Gyan Pragya
No Result
View All Result
Loading...
  • Hindi
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Current Affairs
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

भारत में प्रशासनिक प्रणाली का विकास और विस्तार (Development and Expansion of Administrative System in India)

भारत में प्रशासनिक प्रणाली का विकास और विस्तार (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)

भारत में प्रशासनिक प्रणाली का विकास और विस्तार एक लंबी और सतत प्रक्रिया है, जो प्राचीन काल से लेकर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और स्वतंत्रता के बाद तक फैली हुई है। यह प्रणाली देश की बदलती जरूरतों, सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों और राजनीतिक आकांक्षाओं के अनुरूप विकसित हुई है।

1. ब्रिटिश-पूर्व प्रशासनिक प्रणाली (Pre-British Administrative System)

भारत में ब्रिटिश शासन से पहले भी सुव्यवस्थित प्रशासनिक प्रणालियाँ मौजूद थीं।

1.1. प्राचीन काल

  • मौर्य प्रशासन (लगभग 322-185 ईसा पूर्व):
    • चंद्रगुप्त मौर्य के अधीन एक अत्यधिक केंद्रीकृत और कुशल प्रशासन।
    • ‘अर्थशास्त्र’ (कौटिल्य द्वारा) में विस्तृत नियम और सिद्धांत वर्णित थे, जिसमें राजस्व संग्रह, न्याय, सैन्य और जासूसी प्रणाली शामिल थी।
    • प्रांतों को ‘आहार’ या ‘विषय’ में विभाजित किया गया था, जिसका प्रमुख ‘विषयपति’ होता था।
  • गुप्त प्रशासन (लगभग 320-550 ईस्वी):
    • मौर्यों की तुलना में कम केंद्रीकृत लेकिन प्रभावी प्रशासन।
    • स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा दिया गया, जिसमें ग्राम सभाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

1.2. मध्यकालीन काल (मुगल काल)

  • मुगल प्रशासन (1526-1857):
    • अकबर के अधीन एक सुव्यवस्थित सैन्य, राजस्व और न्यायिक प्रणाली।
    • प्रांतों को ‘सूबा’ कहा जाता था, जो आगे ‘सरकार’ (जिले) और ‘परगना’ में विभाजित थे।
    • ‘सरकार’ का प्रमुख ‘फौजदार’ (कानून और व्यवस्था) और ‘अमल-गुजार’ (राजस्व) होता था।
    • ‘मनसबदारी प्रणाली’ सैन्य और नागरिक प्रशासन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।

2. ब्रिटिश प्रशासनिक प्रणाली का विकास (Development of British Administrative System)

ब्रिटिश शासन ने भारत में एक आधुनिक, केंद्रीकृत और नौकरशाही प्रशासनिक प्रणाली की नींव रखी।

2.1. कंपनी का शासन (1757-1858)

  • प्रारंभिक प्रशासन: ईस्ट इंडिया कंपनी ने शुरू में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए प्रशासन स्थापित किया, जिसमें कलकत्ता, बंबई और मद्रास में प्रेसीडेंसी शामिल थीं।
  • रेगुलेटिंग एक्ट, 1773:
    • लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स के अधीन केंद्रीकरण की शुरुआत।
    • बंगाल के गवर्नर-जनरल को अन्य प्रेसीडेंसी पर पर्यवेक्षण की शक्ति।
    • न्यायिक प्रशासन के लिए कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय (1774) की स्थापना।
  • पिट्स इंडिया एक्ट, 1784: कंपनी के वाणिज्यिक और राजनीतिक कार्यों को अलग किया गया, जिससे ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण बढ़ा।
  • कॉर्नवालिस का योगदान: लॉर्ड कॉर्नवालिस को ‘भारत में सिविल सेवा का जनक’ माना जाता है। उन्होंने राजस्व, पुलिस और न्यायिक प्रशासन में सुधार किए।
    • स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement – 1793): राजस्व प्रशासन में।
    • पुलिस प्रणाली का आधुनिकीकरण (दारोगा प्रणाली)।
    • न्यायिक प्रणाली का पुनर्गठन (दीवानी और फौजदारी अदालतें)।
  • चार्टर अधिनियम, 1833:
    • बंगाल के गवर्नर-जनरल को ‘भारत का गवर्नर-जनरल’ बनाया गया (लॉर्ड विलियम बेंटिंक)।
    • कानूनों का संहिताकरण (Codification of Laws) शुरू हुआ।
    • सिविल सेवाओं में भारतीयों को शामिल करने का प्रारंभिक प्रयास।
  • चार्टर अधिनियम, 1853:
    • सिविल सेवकों के लिए खुली प्रतियोगिता प्रणाली की शुरुआत।
    • मैकाले समिति (1854) की नियुक्ति।

2.2. क्राउन का शासन (1858-1947)

  • भारत सरकार अधिनियम, 1858:
    • कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गया।
    • गवर्नर-जनरल का पद बदलकर ‘भारत का वायसराय’ कर दिया गया (लॉर्ड कैनिंग)।
    • भारत के राज्य सचिव (Secretary of State for India) का पद सृजित किया गया।
    • भारतीय सिविल सेवा (ICS) का गठन (1858)।
  • स्थानीय स्वशासन:
    • लॉर्ड मेयो (1870) ने वित्तीय विकेंद्रीकरण की शुरुआत की।
    • लॉर्ड रिपन (1882) को ‘भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक’ माना जाता है। उन्होंने स्थानीय निकायों को अधिक शक्तियाँ प्रदान कीं।
  • पुलिस प्रशासन: पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत एक केंद्रीकृत पुलिस बल का गठन।
  • न्यायिक प्रशासन: भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के तहत उच्च न्यायालयों की स्थापना।
  • भारत सरकार अधिनियम, 1919:
    • प्रांतों में द्वैध शासन (Dyarchy) की शुरुआत।
    • लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) की स्थापना का प्रावधान।
  • भारत सरकार अधिनियम, 1935:
    • प्रांतीय स्वायत्तता (Provincial Autonomy) की शुरुआत।
    • संघीय लोक सेवा आयोग (Federal Public Service Commission) और प्रांतीय लोक सेवा आयोगों का प्रावधान।
    • यह अधिनियम स्वतंत्र भारत की प्रशासनिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण आधार बना।

3. स्वतंत्रता के बाद की प्रशासनिक प्रणाली (Post-Independence Administrative System)

स्वतंत्र भारत ने ब्रिटिश प्रशासनिक ढांचे को अपनाया, लेकिन इसे लोकतांत्रिक और कल्याणकारी राज्य के लक्ष्यों के अनुरूप ढाला।

3.1. निरंतरता और परिवर्तन

  • निरंतरता: भारत ने ICS (जिसे अब भारतीय प्रशासनिक सेवा – IAS, भारतीय पुलिस सेवा – IPS आदि कहा जाता है), राजस्व प्रणाली, न्यायिक प्रणाली और स्थानीय स्वशासन के ब्रिटिश ढांचे को बनाए रखा।
  • परिवर्तन:
    • लोकतांत्रिक और कल्याणकारी राज्य का लक्ष्य: प्रशासन का उद्देश्य अब केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखना नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास और कल्याण को बढ़ावा देना था।
    • योजनाबद्ध विकास: पंचवर्षीय योजनाओं और योजना आयोग (बाद में नीति आयोग) के माध्यम से विकास को दिशा देना।
    • संवैधानिक प्रावधान: अखिल भारतीय सेवाएँ (अनुच्छेद 312), लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315-323)।

3.2. प्रशासनिक सुधार आयोग (Administrative Reforms Commissions – ARC)

  • पहला ARC (1966-70): मोरारजी देसाई (बाद में के. हनुमंतैया) की अध्यक्षता में। इसने केंद्र और राज्य स्तर पर प्रशासन में व्यापक सुधारों की सिफारिश की।
  • दूसरा ARC (2005-09): वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में। इसने ‘सुशासन के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना’ जैसे विभिन्न मुद्दों पर 15 रिपोर्टें प्रस्तुत कीं।

3.3. विकेंद्रीकरण (Decentralization)

  • पंचायती राज संस्थाएँ (PRIs) और नगरपालिकाएँ: 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा दिया गया, जिससे जमीनी स्तर पर शासन में नागरिकों की भागीदारी बढ़ी।

3.4. नागरिक-केंद्रित प्रशासन (Citizen-Centric Administration)

  • सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005: प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए।
  • ई-गवर्नेंस (E-Governance): सरकारी सेवाओं के वितरण में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग, जिससे दक्षता और पहुंच में सुधार होता है।
  • सेवाओं के अधिकार अधिनियम (Right to Services Act): नागरिकों को समयबद्ध तरीके से सरकारी सेवाएँ प्राप्त करने का अधिकार देता है।
  • लोकपाल और लोकायुक्त: भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाएँ।

4. भारतीय प्रशासन के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges to Indian Administration)

भारतीय प्रशासनिक प्रणाली को अपने प्रभावी कामकाज में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

  • भ्रष्टाचार: प्रशासन के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार एक गंभीर चुनौती है।
  • लालफीताशाही और नौकरशाही की जड़ता: प्रक्रियाओं में देरी, जटिलता और जवाबदेही की कमी।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव: निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अस्पष्टता और जवाबदेही की कमी।
  • क्षमताओं का अभाव: सरकारी कर्मचारियों में आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण की कमी।
  • राजनीति का अपराधीकरण और हस्तक्षेप: राजनीतिज्ञों द्वारा प्रशासन में अनुचित हस्तक्षेप।
  • जनता से दूरी: प्रशासन और आम जनता के बीच विश्वास की कमी।
  • विकास और विनियमन के बीच संतुलन: विकास को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय/सामाजिक नियमों का पालन सुनिश्चित करने में चुनौती।

5. निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में प्रशासनिक प्रणाली का विकास ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत एक केंद्रीकृत और नौकरशाही संरचना के रूप में हुआ, जिसने कानून और व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया। स्वतंत्रता के बाद, इस ढांचे को लोकतांत्रिक और कल्याणकारी राज्य के लक्ष्यों के अनुरूप ढाला गया, जिसमें सामाजिक-आर्थिक विकास और नागरिक-केंद्रित शासन पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रशासनिक सुधार आयोगों, विकेंद्रीकरण और ई-गवर्नेंस जैसी पहलों ने शासन की गुणवत्ता में सुधार किया है। हालांकि, भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और राजनीतिक हस्तक्षेप जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। एक कुशल, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन भारत के सतत विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

Previous Post

राजनीतिक समाजीकरण के एजेंसियाँ (Agencies of Political Socialization)

Next Post

संघ राज्य क्षेत्रों और निर्दिष्ट क्षेत्रों का प्रशासन (Administration of Union Territories and Specified Areas)

Next Post

संघ राज्य क्षेत्रों और निर्दिष्ट क्षेत्रों का प्रशासन (Administration of Union Territories and Specified Areas)

राज्य वित्त आयोग: कार्य और भूमिका (State Finance Commission: Functions and Role)

स्थानीय निकायों को शक्तियों का विकेंद्रीकरण (Decentralization of Powers to Local Bodies)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Contact us
  • Disclaimer
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Quiz
  • Static Gk
  • Polity
  • Hindi
  • Geography
  • Economics
  • General Science
  • Uttarakhand
  • History
  • Environment
  • Computer
  • Contact us

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.