संविधान सभा (Constituent Assembly) वह निकाय था जिसने स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण किया। यह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जिसने देश के भविष्य की दिशा निर्धारित की। संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना (1946) के तहत किया गया था और इसने लगभग तीन वर्षों तक कार्य किया।
1. संविधान सभा की मांग और गठन (Demand and Formation of the Constituent Assembly)
भारत के लिए एक संविधान सभा की मांग भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी।
1.1. संविधान सभा की मांग
- 1934: एम.एन. रॉय ने पहली बार संविधान सभा के विचार को सामने रखा।
- 1935: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार आधिकारिक तौर पर संविधान सभा की मांग की।
- 1938: जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत का संविधान बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के, वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा द्वारा बनाया जाएगा।
- अगस्त प्रस्ताव, 1940: ब्रिटिश सरकार ने पहली बार संविधान सभा के विचार को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया।
- क्रिप्स मिशन, 1942: ब्रिटिश सरकार ने युद्ध के बाद भारत के लिए एक संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव रखा, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया।
1.2. कैबिनेट मिशन योजना, 1946 के तहत गठन
- नवंबर 1946 में, कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा का गठन किया गया।
- कुल सदस्य संख्या: 389 सदस्य।
- 292 सीटें: ब्रिटिश भारत के प्रांतों को आवंटित।
- 93 सीटें: रियासतों को आवंटित।
- 4 सीटें: मुख्य आयुक्त प्रांतों (दिल्ली, अजमेर-मेरवाड़ा, कूर्ग, ब्रिटिश बलूचिस्तान) को आवंटित।
- चुनाव का तरीका:
- ब्रिटिश प्रांतों की सीटें प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से एकल संक्रमणीय मत द्वारा चुनी गईं।
- रियासतों के प्रतिनिधियों को उनके शासकों द्वारा नामांकित किया गया था।
- सीटों का विभाजन: प्रत्येक प्रांत में सीटों को तीन प्रमुख समुदायों – मुस्लिम, सिख और सामान्य (हिंदू और अन्य) के बीच उनकी आबादी के अनुपात में विभाजित किया गया था।
2. संविधान सभा की कार्यप्रणाली (Working of the Constituent Assembly)
संविधान सभा ने एक संप्रभु निकाय के रूप में कार्य किया और भारत के संविधान का निर्माण किया।
2.1. पहली बैठक और प्रारंभिक कार्य
- पहली बैठक: 9 दिसंबर, 1946 को। मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया, जिससे केवल 211 सदस्य उपस्थित थे।
- अस्थायी अध्यक्ष: डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को फ्रांस की प्रथा का पालन करते हुए सबसे वरिष्ठ सदस्य के रूप में अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
- स्थायी अध्यक्ष: 11 दिसंबर, 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया। एच.सी. मुखर्जी और वी.टी. कृष्णामाचारी उपाध्यक्ष चुने गए।
- संवैधानिक सलाहकार: बी.एन. राव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया।
2.2. उद्देश्य प्रस्ताव (Objectives Resolution)
- प्रस्तुति: 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ प्रस्तुत किया गया।
- स्वीकृति: इसे 22 जनवरी, 1947 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
- महत्व: इस प्रस्ताव में स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल दर्शन और अंतर्निहित सिद्धांतों को रेखांकित किया गया था। यह बाद में संविधान की प्रस्तावना (Preamble) के रूप में अपनाया गया।
2.3. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के बाद परिवर्तन
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने संविधान सभा की स्थिति में तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन किए:
- सभा को पूरी तरह से संप्रभु निकाय बनाया गया, जो अपनी इच्छानुसार कोई भी संविधान बना सकती थी।
- सभा को ब्रिटिश संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून को रद्द करने या बदलने का अधिकार दिया गया।
- सभा को एक विधायी निकाय भी बनाया गया। जब यह संविधान बनाने के लिए मिलती थी, तो इसकी अध्यक्षता डॉ. राजेंद्र प्रसाद करते थे, और जब यह कानून बनाने के लिए मिलती थी, तो इसकी अध्यक्षता जी.वी. मावलंकर करते थे।
- मुस्लिम लीग के सदस्यों (पाकिस्तान के लिए) के अलग होने के बाद, संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 299 रह गई (229 ब्रिटिश प्रांतों से, 70 रियासतों से)।
3. संविधान सभा की प्रमुख समितियाँ (Major Committees of the Constituent Assembly)
संविधान सभा ने विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए कई समितियाँ गठित कीं।
- प्रारूप समिति (Drafting Committee):
- अध्यक्ष: डॉ. बी.आर. अंबेडकर।
- गठन: 29 अगस्त, 1947 को।
- कार्य: संविधान का मसौदा तैयार करना। इसमें 7 सदस्य थे।
- अंबेडकर को ‘भारत के संविधान का जनक’ माना जाता है।
- संघ शक्ति समिति (Union Powers Committee): जवाहरलाल नेहरू।
- संघ संविधान समिति (Union Constitution Committee): जवाहरलाल नेहरू।
- प्रांतीय संविधान समिति (Provincial Constitution Committee): सरदार वल्लभभाई पटेल।
- मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक और जनजातीय व बहिष्कृत क्षेत्रों पर सलाहकार समिति: सरदार वल्लभभाई पटेल।
- नियम प्रक्रिया समिति (Rules of Procedure Committee): डॉ. राजेंद्र प्रसाद।
- राज्य समिति (States Committee): जवाहरलाल नेहरू।
- संचालन समिति (Steering Committee): डॉ. राजेंद्र प्रसाद।
4. संविधान का अंगीकरण और लागू होना (Adoption and Enforcement of the Constitution)
संविधान सभा ने भारत के संविधान को बनाने में लगभग तीन साल का समय लिया।
- संविधान का अंगीकरण:
- संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लिया।
- मसौदे पर 114 दिनों तक विचार-विमर्श हुआ।
- 26 नवंबर, 1949 को, संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया। इस दिन संविधान के कुछ प्रावधान (जैसे नागरिकता, चुनाव, अंतरिम संसद) तुरंत लागू हो गए।
- इस दिन को भारत में ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- संविधान का लागू होना:
- 26 जनवरी, 1950 को, शेष संविधान पूरी तरह से लागू हुआ।
- इस दिन को ‘गणतंत्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भारत एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बना।
- 26 जनवरी की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ‘पूर्ण स्वराज’ दिवस मनाया गया था।
- कुल सत्र: संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए।
- कुल खर्च: संविधान बनाने में लगभग ₹64 लाख का खर्च आया।
5. संविधान सभा की आलोचना (Criticism of the Constituent Assembly)
संविधान सभा को कुछ आधारों पर आलोचना का भी सामना करना पड़ा।
- प्रतिनिधि निकाय नहीं: आलोचकों का तर्क है कि यह सीधे वयस्क मताधिकार द्वारा नहीं चुनी गई थी, इसलिए यह पूरी तरह से प्रतिनिधि निकाय नहीं थी।
- संप्रभु निकाय नहीं: इसे ब्रिटिश सरकार के प्रस्तावों के तहत गठित किया गया था, इसलिए कुछ लोगों ने इसकी संप्रभुता पर सवाल उठाया।
- समय लेने वाला: संविधान बनाने में लगे लंबे समय के लिए इसकी आलोचना की गई।
- कांग्रेस का प्रभुत्व: कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि संविधान सभा पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रभुत्व था।
- वकीलों और राजनेताओं का प्रभुत्व: इसमें वकीलों और राजनेताओं का प्रभुत्व था, जिससे समाज के अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व कम था।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
संविधान सभा भारतीय इतिहास में एक असाधारण निकाय थी जिसने स्वतंत्र भारत के लिए एक व्यापक और दूरदर्शी संविधान का निर्माण किया। कैबिनेट मिशन योजना के तहत गठित, इसने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व वाली प्रारूप समिति के अथक प्रयासों से कार्य किया। उद्देश्य प्रस्ताव से लेकर संविधान के अंगीकरण और लागू होने तक, संविधान सभा ने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया। यद्यपि इसे कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, संविधान सभा का कार्य भारत के लोकतांत्रिक भविष्य की नींव रखने में अद्वितीय था, और इसके द्वारा बनाया गया संविधान आज भी देश के शासन का मार्गदर्शन करता है।