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राजनीतिक संस्कृति का विकास और राजनीतिक समाजीकरण”

राजनीतिक संस्कृति (Political Culture) किसी समाज में राजनीति के प्रति लोगों के दृष्टिकोण, विश्वासों, मूल्यों और अभिवृत्तियों का एक समूह है। यह एक राष्ट्र की राजनीतिक प्रणाली के कामकाज को आकार देती है। राजनीतिक समाजीकरण (Political Socialization) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति राजनीतिक संस्कृति के मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखते और आत्मसात करते हैं। ये दोनों अवधारणाएँ किसी देश के लोकतांत्रिक विकास और स्थिरता को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

1. राजनीतिक संस्कृति (Political Culture)

राजनीतिक संस्कृति एक समाज में राजनीतिक प्रणाली के प्रति लोगों के साझा मनोवैज्ञानिक अभिविन्यास को दर्शाती है।

1.1. परिभाषा

  • राजनीतिक संस्कृति में किसी समाज के सदस्यों के राजनीतिक प्रणाली के प्रति ज्ञान, भावनाएँ और मूल्यांकन शामिल होते हैं। यह राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करती है।
  • यह एक समाज की सामूहिक राजनीतिक पहचान और उसके राजनीतिक जीवन के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाती है।

1.2. राजनीतिक संस्कृति के प्रकार (गेब्रियल आमंड और सिडनी वर्बा के अनुसार)

  • पैरॉकियल संस्कृति (Parochial Culture): लोग राजनीतिक प्रणाली के बारे में बहुत कम जानते हैं और इसमें उनकी भागीदारी भी सीमित होती है। वे स्थानीय समुदायों और परंपराओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • सब्जेक्ट संस्कृति (Subject Culture): लोग सरकार के प्रति जागरूक होते हैं और कानूनों का पालन करते हैं, लेकिन वे राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं। वे सरकार को एक ‘विषय’ के रूप में देखते हैं।
  • पार्टिसिपेंट संस्कृति (Participant Culture): लोग राजनीतिक प्रणाली के बारे में जागरूक होते हैं, सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, और सरकार को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। वे स्वयं को राजनीतिक प्रक्रिया में एक ‘भागीदार’ के रूप में देखते हैं।

1.3. भारत में राजनीतिक संस्कृति का विकास

  • स्वतंत्रता-पूर्व: ब्रिटिश शासन के दौरान एक सब्जेक्ट संस्कृति का प्रभुत्व था, जिसमें कुछ राष्ट्रवादी आंदोलनों ने पार्टिसिपेंट संस्कृति के बीज बोए।
  • स्वतंत्रता के बाद: भारत ने एक लोकतांत्रिक संविधान अपनाया, जिससे पार्टिसिपेंट संस्कृति को बढ़ावा मिला। हालांकि, जाति, धर्म और क्षेत्रवाद जैसे पारंपरिक कारक भी राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करते रहे।
  • बदलती प्रकृति: वैश्वीकरण, शिक्षा और मीडिया के प्रसार के साथ भारतीय राजनीतिक संस्कृति अधिक जागरूक, मांग-उन्मुख और सहभागी बन रही है।

2. राजनीतिक समाजीकरण (Political Socialization)

राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति राजनीतिक संस्कृति के मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखते हैं।

2.1. परिभाषा

  • राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति राजनीतिक प्रणाली के प्रति अपनी अभिवृत्तियों, विश्वासों, मूल्यों और व्यवहारों को प्राप्त करते हैं। यह एक जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है।
  • यह व्यक्तियों को राजनीतिक प्रणाली में उनकी भूमिकाओं के लिए तैयार करती है।

2.2. राजनीतिक समाजीकरण के अभिकर्ता (Agents of Political Socialization)

  • परिवार: यह राजनीतिक समाजीकरण का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण अभिकर्ता है। परिवार बच्चों को बुनियादी राजनीतिक मूल्य और दृष्टिकोण प्रदान करता है।
  • शैक्षिक संस्थान: स्कूल और कॉलेज नागरिकता, देशभक्ति, संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षा प्रदान करते हैं।
  • समूह (Peer Groups): दोस्त और सहकर्मी राजनीतिक विचारों और व्यवहारों को प्रभावित करते हैं।
  • मीडिया: समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो और सोशल मीडिया राजनीतिक जानकारी प्रदान करते हैं और सार्वजनिक राय को आकार देते हैं।
  • राजनीतिक दल: राजनीतिक दल अपनी विचारधाराओं और कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को राजनीतिक रूप से समाजीकृत करते हैं।
  • दबाव समूह: ये समूह अपने सदस्यों को विशिष्ट राजनीतिक मुद्दों पर शिक्षित करते हैं।
  • धार्मिक संगठन: धार्मिक नेता और संगठन भी राजनीतिक विचारों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • राज्य और सरकारी नीतियाँ: सरकार की नीतियाँ और कार्यक्रम भी नागरिकों के राजनीतिक दृष्टिकोण को आकार देते हैं।

2.3. राजनीतिक समाजीकरण के कार्य

  • राजनीतिक संस्कृति का संरक्षण और संचरण।
  • राजनीतिक प्रणाली में स्थिरता बनाए रखना।
  • राजनीतिक प्रणाली में परिवर्तन लाना (जब नए मूल्य आत्मसात किए जाते हैं)।
  • नागरिकों को राजनीतिक प्रणाली में उनकी भूमिकाओं के लिए तैयार करना।

3. भारत में राजनीतिक संस्कृति और समाजीकरण की चुनौतियाँ (Challenges to Political Culture and Socialization in India)

भारत में राजनीतिक संस्कृति और समाजीकरण के समक्ष कई चुनौतियाँ मौजूद हैं।

  • जातिवाद और सांप्रदायिकता: ये कारक राष्ट्रीय पहचान पर हावी हो सकते हैं और विभाजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • क्षेत्रवाद: क्षेत्रीय पहचान और हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रखना।
  • अशिक्षा और गरीबी: ये कारक राजनीतिक जागरूकता और भागीदारी को सीमित करते हैं।
  • राजनीति का अपराधीकरण: अपराधियों का राजनीति में प्रवेश, जिससे जनता में अविश्वास पैदा होता है।
  • धन और बाहुबल का प्रभाव: चुनावों में धन और बाहुबल का प्रयोग लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है।
  • मीडिया का ध्रुवीकरण: मीडिया द्वारा पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग और फेक न्यूज़ का प्रसार।
  • आंतरिक दलगत लोकतंत्र का अभाव: राजनीतिक दलों के भीतर लोकतंत्र की कमी।

4. राजनीतिक संस्कृति और समाजीकरण को मजबूत करने के उपाय (Measures to Strengthen Political Culture and Socialization)

भारत में एक स्वस्थ राजनीतिक संस्कृति और प्रभावी समाजीकरण को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

  • शिक्षा का प्रसार: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, विशेषकर नागरिक शिक्षा, को बढ़ावा देना।
  • संवैधानिक मूल्यों का प्रचार: धर्मनिरपेक्षता, समानता, न्याय और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना।
  • नागरिक समाज को सशक्त बनाना: नागरिक समाज संगठनों को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • मीडिया की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी: मीडिया को निष्पक्ष और जिम्मेदार रिपोर्टिंग के लिए प्रोत्साहित करना।
  • चुनावी सुधार: राजनीति के अपराधीकरण, धन शक्ति और जाति/धर्म के प्रभाव को कम करना।
  • आंतरिक दलगत लोकतंत्र को मजबूत करना: राजनीतिक दलों के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अनिवार्य करना।
  • स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना: पंचायती राज संस्थाओं और नगर पालिकाओं में नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाना।
  • युवाओं को शामिल करना: युवाओं को राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करना।

5. निष्कर्ष (Conclusion)

राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक समाजीकरण किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। राजनीतिक संस्कृति एक राष्ट्र के राजनीतिक जीवन के प्रति लोगों के साझा दृष्टिकोण को दर्शाती है, जबकि राजनीतिक समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से ये मूल्य आत्मसात किए जाते हैं। भारत में, एक जीवंत लोकतांत्रिक संस्कृति के विकास के बावजूद, जातिवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और राजनीति के अपराधीकरण जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। एक मजबूत, समावेशी और सहभागी लोकतंत्र के लिए, शिक्षा, मीडिया, नागरिक समाज और चुनावी सुधारों के माध्यम से एक स्वस्थ राजनीतिक संस्कृति और प्रभावी राजनीतिक समाजीकरण को बढ़ावा देना आवश्यक है।

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