परिचय: पदार्थ की अवस्थाएं
पदार्थ की अवस्था उसके कणों (परमाणुओं, अणुओं) के बीच लगने वाले अंतराआण्विक बल (intermolecular force) और कणों की तापीय ऊर्जा (thermal energy) के बीच संतुलन द्वारा निर्धारित होती है। सामान्य परिस्थितियों में, हम पदार्थ की तीन मुख्य अवस्थाओं से परिचित हैं: ठोस, द्रव और गैस। इनके अलावा, दो और अवस्थाएं भी हैं: प्लाज्मा और बोस-आइंस्टीन संघनन।
पदार्थ की सामान्य अवस्थाएं
ठोस (Solid)
इस अवस्था में कणों के बीच अंतराआण्विक बल बहुत प्रबल होते हैं, जो उन्हें एक निश्चित स्थान पर बनाए रखते हैं। कण केवल अपनी माध्य स्थिति के चारों ओर कंपन कर सकते हैं। इसी कारण ठोसों का आकार और आयतन निश्चित होता है।
द्रव (Liquid)
द्रवों में, कणों के बीच अंतराआण्विक बल ठोसों की तुलना में कमजोर होते हैं। कण गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं लेकिन एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं। इसलिए, द्रवों का आयतन निश्चित होता है लेकिन आकार अनिश्चित होता है।
गैस (Gas)
गैसों में, कणों के बीच अंतराआण्विक बल लगभग नगण्य होते हैं और कणों की तापीय ऊर्जा बहुत अधिक होती है। वे तेजी से और यादृच्छिक रूप से गति करते हैं, इसलिए उनका न तो निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन।
पदार्थ की अन्य अवस्थाएं
प्लाज्मा (Plasma)
प्लाज्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था माना जाता है। यह एक आयनित गैस है जिसमें धनात्मक आयनों और इलेक्ट्रॉनों का मिश्रण होता है। यह तब बनता है जब किसी गैस को अत्यधिक उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते हैं। सूर्य और तारे मुख्य रूप से प्लाज्मा से बने हैं।
बोस-आइंस्टीन संघनन (Bose-Einstein Condensate – BEC)
यह पदार्थ की पांचवीं अवस्था है, जिसकी भविष्यवाणी सत्येंद्र नाथ बोस और अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी। यह तब बनता है जब बोसॉन (एक प्रकार के कण) के समूह को परम शून्य (-273.15 °C) के बहुत करीब तक ठंडा किया जाता है। इस तापमान पर, सभी परमाणु अपनी न्यूनतम ऊर्जा अवस्था में आ जाते हैं और एक एकल क्वांटम इकाई या “सुपर एटम” की तरह व्यवहार करने लगते हैं।