ई-गवर्नेंस (E-Governance) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology – ICT) का उपयोग करके सरकारी सेवाओं, सूचनाओं के आदान-प्रदान, संचार लेनदेन और विभिन्न स्टैंडअलोन प्रणालियों और सेवाओं के एकीकरण को संदर्भित करता है। इसका उद्देश्य शासन को अधिक कुशल, पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिक-केंद्रित बनाना है।
1. ई-गवर्नेंस की अवधारणा (Concept of E-Governance)
ई-गवर्नेंस केवल सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने से कहीं अधिक है।
1.1. परिभाषा
- ई-गवर्नेंस का अर्थ है सरकारी प्रक्रियाओं और कार्यों में ICT का उपयोग, ताकि शासन को अधिक प्रभावी और कुशल बनाया जा सके।
- यह सरकार और नागरिकों, व्यवसायों और अन्य सरकारी एजेंसियों के बीच बातचीत को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
1.2. उद्देश्य
- पारदर्शिता बढ़ाना: सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाना।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: सार्वजनिक अधिकारियों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह बनाना।
- दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार: प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके समय और लागत को कम करना।
- नागरिकों को सशक्त बनाना: नागरिकों को जानकारी और सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करना।
- भ्रष्टाचार को कम करना: मानवीय हस्तक्षेप को कम करके भ्रष्टाचार की संभावना को कम करना।
- सेवा वितरण में सुधार: नागरिकों को बेहतर और तेज सेवाएँ प्रदान करना।
2. ई-गवर्नेंस के प्रकार (Types of E-Governance)
ई-गवर्नेंस विभिन्न हितधारकों के बीच संबंधों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
- सरकार से नागरिक (G2C – Government to Citizen):
- सरकार द्वारा नागरिकों को सीधे सेवाएँ प्रदान करना।
- उदाहरण: ऑनलाइन बिल भुगतान (बिजली, पानी), आधार कार्ड, पासपोर्ट सेवा, जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र, भूमि रिकॉर्ड।
- सरकार से व्यवसाय (G2B – Government to Business):
- सरकार द्वारा व्यवसायों को सेवाएँ प्रदान करना और उनके साथ बातचीत करना।
- उदाहरण: ऑनलाइन कर भुगतान, लाइसेंस और परमिट के लिए आवेदन, कंपनी पंजीकरण, निविदाएँ।
- सरकार से सरकार (G2G – Government to Government):
- विभिन्न सरकारी एजेंसियों, विभागों या स्तरों (केंद्र, राज्य, स्थानीय) के बीच बातचीत और सूचना का आदान-प्रदान।
- उदाहरण: ई-ऑफिस, ई-कोर्ट, जिला प्रशासन में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय।
- सरकार से कर्मचारी (G2E – Government to Employee):
- सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को सेवाएँ प्रदान करना।
- उदाहरण: ऑनलाइन वेतन पर्ची, अवकाश आवेदन, पेंशन प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली।
3. भारत में ई-गवर्नेंस की पहलें (E-Governance Initiatives in India)
भारत सरकार ने ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं।
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP) – 2006:
- ‘मिशन मोड परियोजनाओं’ (MMPs) और सहायक घटकों के माध्यम से ई-गवर्नेंस के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान किया।
- इसमें 31 MMPs (जैसे भूमि रिकॉर्ड, वाणिज्यिक कर, पासपोर्ट, MCA21) और 8 सहायक घटक शामिल थे।
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (2015):
- ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य भारत को एक डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना है।
- इसके तीन प्रमुख दृष्टिकोण क्षेत्र हैं:
- प्रत्येक नागरिक के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचा एक उपयोगिता के रूप में।
- मांग पर शासन और सेवाएँ।
- नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।
- प्रमुख पहलें और परियोजनाएँ:
- आधार (Aadhaar): एक विशिष्ट पहचान संख्या जो विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए उपयोग की जाती है।
- डिजिलॉकर (DigiLocker): दस्तावेजों को डिजिटल रूप से संग्रहीत करने और साझा करने के लिए।
- उमंग ऐप (UMANG App): विभिन्न सरकारी सेवाओं को एक ही मंच पर एकीकृत करना।
- ई-ताल (e-Taal): विभिन्न ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के लेनदेन को ट्रैक करने के लिए एक वेब पोर्टल।
- ई-कोर्ट परियोजना: न्याय प्रणाली को डिजिटलीकरण करना।
- ई-ऑफिस: सरकारी कार्यालयों में कागज़ रहित कामकाज को बढ़ावा देना।
- नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS): व्यवसायों के लिए विभिन्न स्वीकृतियाँ प्राप्त करने के लिए एक ऑनलाइन मंच।
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): सब्सिडी और लाभों को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित करना।
4. ई-गवर्नेंस के लाभ (Benefits of E-Governance)
ई-गवर्नेंस शासन और नागरिकों दोनों के लिए कई फायदे प्रदान करता है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आती है और अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ती है।
- दक्षता और प्रभावशीलता: प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके समय और लागत को कम करता है, जिससे सेवाओं का वितरण तेज होता है।
- भ्रष्टाचार में कमी: मानवीय हस्तक्षेप को कम करके भ्रष्टाचार की संभावना को कम करता है।
- नागरिक सशक्तिकरण: नागरिकों को जानकारी और सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करके सशक्त करता है।
- पहुंच में सुधार: दूरदराज के क्षेत्रों में भी सेवाओं तक पहुंच संभव बनाता है।
- सेवा वितरण में सुधार: नागरिकों को बेहतर और तेज सेवाएँ प्रदान करता है (‘नो मोर लाइन्स’ – अब और कतारें नहीं)।
- राजस्व में वृद्धि: कर संग्रह और अन्य सरकारी शुल्कों में दक्षता से राजस्व में वृद्धि हो सकती है।
5. ई-गवर्नेंस के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges to E-Governance)
ई-गवर्नेंस के प्रभावी कार्यान्वयन में कई बाधाएँ मौजूद हैं।
- डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच, तथा विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों के बीच डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट तक पहुंच में अंतर।
- बुनियादी ढांचे का अभाव: दूरदराज के क्षेत्रों में अपर्याप्त इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली की कमी।
- साइबर सुरक्षा: डेटा उल्लंघनों और साइबर हमलों का खतरा, जिससे नागरिकों की गोपनीयता और सुरक्षा प्रभावित होती है।
- मानसिकता में बदलाव: सरकारी अधिकारियों और नागरिकों दोनों में प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- इंटरऑपरेबिलिटी का अभाव: विभिन्न सरकारी विभागों और प्रणालियों के बीच डेटा और सूचना के आदान-प्रदान में कमी।
- भाषा बाधा: ई-सेवाओं का अंग्रेजी में अधिक उपलब्ध होना, जिससे गैर-अंग्रेजी भाषी आबादी के लिए समस्या होती है।
- क्षमता निर्माण: सरकारी कर्मचारियों में ICT कौशल और प्रशिक्षण की कमी।
- कानूनी और नियामक ढाँचा: तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाने के लिए कानूनी और नियामक ढाँचे को अद्यतन करने की आवश्यकता।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
ई-गवर्नेंस भारत में सुशासन और समावेशी विकास के लिए एक परिवर्तनकारी शक्ति है। डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत सरकार ने सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ, पारदर्शी और कुशल बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। आधार, डिजिलॉकर और उमंग ऐप जैसी पहलें सेवा वितरण में क्रांति ला रही हैं। हालांकि, डिजिटल डिवाइड, साइबर सुरक्षा और मानसिकता में बदलाव जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। इन चुनौतियों का सामना करके और निरंतर नवाचार और समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करके, भारत ई-गवर्नेंस की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है, जिससे एक सशक्त और ज्ञान-आधारित समाज का निर्माण हो सके।