ है।
मंत्रों का जप
ब्रह्म मुहूर्त में आप स्नान करके अगर विधि विधान से मां की पूजा करते हैं मंत्रों का जप करते हैं अपनी कामना के अनुसार मंत्रों का जप करते हैं तो निश्चित ही आपकी कामना पूर्ण होती है कोई मंत्र सिद्ध करना चाहते हैं तो इसके लिए भी ब्रह्म मुहूर्त सबसे श्रेष्ठ समय है और पूजा का दूसरा शुभ मुहूर्त आपको प्राप्त हो रहा है अमृत काल का अमृत काल का समय होगा रात्रि में 10:37 मिनट से और देर रात्रि 12:17 तक यह समय भी मंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है अगर आप पूजा आराधना करना चाहते हैं कोई मंत्र जब विशेष रूप से करना चाहते हैं किसी भी कामना के अनुसार या फिर मां कालरात्रि की कोई विशेष आराधना करना चाहते हैं तो ऐसे में अमृत काल का जो समय है यह अत्यंत श्रेष्ठ है क्योंकि इस समय आप अपने घर में जो भी का उनसे निवृत हो जाते हैं फिर शांत होकर एकाग्र चित् होकर एक स्थान पर बैठकर आराम से पूजा आराधना कर सकते हैं।
अब जानते हैं किस प्रकार से आपको आज मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए किन मंत्रों का जप करना चाहिए कौन सी वस्तुएं मां को अर्पित करनी चाहिए भोग में आज मां को क्या अर्पित करें किस रंग के वस्त्र धारण करके मां की पूजा आराधना करें और कौन सा उपाय करें जिससे कि मां कालरात्रि की विशेष कृपा आपको प्राप्त हो और सभी परेशानियों से आपको मुक्ति मिले। शास्त्रों में मां कालरात्रि को मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली स्वरूप माना जाता है मां कालरात्रि कालों की भी काल मानी गई है इन्होंने शुंभ और निशुंभ के साथ रक्त बीज का भी संहार किया था इसी के लिए मां ने अवतार लिया था मां कालरात्रि की उपासना तंत्र साधना के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है मां कालरात्रि की उपासना से शत्रुओं और विरोधियों से मुक्ति मिलती है मां कालरात्रि अपने भक्तों की बड़ी से बड़ी विपदा को भी टाल देती हैं इसलिए नवरात्रि में जब हम मां की पूजा करते हैं तो हमें विशेष रूप से सावधानी के साथ करना चाहिए तो सप्तमी तिथि के दिन प्रातः काल जल्दी उठ जाइए उठकर नित्य कर्मों से निवृत होकर स्नान कर लीजिए स्नान करके साफ स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिए और हां मां कालरात्रि का प्रिय रंग है नीला रंग इसके अलावा आप लाल रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं काले रंग के वस्त्र धारण करके मां कालरात्रि की पूजा भूल से भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि हम जो पूजा करते हैं गृहस्थ आश्रम में वह बिल्कुल सात्विक पूजा होती है इसलिए शुभ रंगों के वस्त्र धारण करके मां कालरात्रि की पूजा आराधना करें या तो लाल रंग के या फिर नीले रंग के वस्त्र भी आप धारण कर सकते हैं तो स्नान इत्यादि से निवृत होकर सबसे पहले भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए उसके बाद अपने घर के मंदिर में आ जाइए जहां पर आपने मां की चौकी लगाई है सभी देवी-देवताओं को अपने दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम कीजिए इसके बाद शुद्ध आसन डालकर चौकी के पास बैठ जाइए अब शुद्धिकरण कर लीजिए सबसे पहले जैसे कि थोड़ा जल लेकर अपने ऊपर अपने आसपास जहां पर चौकी आपने स्थापित की है तो अपने आसपास जल के छींटे दीजिए जो पूजा की सामग्री है सब पर जल के छींटे देकर पवित्रीकरण कर लीजिए इसके बाद आप आचमन कर सकते हैं चाहे तो और बहुत से भक्त हैं जो कि आचमन नहीं करते हैं तो भी कोई बात नहीं आप जल के छींटे अपने ऊपर देकर भी शुद्धीकरण कर सकते हैं वैसे अगर आप आचमनकरते हैं तो कहा जाता है कि अंदर बाहर सब तरफ से शुद्धिकरण हो जाता है अब सबसे पहले एक दीपक प्रज्वलित करना है। आपको कर्म साक्षी दीपक शुद्ध घी का या फिर तिल तेल का फिर इसके बाद आपकी पूजा प्रारंभ हो जाती है आसन के नीचे थोड़ा सा जल डालकर और अपनी दो उंगलियों से उठाकर अपने मस्तक पर लगा दीजिए अब आप अपने आसन पर से तब तक नहीं उठ सकते हैं जब तक आपकी पूजा पूर्ण नहीं हो जाती है इसलिए पूजा की सभी सामग्री एकत्र करके हमें पहले ही रख लेना चाहिए धूप दीप प्रज्वलित करने के बाद जो भी विराजित हैं देवी देवता आपकी चौकी पर उन सबकी पूजा कर लीजिए जैसे कि भगवान गणपति की; कलश देवता की; षोडश मातृका की, नवग्रह मंडल अखंड दीपक प्रज्वलित कर रखा है सबकी।
इसके बाद विधि से धूप दीप अक्षत पुष्प और भोग इत्यादि अर्पित करके पूजा कर लीजिए इसके बाद मां कालरात्रि की पूजा आपको करना है तो अपने हाथ में थोड़े से अक्षत ले लीजिए एक पुष्प ले लीजिए और मां कालरात्रि का ध्यान कीजिए मां कालरात्रि का स्वरूप क्या है जिसका आपको ध्यान करना है पूजा के समय देखिए मां काल रात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है मां की स्वास से आग निकलती है मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं मां के गले में पड़ी हुई माला बिजली की तरह चमकती है मा कालरात्रि के चार हाथ तीन नेत्र हैं एक हाथ में माता ने खड्ग अर्थात तलवार ले रखा है दूसरे में लौह शस्त्र तीसरा हाथ वर मुद्रा में और चौथा हाथ अभय मुद्रा में है मां के इसी स्वरूप का आपको ध्यान करना है और मां कालरात्रि का ध्यान मंत्र है
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां का ध्यान कीजिए फिर आपके हाथ में जो सामग्री है अक्षत और पुष्प मां के चरणों में अर्पित कर दीजिए इसके बाद विधि विधान से आपके पास जो भी सामग्री हो पंचोपचार विधि से जैसे कि धूप दीप अक्षत पुष्प गंध इत्यादि और भोग लगाकर मां की पूजा कर सकते हैं सभी सामग्रियां जो आपके पास उपस्थित हैं उनसे मां की पूजा आराधना करके मां से प्रार्थना कीजिए अच्छा मां का प्रिय पुष्प क्या है गुलाब और गुड़हल का पुष्प मां को लाल पुष्प जैसे कि लाल गुलाब और लाल गुड़हल बहुत प्रिय है तो जरूर अर्पित करना चाहिए और नवरात्रि के सातवें दिन मां को भोग अर्पित किया जाता है गुड़ का गुड़ या फिर गुड़ से बनी हुई मिठाइयों का भोग आप लगा सकते हैं और इसके साथ ही जो भी ऋतु फल आपके पास उपलब्ध हो उनका भी भोग आप लगा सकते हैं विधि ध्यान से मां की पूजा कर लीजिए।
मां का बीज मंत्र है क्लीम एम श्रीम कालिका नमः क्लीम एम श्रीम कालिका नमः इस मंत्र का यथासंभव 11 बार 21 बार 108 बार जप कर सकते हैं।
और फिर इसके बाद जिस प्रकार से आप प्रतिदिन पूजा करते हैं जैसे कि अगर आप कोई मंत्र जप करते हैं प्रतिदिन या दुर्गा शप शती का पाठ करते हैं तो उस पाठ को या फिर उस मंत्र का जप कर सकते हैं पहले हमें उस देवी के मंत्रों का जाप करना चाहिए जिस स्वरूप की हम पूजा करते हैं और हां इसी समय आप चाहे तो कथा पढ़ सकते हैं या सुन सकते हैं या फिर चाहे तो शाम को भी कथा पढ़ या फिर सुन सकते हैं इसके बाद जब आपकी पूजा पूर्ण हो जाती है तो मां की कपूर और लौंग से आरती कर लीजिए आप चाहें तो शुद्ध घी के दीपक से भी आरती कर सकते हैं और हां मां कालरात्रि की पूजा में कुछ विशेष उपाय अगर आप करते हैं तो इससे आपकी बहुत सारी परेशानियां समाप्त होती हैं कौन से उपाय आप कर सकते हैं देखिए सबसे पहला उपाय है गुड़ का मां को गुड़ बहुत प्रिय है जैसा मैंने पहले भी बताया तो गुड़ आप थोड़ा अधिक मात्रा में अर्पित कीजिए जैसे कि आप सवा किलो गुड़ अर्पित कर सकते हैं चाहे तो 5वा किलो अर्पित कर सकते हैं या फिर सवा पाव जैसे कि 350 ग्राम गुण अर्पित कर सकते हैं मतलब इसी प्रकार से थोड़ा अधिक मात्रा में गुण अर्पित करके और मां की पूजा आराधना कर लीजिए उसके बाद से आप इस गुण में से कुछ हिस्सा ब्राह्मण को दान कर दीजिए मतलब लगभग आधा गुण ब्राह्मण को दान कर देना चाहिए और थोड़ा सा गुड़ अपने घर में भी रखिए प्रसाद स्वरूप सभी सदस्य मिलकर ग्रहण कर सकते हैं इससे क्या होगा इससे अकाल मृत्यु और दुर्घटना से मुक्ति मिलती है अगर आपके मन में हमेशा अकाल मृत्यु का भय बना रहता है या फिर दुर्घटना का भय बना रहता है या फिर बार-बार आपके एक्सीडेंट्स होते रहते हैं तो गुण अगर आप आज मां कालरात्रि को अर्पित करके दान करते हैं ब्राह्मण को तो इससे आपकी इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है अगला उपाय है मन चाहा वरदान पाने का देखिए मां कालरात्रि को रात रानी का पुष्प बहुत प्रिय है तो अगर आपको रात रानी के पुष्प मिल जाते हैं या पुष्पों की माला मिल जाती है तो मां को जरूर अर्पित कीजिए इससे मां बहुत प्रसन्न होती हैं और मन चाहा वरदान देती है मतलब अगर आप कोई भी मनोकामना है मन में आपकी जो आप चाहते हैं कि बहुत जल्दी पूर्ण हो जाए तो मा कालरात्रि की पूजा रात रानी के पुष्पों से करनी चाहिए तो जैसा कि मां दुर्गा का सबसे शक्तिशाली स्वरूप मां कालरात्रि को माना जाता है तो हर प्रकार की कामनाएं मां पूर्ण करती हैं मतलब आपको अभय दान भी देती हैं भय से भी मुक्ति मिलती है रोग से भी मुक्ति मिलती है और कोई भी आपकी कामना हो तो बहुत जल्दी पूर्ण हो जाती है क्योंकि मां कालरात्रि अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती है तो विधि विधान से मां कालरात्रि की पूजा कीजिए मंत्रों का जप कीजिए और उपाय जरूर कीजिए।
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥
जय माता दी।