पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है 10 अक्टूबर 2024 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:20 से सुबह 7:47 मिनट तक रहेगा दूसरा जो पूजा का शुभ मुहूर्त है वह सुबह 10:41 से दोपहर 3:02 तक रहेगा हैं।
पूजा विधि
पूजा विधि की ओर सबसे आसान और संपूर्ण पूजा विधि क्या है आसन बिछा लेना है बैठ जाना है और जल लेकर के अपने ऊपर छिड़कना है अपने आप को पवित्र करना है फिर इसके बाद में महागौरी माता को प्रणाम करना है बोलिए महागौरी मैया की जय अब इसके बाद में जल लेना है और मैया को स्नान करवाना है जल छिड़कना है और जो बाकी का बचा हुआ जल जौ में अर्पित कर देना है इसके बाद में मैया की प्रतिमा साफ कपड़े से साफ करनी है और विराजमान कर देनी है फिर इसके बाद में कलावा लेना है और वस्त्र रूप में तोड़ कर के मैया को अर्पित करना है और कलश पर भी कलावा अर्पित करना है इसके बाद में मैया को जो विशेष प्रिय चंदन है उसका नाम है पीला चंदन अब पीला चंदन कैसे बनाओगे उसमें हल्के से पीले गेंदे के फूल मिलाना और चंदन को घिसना वह पीला हो जाएगा इस उंगली से यानी कि छोटी वाली की बगल वाली उंगली से मैया को वह अर्पित करना है चंदन और कलश पे भी अर्पित करना है फिर इसके बाद में अक्षत अर्पित करने हैं कलश पे भी और मैया के भी इसके बाद में दीपक जलाना है और दीपक जलाने के बाद में मैया को विशेष प्रिय जो माला है उसका नाम है मोगरे के फूल की माला वह मैया को अर्पित करनी है थोड़े से मोगरे
के फूल कलस पर चढ़ाने हैं अब जो दीपक जलाया है वह मैया को दिखाना है यानी आरती करनी है धूपम दीपम दर्शयामी। फिर इसके बाद में जल लेना है और हाथ धो लेने हैं इसके बाद में मैया को जो विशेष प्रिय प्रसाद है उसका नाम है फल में नारियल और मिष्ठान में नारियल की ही मिठाई आपको लेनी है मैया को भोग लगाना है और इसके बाद में जल लेना है और हाथ धो लेने हैं इसके बाद में संकल्प करना है बिना संकल्प के किसी भी पूजा का फल नहीं मिलता है पूजा निष्फल हो जाती है हानिकारक हो जाती है जल हाथ में लेना है और कहना है मैया आज यह तिथि है यह वार है मैया मेरा नाम यह है और मेरा गोत्र यह है मेरे परिवार का नाम यह है और गोत्र यह है मैया यह कॉलोनी है यह हमारा मकान नंबर है आज आपकी पूजा को मैया आठ दिन हो गए हैं बहुत सुंदर पूजा हो रही है मैं बस इसलिए पूजा कर रही हूं कि आपकी कृपा आपकी छत्र छाया समस्त संसार पर और मेरे पर परिवार पर बनी रहे मैया और हमको कुछ भी नहीं चाहिए इतना कह कर के वह जल मैया के चरणों में अर्पित कर देना है क्षमा याचना करनी है कि हे महागौरी माता आपकी कृपा से सब हो रहा है हम कुछ भी करने वाले नहीं है मैया हमारी बुद्धि अपवित्र है चित्त अपवित्र है मन अपवित्र है हे माता इन पर आकर के विराजमान हो जाइए और यह पूजा आप स्वीकार करिए क्योंकि ना हमें मंत्र आते हैं ना पूजा आती है ना कोई विधि आती है और मैया आजकल मिलावट के जमाने में शुद्ध सामग्री भी नहीं है इसलिए जैसे भी पूजा हुई है मैया इसे स्वीकार करें आपके चरणों में बारंबार प्रणाम है इतना कह कर के वह पुष्प मैया के चरणों में अर्पित कर देने हैं और जयकारा लगाना है बोलो महागौरी मैया
की जय आज की पूजा का यहीं पर समापन होता है।
9 कन्याओं का पूजन
लेकिन अभी समापन नहीं हुआ है जो भाई लोग जो माता लोग अष्टमी का पूजन करती हैं अब उनके देवी पूजन कैसे करना है नौ कंज काव को बुलाना है लेकिन साथ में दो लांगुरिया दो लड़के भी बुलाने हैं और जो कंज काव की जो उम्र है वह 9 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए यह बात ध्यान में रखना आप और इसी प्रकार लड़कों की भी उवर न वर्ष से ज्यादा नहीं होना चाहिए नौ कंजका और दो लांगुरिया यह अपने घर में बुलाने हैं अब इसकी विधि सुन लो बड़ी ध्यान से बड़ी रोचक विधि है और बहुत सरल विधि है और घर में बहुत ही शांति लाने वाली लक्ष्मी लाने वाली स्मृद्धि लाने वाली यह विधि है कैसे करना है उनको बुलावा देना है जैसे ही वह आएंगे तो गेट पर ही एक बड़ा बर्तन ले लेना और उसमें इनके चरणों को पधरा कहना मैया खड़ी हो जाओ इस बर्तन जैसे परात होती है ना बड़ा बर्तन होता है उसमें अब उसमें इनके पैर यानी इनके चरण सेवा करनी है इनके पैरों को धोना है अब उस जल को संभाल कर के रखने रख लेना मैं आगे बताऊंगा कि क्या करना है अब क्या करना है इनको आसन देना है आसन देकर के फिर इनको वस्त्र देने हैं सबसे पहले वस्त्र में जो आप चुन्नी इत्यादि लाए हो माताओं के लिए वह देने हैं फिर इसके बाद में मैया को टीका अर्पण करना है अक्षत अर्पण करने हैं फिर इसके बाद में मैया को भोजन अर्पण करना है जो भी आपने बनाया है हलवा पूरी चना और नारियल यह अर्पण करना है इसके बाद में जब यह सब प्रसाद पाले माता जी फिर इसके बाद में मैया का विशेष पूजन करना है विशेष पूजन कैसे करना है कलावा बांधना है और एक एक फल देना है माताओं को केला हो गया सेव हो गया जो भी आपके पास में अवेलेबल हो वह एक एक फल देना है कलावा बांध करके फिर इसके बाद में इन सभी को दक्षिणा देनी है जो भी आपकी श्रद्धा हो 100 50 500 हज जो भी श्रद्धा हो वह आपको दक्षिणा देनी है।
पूजा का समापन
फिर इसके बाद में मैया को प्रणाम करना है पैर छू कर के पैर कैसे छूने हैं इस तरीके से छूने हैं यानी कि जो सीधा पैर है सीधा चरण है माता का उस परे हमारा सीधा हाथ लगे और जो उल्टा चरण है उस परे हमारा उल्टा हाथ लगे ऐसे करके प्रणाम करना है फिर इसके बाद में मैया को कहना है मैया आज मेरे घर में अपने चरणों को रखो यानी कि सभी मैयां को और लांगुरिया को अपने घर में घुमाना है और जयकारा लगाना है प्रेम से बोलो जय माता दी सारे बोलो जय माता दी मिलकर बोलो जय माता दी इस प्रकार से कहना है और मन ही मन में आपके क्या चलता रहेगा ओम दुर्गाय नमः ओम दुर्गाय नमः ओम दुर्गाय नमः फिर इसके बाद में इन सभी
को विदा कर देना है अब जो इनकी जो झूट बची है ना थोड़ी सी वह प्रसाद हाथ में लेकर के और नौ मैयां का ध्यान लगा कर के वह प्रसाद बिल्कुल हल्का सा पाना है फिर इसके बाद में क्या करना है जो आपने जौ बोए हैं जो कलश है उसको हल्का सा हिला देना है और जौ को भी हल्का सा हिला देना है अब जो कलश के ऊपर नारियल है वह नारियल को ओम दुर्गाय नमः कह कर के फोड़ना है और जो उसका जल है वह कलश में डाल देना है इसके बाद में जो कलश का जल है और जो माताओं के चरणों का जल है जो आपने माता के चरण धोए थे पहले चरण सेवा करी थी वह दोनों मिलाकर के अपने घर में छिड़कना है ओम दुर्गाय नमः ओ दुर्गाय नमः ऐसे कह कर के वह जल को छिड़क के बाकी के जल को अपने घर के पौधों में डाल देना है फिर इसके बाद में जो ज है देखो कई लोग इसको फेंक देते हैं जल प्रवाह कर देते हैं ना ना जाने क्या करते हैं यह ज बड़े उपयोगी है उनको नीचे से काटना है और धोना है और मिक्सी में उनको पीस करके उनका जूस बना कर के पूरे घर वालों को प्रसाद देना है इसके बाद में प्रसाद पाना है मैया की जय जय कार बोलनी है और यहां पे अष्टमी की पूजा का विराम होता है आप सभी को जय माता दी
माता की आरती
जय महागौरी जगत की माया
जया उमा भवानी जय महामाया
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।