परिचय: वान डी ग्राफ़ जनरेटर
वान डी ग्राफ़ जनरेटर एक स्थिरविद्युत जनरेटर है जिसका आविष्कार 1929 में रॉबर्ट जे. वान डी ग्राफ़ द्वारा किया गया था। यह एक बड़े खोखले धातु के गोले पर बहुत उच्च विद्युत विभव (लाखों वोल्ट तक) उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है।
सिद्धांत (Principle)
वान डी ग्राफ़ जनरेटर दो मुख्य स्थिरविद्युत सिद्धांतों पर कार्य करता है:
- कोरोना विसर्जन (Corona Discharge): नुकीले चालकों पर आवेश घनत्व बहुत अधिक होता है, जिससे आसपास की हवा आयनित हो जाती है और आवेश का क्षरण (रिसाव) होने लगता है। इसे कोरोना विसर्जन कहते हैं।
- खोखले चालक पर आवेश: किसी खोखले चालक को दिया गया कोई भी आवेश उसकी बाहरी सतह पर समान रूप से वितरित हो जाता है। चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है।
संरचना (Construction)
इसके मुख्य भाग निम्नलिखित हैं:
- बड़ा खोखला गोला (S): एक बड़ा, खोखला, सुचालक गोला जो कुचालक स्तंभों पर टिका होता है।
- घिरनियाँ (P₁ और P₂): दो घिरनियाँ, जिनमें से एक (P₁) मोटर से चलती है।
- बेल्ट (B): एक कुचालक पदार्थ (जैसे रेशम या रबर) से बनी एक अंतहीन बेल्ट जो दोनों घिरनियों पर घूमती है।
- कंघियाँ (C₁ और C₂): धातु की दो नुकीली कंघियाँ। कंघी C₁ (स्प्रे कंघी) को उच्च विभव स्रोत से जोड़ा जाता है, और कंघी C₂ (संग्राहक कंघी) को गोले S की आंतरिक सतह से जोड़ा जाता है।
कार्यप्रणाली (Working)
- निचली कंघी C₁ को एक उच्च-वोल्टेज स्रोत से धनात्मक आवेश दिया जाता है।
- कोरोना विसर्जन के कारण, C₁ के नुकीले सिरों से धनात्मक आवेश बेल्ट पर स्प्रे हो जाता है।
- घूमती हुई बेल्ट इस धनात्मक आवेश को ऊपर की ओर ले जाती है।
- जब आवेशित बेल्ट ऊपरी कंघी C₂ के पास पहुँचती है, तो प्रेरण द्वारा C₂ के नुकीले सिरों पर ऋणात्मक आवेश और गोले की बाहरी सतह पर धनात्मक आवेश प्रेरित होता है।
- C₂ से ऋणात्मक आवेश का कोरोना विसर्जन होता है, जो बेल्ट के धनात्मक आवेश को उदासीन कर देता है।
- गोले की बाहरी सतह पर प्रेरित धनात्मक आवेश वहीं जमा हो जाता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, जिससे गोले पर भारी मात्रा में आवेश जमा हो जाता है और उसका विभव बहुत अधिक (लाखों वोल्ट) हो जाता है।
अनुप्रयोग (Applications)
- कण त्वरक (Particle Accelerators): इसका मुख्य उपयोग प्रोटॉन, ड्यूटेरॉन जैसे आवेशित कणों को उच्च ऊर्जा तक त्वरित करने के लिए किया जाता है, जिनका उपयोग नाभिकीय भौतिकी में अनुसंधान के लिए होता है।
- उच्च वोल्टेज उत्पन्न करना: भौतिकी प्रयोगों के लिए बहुत उच्च विभवांतर उत्पन्न करने के लिए।