परिचय: धारा का चुंबकीय प्रभाव
1820 में, हैंस क्रिश्चियन ऑस्ट्रेड ने खोज की कि जब किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। यह खोज विद्युत और चुंबकत्व के बीच संबंध स्थापित करने में एक मील का पत्थर थी।
बायो-सेवर्ट का नियम (Biot-Savart Law)
यह नियम किसी धारावाही चालक के एक छोटे अवयव (current element) के कारण किसी बिंदु पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान बताता है।
सूत्र
एक छोटे अवयव dl के कारण चुंबकीय क्षेत्र dB:
dB = (μ₀/4π) * (I dl sinθ) / r²
जहाँ μ₀ निर्वात की चुंबकशीलता है।
एम्पीयर का परिपथीय नियम (Ampere’s Circuital Law)
यह नियम किसी बंद लूप के परितः चुंबकीय क्षेत्र और उस लूप से गुजरने वाली कुल धारा के बीच संबंध बताता है।
कथन: “किसी बंद वक्र के परितः चुंबकीय क्षेत्र (B) का रेखीय समाकलन उस वक्र द्वारा घिरे क्षेत्रफल से गुजरने वाली कुल धारा (I) का μ₀ गुना होता है।”
सूत्र
∮ B · dl = μ₀I
चुंबकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर बल (लॉरेंत्ज़ बल)
जब q आवेश वाला कोई कण v वेग से एक चुंबकीय क्षेत्र B में गति करता है, तो उस पर एक बल लगता है, जिसे लॉरेंत्ज़ बल कहते हैं।
सूत्र
बल का परिमाण:
F = qvBsinθ
जहाँ θ, वेग v और चुंबकीय क्षेत्र B के बीच का कोण है। बल की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण
प्रश्न: एक इलेक्ट्रॉन (आवेश = 1.6 × 10⁻¹⁹ C) 3 × 10⁶ m/s के वेग से 0.5 T के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
हल:
दिया है:
q = 1.6 × 10⁻¹⁹ C
v = 3 × 10⁶ m/s
B = 0.5 T
θ = 90° (क्योंकि वेग क्षेत्र के लंबवत है), sin90° = 1
सूत्र: F = qvBsinθ
F = (1.6 × 10⁻¹⁹) × (3 × 10⁶) × (0.5) × 1
F = 2.4 × 10⁻¹³ N
F = 2.4 × 10⁻¹³ N