परिचय: जंतु जगत का वर्गीकरण
जंतु जगत (Kingdom Animalia) सबसे विविध जगतों में से एक है। लाखों प्रजातियों को व्यवस्थित रूप से अध्ययन करने के लिए, वैज्ञानिकों ने उन्हें उनकी शारीरिक संरचना, समरूपता, और विकासवादी संबंधों के आधार पर विभिन्न स्तरों में वर्गीकृत किया है। वर्गीकरण का सर्वोच्च स्तर संघ (Phylum) है।
वर्गीकरण का आधार
जंतुओं को मुख्य रूप से नोटोकॉर्ड (Notochord) या पृष्ठरज्जु की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर दो प्रमुख समूहों में बांटा गया है:
- अकशेरुकी (Invertebrates): इन जंतुओं में नोटोकॉर्ड या रीढ़ की हड्डी नहीं पाई जाती है। यह जंतु जगत का सबसे बड़ा समूह है।
- कशेरुकी/कॉर्डेटा (Vertebrates/Chordata): इन जंतुओं में जीवन की किसी न किसी अवस्था में नोटोकॉर्ड अवश्य पाया जाता है, जो बाद में रीढ़ की हड्डी में विकसित हो सकता है।
प्रमुख अकशेरुकी संघ (Major Invertebrate Phyla)
| संघ (Phylum) | मुख्य विशेषताएँ (Key Characteristics) | उदाहरण (Examples) |
|---|---|---|
| पोरीफेरा (Porifera) | शरीर पर असंख्य छिद्र, सरलतम बहुकोशिकीय जीव। | स्पंज (Sponges) |
| सीलेन्ट्रेटा (Coelenterata) | दंश कोशिकाएं (Stinging cells) पाई जाती हैं, शरीर में एक गुहा होती है। | हाइड्रा, जेलीफिश, मूंगा |
| प्लेटीहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes) | चपटा शरीर, अधिकांश परजीवी होते हैं। | फीता कृमि, प्लेनेरिया |
| एस्केल्मिन्थीज (Aschelminthes) | गोल कृमि, अखंडित शरीर। | एस्केरिस (गोलकृमि) |
| एनेलिडा (Annelida) | शरीर खंडों में बंटा होता है, वास्तविक देहगुहा। | केंचुआ, जोंक |
| आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) | जंतु जगत का सबसे बड़ा संघ। संयुक्त पैर, शरीर काइटिन के बाह्यकंकाल से ढका होता है। | कीड़े, मकड़ी, बिच्छू, केकड़ा |
| मोलस्का (Mollusca) | दूसरा सबसे बड़ा संघ। कोमल शरीर, जो अक्सर कैल्शियम कार्बोनेट के कवच से ढका होता है। | घोंघा, सीप, ऑक्टोपस |
| इकाइनोडर्मेटा (Echinodermata) | त्वचा पर कांटे, समुद्री जीव, जल संवहन तंत्र पाया जाता है। | तारा मछली (Starfish), समुद्री अर्चिन |
संघ कॉर्डेटा (Phylum Chordata)
कॉर्डेटा संघ के सभी सदस्यों में तीन मौलिक लक्षण होते हैं: एक नोटोकॉर्ड, एक पृष्ठीय खोखली तंत्रिका रज्जु, और क्लोम छिद्र। इसे मुख्य रूप से कशेरुकी (Vertebrata) उपसंघ में विभाजित किया गया है, जिसकी मुख्य श्रेणियां हैं:
- मत्स्य (Pisces): ये जलीय जीव हैं जो गलफड़ों से श्वसन करते हैं। हृदय में दो कक्ष होते हैं। उदाहरण: रोहू, शार्क।
- उभयचर (Amphibia): ये जल और स्थल दोनों पर रह सकते हैं। त्वचा नम होती है। हृदय में तीन कक्ष होते हैं। उदाहरण: मेंढक, सैलामैंडर।
- सरीसृप (Reptilia): ये रेंगने वाले जंतु हैं, त्वचा सूखी और शल्कों से ढकी होती है। हृदय आमतौर पर तीन कक्षीय होता है (मगरमच्छ को छोड़कर)। उदाहरण: सांप, छिपकली, कछुआ, मगरमच्छ।
- पक्षी (Aves): शरीर पंखों से ढका होता है, अग्रपाद पंखों में रूपांतरित होते हैं। हृदय में चार कक्ष होते हैं। ये गर्म रक्त वाले होते हैं। उदाहरण: कबूतर, मोर, गौरैया।
- स्तनधारी (Mammalia): शरीर पर बाल और स्तन ग्रंथियां पाई जाती हैं। हृदय में चार कक्ष होते हैं। ये गर्म रक्त वाले होते हैं और बच्चों को जन्म देते हैं। उदाहरण: मनुष्य, हाथी, व्हेल, चमगादड़।
निष्कर्ष
जंतु जगत का वर्गीकरण हमें इन विविध जीवों के बीच संबंधों को समझने में मदद करता है। सरल स्पंज से लेकर जटिल स्तनधारियों तक, प्रत्येक संघ और वर्ग जीवन के विकास की एक अनूठी कहानी बताता है। यह वर्गीकरण जैविक अनुसंधान, संरक्षण और पारिस्थितिकी को समझने के लिए एक अनिवार्य उपकरण है।
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