परिचय: कोलाइड के विशिष्ट गुण
कोलाइड, वास्तविक विलयन और निलंबन के बीच की एक मध्यवर्ती अवस्था है। अपने कणों के विशेष आकार के कारण, कोलाइड कुछ अद्वितीय गुण प्रदर्शित करते हैं जो उन्हें अन्य मिश्रणों से अलग करते हैं। इनमें अपोहन, ब्राउनी गति और स्कंदन प्रमुख हैं।
अपोहन (Dialysis)
परिभाषा: अपोहन एक कोलाइडल विलयन को उसमें घुली हुई अशुद्धियों (क्रिस्टलॉयड) से शुद्ध करने की प्रक्रिया है।
सिद्धांत: यह सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि कोलाइडल कण एक अर्ध-पारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane), जैसे पार्चमेंट पेपर या सेलोफेन, से नहीं गुजर सकते, जबकि आयनों या छोटे अणुओं जैसी अशुद्धियाँ इससे गुजर सकती हैं।
- अनुप्रयोग: इसका सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा अनुप्रयोग हीमोडायलिसिस है, जिसमें कृत्रिम किडनी मशीन द्वारा रक्त को शुद्ध किया जाता है।
ब्राउनी गति (Brownian Motion)
परिभाषा: जब एक कोलाइडल विलयन को एक शक्तिशाली माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाता है, तो कोलाइडल कण लगातार, तेजी से और टेढ़ी-मेढ़ी (zigzag) गति करते हुए दिखाई देते हैं। इस गति को ब्राउनी गति कहते हैं, जिसे रॉबर्ट ब्राउन ने खोजा था।
- कारण: यह गति परिक्षेपण माध्यम के अणुओं द्वारा कोलाइडल कणों पर होने वाली असमान बमबारी के कारण होती है।
- महत्व: यह गति कोलाइडल कणों को गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे बैठने से रोकती है और कोलाइडल विलयन को स्थायित्व प्रदान करती है।
स्कंदन (Coagulation)
परिभाषा: स्कंदन वह प्रक्रिया है जिसमें कोलाइडल कण एक साथ मिलकर बड़े समुच्चय बनाते हैं और गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे बैठ जाते हैं। इसे अवक्षेपण भी कहा जाता है।
कोलाइडल कणों पर समान विद्युत आवेश होता है, जो उन्हें एक-दूसरे से प्रतिकर्षित करता है और उन्हें स्थायी रखता है। स्कंदन इस आवेश को उदासीन करके किया जाता है।
- विधि: स्कंदन आमतौर पर एक विद्युत अपघट्य (electrolyte) मिलाकर किया जाता है। विद्युत अपघट्य के विपरीत आवेशित आयन कोलाइडल कणों को उदासीन कर देते हैं।
- हार्डी-शुल्ज़ नियम (Hardy-Schulze Rule): किसी आयन की स्कंदन क्षमता उसकी संयोजकता (valency) पर निर्भर करती है। आयन की संयोजकता जितनी अधिक होगी, उसकी स्कंदन क्षमता उतनी ही अधिक होगी। उदाहरण: Al³⁺ > Mg²⁺ > Na⁺