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वृतीय गति (Circular Motion)

परिचय: वृत्तीय गति (Circular Motion)

जब कोई कण या वस्तु किसी वृत्त की परिधि पर गति करती है, तो उसकी गति को वृत्तीय गति कहते हैं। यदि कण एकसमान चाल से गति करता है, तो इसे एकसमान वृत्तीय गति (Uniform Circular Motion) कहा जाता है।

  • एकसमान वृत्तीय गति में, कण की चाल (speed) नियत रहती है, लेकिन वेग (velocity) लगातार बदलता रहता है क्योंकि गति की दिशा हर बिंदु पर बदलती है।
  • वेग में परिवर्तन के कारण, यह एक त्वरित गति है।

कोणीय चर (Angular Variables)

  • कोणीय विस्थापन (Angular Displacement, θ): किसी निश्चित समय में कण द्वारा वृत्त के केंद्र पर बनाया गया कोण। इसका मात्रक रेडियन (rad) है।
  • कोणीय वेग (Angular Velocity, ω): कोणीय विस्थापन की दर। (ω = Δθ / Δt)। इसका मात्रक रेडियन/सेकंड (rad/s) है।
  • रेखीय वेग और कोणीय वेग में संबंध: v = rω, जहाँ r वृत्त की त्रिज्या है।

अभिकेंद्रीय त्वरण और बल

अभिकेंद्रीय त्वरण (Centripetal Acceleration, aₙ)

एकसमान वृत्तीय गति में, वेग की दिशा में निरंतर परिवर्तन के कारण एक त्वरण उत्पन्न होता है। इस त्वरण की दिशा हमेशा वृत्त के केंद्र की ओर होती है। इसे अभिकेंद्रीय त्वरण कहते हैं।

अभिकेंद्रीय त्वरण का सूत्र: aₙ = v²/r = rω²

व्युत्पत्ति: (कैलकुलस विधि द्वारा)
मान लीजिए किसी कण की स्थिति सदिश r = R(cosωt î + sinωt ĵ) है।
वेग, v = dr/dt = Rω(-sinωt î + cosωt ĵ)
त्वरण, a = dv/dt = Rω²(-cosωt î – sinωt ĵ) = -ω² [R(cosωt î + sinωt ĵ)]
a = -ω²r
यहाँ ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि त्वरण की दिशा त्रिज्या सदिश के विपरीत (केंद्र की ओर) है।
परिमाण में, a = ω²r. चूँकि v = rω, तो a = (v/r)²r = v²/r.
अतः, aₙ = v²/r = rω²

अभिकेंद्रीय बल (Centripetal Force, Fₙ)

न्यूटन के दूसरे नियम के अनुसार, त्वरण उत्पन्न करने के लिए बल की आवश्यकता होती है। वृत्तीय गति में, जो बल वस्तु को वृत्तीय पथ पर बनाए रखता है और केंद्र की ओर कार्य करता है, उसे अभिकेंद्रीय बल कहते हैं।

अभिकेंद्रीय बल का सूत्र: Fₙ = mv²/r = mrω²

व्युत्पत्ति: न्यूटन के द्वितीय नियम से, F = ma
यहाँ a = aₙ = v²/r
अतः, Fₙ = mv²/r
v = rω रखने पर, Fₙ = m(rω)²/r = mrω²

वृत्तीय गति के उदाहरण

  • सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति: यहाँ गुरुत्वाकर्षण बल अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है।
  • परमाणु में नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन की गति: यहाँ स्थिरवैद्युत बल अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है।
  • मोड़ पर कार की गति: यहाँ सड़क और टायरों के बीच घर्षण बल अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है।
  • डोरी से बंधे पत्थर को घुमाना: यहाँ डोरी में तनाव बल अभिकेंद्रीय बल प्रदान करता है।

संख्यात्मक उदाहरण

उदाहरण

प्रश्न: 0.5 kg द्रव्यमान का एक पत्थर 1 m लंबी डोरी से बंधा है और 2 rad/s के कोणीय वेग से क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है। पत्थर पर लगने वाले अभिकेंद्रीय बल की गणना कीजिए।

हल:
दिया है: m = 0.5 kg, r = 1 m, ω = 2 rad/s

अभिकेंद्रीय बल का सूत्र है: Fₙ = mrω²
Fₙ = 0.5 × 1 × (2)²
Fₙ = 0.5 × 4
Fₙ = 2 N

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