परिचय: कोशिका विज्ञान (Cytology)
कोशिका विज्ञान (Cytology) जीव विज्ञान की वह शाखा है जो कोशिकाओं की संरचना, कार्य, और उनके व्यवहार का अध्ययन करती है। कोशिका जीवन की सबसे छोटी, मौलिक और संरचनात्मक इकाई है। 1665 में रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने सबसे पहले कॉर्क की पतली परत में मृत कोशिकाओं को देखा और उन्हें ‘सेल’ (Cell) नाम दिया। बाद में, एंटनी वॉन ल्यूवेनहॉक ने पहली बार जीवित कोशिकाओं का अवलोकन किया।
कोशिका सिद्धांत (Cell Theory)
कोशिका सिद्धांत को 1839 में मैथियास श्लीडेन (Matthias Schleiden) और थियोडोर श्वान (Theodor Schwann) ने प्रतिपादित किया था। बाद में रुडोल्फ विरचो (Rudolf Virchow) ने इसे विस्तारित किया। इसके मुख्य बिंदु हैं:
- सभी जीव एक या एक से अधिक कोशिकाओं से बने होते हैं।
- कोशिका जीवन की संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई है।
- सभी नई कोशिकाएँ पहले से मौजूद कोशिकाओं के विभाजन से उत्पन्न होती हैं (Omnis cellula-e-cellula)।
कोशिका के प्रकार (Types of Cell)
संरचना के आधार पर कोशिकाएँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:
1. प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell)
- इन कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) नहीं होती, जिससे आनुवंशिक पदार्थ (DNA) कोशिकाद्रव्य में ‘न्यूक्लिऑइड’ नामक क्षेत्र में बिखरा रहता है।
- इनमें झिल्ली-युक्त कोशिकांग जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गॉल्जी उपकरण आदि नहीं पाए जाते हैं। केवल राइबोसोम (70S प्रकार) पाए जाते हैं।
- ये संरचना में सरल और आकार में छोटी (1-10 माइक्रोमीटर) होती हैं।
- उदाहरण: जीवाणु (Bacteria), साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria), आर्किया (Archaea)।
2. यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell)
- इन कोशिकाओं में एक सुविकसित, झिल्ली-युक्त केन्द्रक होता है।
- इनमें माइटोकॉन्ड्रिया, लाइसोसोम, गॉल्जी उपकरण जैसे सभी झिल्ली-युक्त कोशिकांग पाए जाते हैं। राइबोसोम 80S प्रकार के होते हैं।
- ये संरचना में जटिल और आकार में बड़ी (10-100 माइक्रोमीटर) होती हैं।
- उदाहरण: पादप कोशिका (Plant Cell), जंतु कोशिका (Animal Cell), कवक (Fungi), प्रोटिस्टा (Protista)।
कोशिका की विस्तृत संरचना और कोशिकांग
कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)
यह प्रोटीन और लिपिड (फॉस्फोलिपिड) से बनी एक पतली, लचीली और चयनात्मक-पारगम्य (selectively permeable) झिल्ली होती है। यह कोशिका को आकार देती है और पदार्थों के परिवहन को नियंत्रित करती है।
कोशिका भित्ति (Cell Wall)
यह केवल पादप कोशिकाओं, कवक और जीवाणुओं में पाई जाती है। यह एक निर्जीव, कठोर परत होती है जो कोशिका को संरचनात्मक सहारा और सुरक्षा प्रदान करती है। पादपों में यह सेल्यूलोज, कवक में काइटिन और जीवाणुओं में पेप्टिडोग्लाइकन से बनी होती है।
केन्द्रक (Nucleus)
इसे ‘कोशिका का नियंत्रण केंद्र’ कहा जाता है। यह एक दोहरी झिल्ली (nuclear envelope) से घिरा होता है। इसके अंदर केन्द्रक द्रव्य, क्रोमैटिन (DNA + प्रोटीन) और एक सघन संरचना केंद्रिका (Nucleolus) होती है, जो राइबोसोम का निर्माण करती है।
माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)
इसे ‘कोशिका का ऊर्जा घर’ (Powerhouse of the Cell) कहा जाता है। यह कोशिकीय श्वसन द्वारा ऊर्जा (ATP के रूप में) का उत्पादन करता है। यह भी दोहरी झिल्ली से घिरा होता है और इसका अपना DNA और राइबोसोम होते हैं।
राइबोसोम (Ribosome)
ये प्रोटीन संश्लेषण के स्थल हैं, इसलिए इन्हें ‘प्रोटीन की फैक्ट्री’ भी कहा जाता है। ये केन्द्रक, ER या कोशिकाद्रव्य में स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं।
अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum – ER)
यह झिल्लियों का एक नेटवर्क है। खुरदरी ER (Rough ER) पर राइबोसोम लगे होते हैं और यह प्रोटीन संश्लेषण में मदद करती है। चिकनी ER (Smooth ER) लिपिड और स्टेरॉयड के संश्लेषण तथा विषहरण (detoxification) में मदद करती है।
गॉल्जी उपकरण (Golgi Apparatus)
यह कोशिका में पदार्थों की पैकेजिंग, संशोधन और परिवहन का कार्य करता है। इसे ‘कोशिका का ट्रैफिक पुलिस’ या ‘कोशिका का डाकघर’ भी कहते हैं। यह लाइसोसोम का निर्माण भी करता है।
लाइसोसोम (Lysosome)
इनमें शक्तिशाली पाचक (हाइड्रोलाइटिक) एंजाइम होते हैं। ये बाहरी पदार्थों और खराब हो चुके कोशिकांगों का पाचन करते हैं। कोशिका के क्षतिग्रस्त होने पर ये फट जाते हैं और पूरी कोशिका को पचा जाते हैं, इसलिए इन्हें ‘आत्मघाती थैली’ (Suicidal Bag) भी कहा जाता है।
लवक (Plastids)
ये केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं। हरितलवक (Chloroplast) प्रकाश संश्लेषण करते हैं। वर्णीलवक (Chromoplast) फूलों और फलों को रंग प्रदान करते हैं। अवर्णीलवक (Leucoplast) भोजन (स्टार्च, प्रोटीन, वसा) का संग्रहण करते हैं।
तारककाय (Centrosome)
यह मुख्य रूप से जंतु कोशिकाओं में पाया जाता है और कोशिका विभाजन के दौरान तर्कु तंतुओं (spindle fibers) का निर्माण करता है।
कोशिका विभाजन (Cell Division)
यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक कोशिका विभाजित होकर दो या अधिक संतति कोशिकाओं का निर्माण करती है। यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:
1. समसूत्री विभाजन (Mitosis)
- यह कायिक कोशिकाओं (somatic cells) में होता है।
- इसमें एक मातृ कोशिका से दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं।
- संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान रहती है (2n → 2n)।
- यह शरीर की वृद्धि और मरम्मत के लिए आवश्यक है।
2. अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis)
- यह जनन कोशिकाओं (germ cells) में होता है।
- इसमें एक मातृ कोशिका से चार संतति कोशिकाएँ (युग्मक/gametes) बनती हैं।
- संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका से आधी हो जाती है (2n → n)।
- यह लैंगिक जनन के लिए आवश्यक है और प्रजातियों में आनुवंशिक विविधता लाता है।
पादप और जंतु कोशिका में विस्तृत अंतर
गुण | पादप कोशिका (Plant Cell) | जंतु कोशिका (Animal Cell) |
---|---|---|
कोशिका भित्ति | उपस्थित (सेल्यूलोज से निर्मित) | अनुपस्थित |
आकार | निश्चित, आयताकार या वर्गाकार | अनिश्चित, गोलाकार या अनियमित |
लवक (Plastids) | उपस्थित | अनुपस्थित |
रिक्तिका (Vacuole) | एक बड़ी, केंद्रीय रिक्तिका | छोटी या अनुपस्थित |
तारककाय (Centrosome) | अनुपस्थित (निम्न पादपों को छोड़कर) | उपस्थित |
पोषण | स्वपोषी (Autotrophic) | विषमपोषी (Heterotrophic) |
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य
- सबसे बड़ी कोशिका: शुतुरमुर्ग का अंडा (Ostrich Egg)।
- सबसे छोटी कोशिका: माइकोप्लाज्मा गैलिसेप्टिकम (Mycoplasma gallisepticum)।
- मानव शरीर की सबसे लंबी कोशिका: तंत्रिका कोशिका (Neuron)।
- मानव शरीर की सबसे बड़ी कोशिका: अंडाणु (Ovum)।
- कोशिका झिल्ली का ‘फ्लूइड मोजैक मॉडल’ सिंगर और निकोलसन ने दिया था।
- DNA का डबल हेलिक्स मॉडल वाटसन और क्रिक ने दिया था।
- ATP का पूरा नाम एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine Triphosphate) है, जिसे ‘ऊर्जा मुद्रा’ (Energy Currency) भी कहते हैं।