परिचय: उपसहसंयोजी बंध (Coordinate Covalent Bond)
उपसहसंयोजी बंध एक विशेष प्रकार का सहसंयोजी बंध है जिसमें साझे का इलेक्ट्रॉन युग्म (electron pair) केवल एक ही परमाणु द्वारा प्रदान किया जाता है, लेकिन यह दोनों परमाणुओं द्वारा साझा किया जाता है। इसे दाता-ग्राही बंध (dative bond) भी कहा जाता है।
- दाता (Donor): वह परमाणु जो इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करता है (लुईस क्षार)।
- ग्राही (Acceptor): वह परमाणु जो इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण करता है (लुईस अम्ल)।
इस बंध को एक तीर (→) द्वारा दर्शाया जाता है, जो दाता परमाणु से ग्राही परमाणु की ओर होता है।
उपसहसंयोजी बंध का निर्माण
इस बंध के निर्माण के लिए दो शर्तें आवश्यक हैं:
- दाता परमाणु के पास कम से कम एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म (lone pair of electrons) होना चाहिए।
- ग्राही परमाणु के पास एक खाली कक्षक (empty orbital) होना चाहिए ताकि वह इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर सके।
उपसहसंयोजी यौगिकों के गुण
उपसहसंयोजी बंध में सहसंयोजी और आयनिक दोनों बंधों के कुछ गुण होते हैं।
- विलेयता (Solubility): ये यौगिक आमतौर पर ध्रुवीय विलायकों में अविलेय होते हैं लेकिन अध्रुवीय विलायकों में विलेय होते हैं।
- गलनांक और क्वथनांक: इनके गलनांक और क्वथनांक सहसंयोजी यौगिकों से अधिक लेकिन आयनिक यौगिकों से कम होते हैं।
- विद्युत चालकता: सहसंयोजी यौगिकों की तरह, ये भी सामान्यतः विद्युत के कुचालक होते हैं।
- स्थायित्व: ये बंध सहसंयोजी बंधों की तरह ही स्थायी और दिशात्मक होते हैं।
संख्यात्मक उदाहरण
उदाहरण 1: अमोनियम आयन (NH₄⁺) का बनना
प्रश्न: अमोनिया (NH₃) और हाइड्रोजन आयन (H⁺) के बीच अभिक्रिया में दाता और ग्राही की पहचान करें।
हल:
1. अमोनिया (NH₃): नाइट्रोजन के बाह्यतम कोश में 5 इलेक्ट्रॉन होते हैं। 3 हाइड्रोजन के साथ 3 एकल बंध बनाने के बाद, नाइट्रोजन के पास एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म (lone pair) बचता है।
2. हाइड्रोजन आयन (H⁺): इसके पास कोई इलेक्ट्रॉन नहीं होता है, इसलिए इसका 1s कक्षक पूरी तरह से खाली होता है।
3. अभिक्रिया: नाइट्रोजन अपना एकाकी युग्म हाइड्रोजन आयन के खाली कक्षक को दान करता है।
NH₃ + H⁺ → [NH₄]⁺
निष्कर्ष: यहाँ, अमोनिया (NH₃) दाता (Donor) है और हाइड्रोजन आयन (H⁺) ग्राही (Acceptor) है।
उदाहरण 2: BF₃·NH₃ का बनना
प्रश्न: अमोनिया (NH₃) और बोरॉन ट्राइफ्लोराइड (BF₃) के बीच अभिक्रिया में उपसहसंयोजी बंध कैसे बनता है?
हल:
1. अमोनिया (NH₃): जैसा कि ऊपर बताया गया है, नाइट्रोजन के पास एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म है।
2. बोरॉन ट्राइफ्लोराइड (BF₃): बोरॉन के बाह्यतम कोश में 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं। 3 फ्लोरीन के साथ 3 एकल बंध बनाने के बाद भी, बोरॉन का अष्टक अधूरा रहता है (केवल 6 इलेक्ट्रॉन)। इसके पास एक खाली p-कक्षक होता है।
3. अभिक्रिया: अमोनिया का नाइट्रोजन अपना एकाकी युग्म बोरॉन के खाली कक्षक में दान करके एक उपसहसंयोजी बंध बनाता है।
H₃N: + BF₃ → H₃N → BF₃
निष्कर्ष: इस अभिक्रिया में भी, NH₃ दाता है और BF₃ ग्राही है।