परिचय: रेडियोधर्मी क्षय
रेडियोधर्मी क्षय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अस्थिर परमाणु नाभिक कणों या ऊर्जा का उत्सर्जन करके अधिक स्थिर अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। यह एक स्वतः होने वाली प्रक्रिया है। अस्थिर नाभिकों में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का अनुपात असंतुलित होता है। स्थिरता प्राप्त करने के लिए, ये नाभिक तीन मुख्य प्रकार के विकिरण उत्सर्जित करते हैं: अल्फा, बीटा और गामा।
अल्फा (α) क्षय
परिभाषा: अल्फा क्षय में, एक अस्थिर नाभिक एक अल्फा कण का उत्सर्जन करता है। अल्फा कण एक हीलियम नाभिक (²⁴He) होता है, जिसमें दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन होते हैं।
- यह क्षय आमतौर पर भारी नाभिकों में होता है जिनका परमाणु क्रमांक 82 से अधिक होता है।
- अल्फा कण के उत्सर्जन से, मूल नाभिक का परमाणु क्रमांक (Z) 2 कम हो जाता है और द्रव्यमान संख्या (A) 4 कम हो जाती है, जिससे एक नया तत्व बनता है।
सामान्य समीकरण
ᴬZ X → ᴬ⁻⁴Z₋₂Y + ⁴₂He (α-कण)
बीटा (β) क्षय
बीटा क्षय में, नाभिक के अंदर एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन में या एक प्रोटॉन एक न्यूट्रॉन में बदल जाता है, जिससे एक बीटा कण उत्सर्जित होता है। यह दो प्रकार का होता है:
बीटा-माइनस (β⁻) क्षय
इसमें, एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन, एक इलेक्ट्रॉन (β⁻ कण) और एक एंटीन्यूट्रिनो में बदल जाता है। परमाणु क्रमांक 1 बढ़ जाता है, लेकिन द्रव्यमान संख्या अपरिवर्तित रहती है।
सामान्य समीकरण
ᴬZ X → ᴬZ₊₁Y + ⁰₋₁e (β⁻) + ν̅
बीटा-प्लस (β⁺) क्षय
इसमें, एक प्रोटॉन एक न्यूट्रॉन, एक पॉज़िट्रॉन (β⁺ कण) और एक न्यूट्रिनो में बदल जाता है। परमाणु क्रमांक 1 कम हो जाता है, लेकिन द्रव्यमान संख्या अपरिवर्तित रहती है।
सामान्य समीकरण
ᴬZ X → ᴬZ₋₁Y + ⁰₊₁e (β⁺) + ν
गामा (γ) क्षय
परिभाषा: गामा क्षय में, एक उत्तेजित नाभिक अपनी अतिरिक्त ऊर्जा को एक उच्च-ऊर्जा फोटॉन (गामा किरण) के रूप में उत्सर्जित करके निम्न ऊर्जा अवस्था में आता है।
- यह क्षय आमतौर पर अल्फा या बीटा क्षय के बाद होता है, जब परिणामी नाभिक एक उत्तेजित अवस्था में होता है।
- गामा क्षय में नाभिक के परमाणु क्रमांक (Z) या द्रव्यमान संख्या (A) में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
सामान्य समीकरण
ᴬZ X* → ᴬZ X + γ (गामा किरण)
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण 1 (अल्फा क्षय)
प्रश्न: यूरेनियम-238 (²³⁸₉₂U) का अल्फा क्षय होता है। परिणामी नाभिक की द्रव्यमान संख्या और परमाणु क्रमांक क्या होगा?
हल:
अल्फा क्षय में, A में 4 की कमी और Z में 2 की कमी होती है।
प्रारंभिक नाभिक: A = 238, Z = 92
नई द्रव्यमान संख्या (A’) = 238 – 4 = 234
नया परमाणु क्रमांक (Z’) = 92 – 2 = 90
परिणामी नाभिक थोरियम-234 (²³⁴₉₀Th) है।
उदाहरण 2 (बीटा क्षय)
प्रश्न: कार्बन-14 (¹⁴₆C) का बीटा-माइनस (β⁻) क्षय होता है। इस अभिक्रिया को लिखिए।
हल:
बीटा-माइनस क्षय में, A समान रहता है और Z में 1 की वृद्धि होती है।
प्रारंभिक नाभिक: A = 14, Z = 6
नई द्रव्यमान संख्या (A’) = 14
नया परमाणु क्रमांक (Z’) = 6 + 1 = 7
परमाणु क्रमांक 7 वाला तत्व नाइट्रोजन (N) है।
अभिक्रिया: ¹⁴₆C → ¹⁴₇N + ⁰₋₁e + ν̅