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पर्यावरणीय मुद्दे और शैल (Environmental Issues and Rocks)

1. परिचय (Introduction)

चट्टानें पृथ्वी के महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं, जो उद्योगों, ऊर्जा और निर्माण के लिए कच्चा माल प्रदान करती हैं। हालांकि, इन चट्टानों से खनिजों का निष्कर्षण, जिसे खनन (Mining) कहा जाता है, कई गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे विभिन्न प्रकार की चट्टानों का दोहन विशिष्ट पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़ा हुआ है।

2. खनन के सामान्य पर्यावरणीय प्रभाव (General Environmental Impacts of Mining)

  • भूमि क्षरण और वनों की कटाई (Land Degradation and Deforestation): ओपन-कास्ट खनन के लिए बड़े पैमाने पर भूमि को साफ करना पड़ता है, जिससे वनों की कटाई होती है और भूमि बंजर हो जाती है।
  • मृदा अपरदन (Soil Erosion): वनस्पति के हटने से मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत हवा और पानी से आसानी से बह जाती है।
  • जल प्रदूषण (Water Pollution): खानों से निकलने वाला पानी अक्सर भारी धातुओं (Heavy Metals) और रसायनों से दूषित होता है, जो सतही और भूमिगत जल स्रोतों को प्रदूषित करता है।
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution): खनन गतिविधियों, जैसे ब्लास्टिंग और परिवहन, से भारी मात्रा में धूल और जहरीली गैसें निकलती हैं।
  • जैव विविधता का क्षरण (Loss of Biodiversity): खनन से वनस्पतियों और जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं।

3. विभिन्न चट्टानों से जुड़े विशिष्ट पर्यावरणीय मुद्दे

A. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)

  • कोयला खनन:
    • अम्ल वर्षा (Acid Rain): कोयले में मौजूद सल्फर जलने पर सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) बनाता है, जो वायुमंडल में पानी के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक एसिड बनाता है, जिससे अम्ल वर्षा होती है।
    • भूमिगत आग (Underground Fires): कोयला खदानों में आग लगना एक आम समस्या है, जैसा कि झरिया, झारखंड में देखा गया है, जिससे लगातार जहरीली गैसें निकलती हैं।
    • भूमि धँसान (Land Subsidence): भूमिगत खनन के कारण ऊपर की जमीन धँस सकती है।
  • चूना पत्थर का खनन (Limestone Quarrying):
    • धूल प्रदूषण: चूना पत्थर के उत्खनन और सीमेंट संयंत्रों से निकलने वाली धूल आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनती है।
    • कार्बन उत्सर्जन: सीमेंट बनाने की प्रक्रिया में चूना पत्थर को गर्म करने से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) निकलती है, जो एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है।

B. आग्नेय और कायांतरित चट्टानें (Igneous and Metamorphic Rocks)

  • धात्विक अयस्क खनन (Metallic Ore Mining): (जैसे लोहा, तांबा, जस्ता)
    • अम्ल खान जल निकासी (Acid Mine Drainage – AMD): जब सल्फाइड युक्त चट्टानें (जैसे तांबा अयस्क) हवा और पानी के संपर्क में आती हैं, तो वे सल्फ्यूरिक एसिड बनाती हैं। यह अम्लीय पानी नदियों में बहकर जलीय जीवन को नष्ट कर देता है।
    • भारी धातु संदूषण (Heavy Metal Contamination): खानों से निकलने वाले अपशिष्ट जल में सीसा, कैडमियम, और आर्सेनिक जैसी जहरीली भारी धातुएं हो सकती हैं, जो खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकती हैं।
    • टेलिंग्स (Tailings): अयस्क प्रसंस्करण के बाद बचे हुए अपशिष्ट पदार्थ, जिन्हें टेलिंग्स कहा जाता है, अक्सर बांधों में संग्रहीत किए जाते हैं, जिनके टूटने का खतरा बना रहता है।
  • रेडियोधर्मी खनिज खनन (Radioactive Mineral Mining): (जैसे यूरेनियम)
    • विकिरण का खतरा: यूरेनियम के खनन और प्रसंस्करण से रेडियोधर्मी कचरा उत्पन्न होता है, जिसका सुरक्षित निपटान एक बड़ी चुनौती है और यह श्रमिकों तथा स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

4. शमन और प्रबंधन (Mitigation and Management)

  • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment – EIA): किसी भी नई खनन परियोजना को शुरू करने से पहले उसके संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करना अनिवार्य है।
  • खान सुधार (Mine Reclamation): खनन पूरा होने के बाद भूमि को उसकी मूल स्थिति में या एक उपयोगी स्थिति में बहाल करना, जिसमें वृक्षारोपण और जल निकायों का पुनरुद्धार शामिल है।
  • टिकाऊ खनन प्रथाएँ (Sustainable Mining Practices): पानी के पुनर्चक्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण को कम करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना।
  • अवैध खनन पर रोक: “रैट-होल माइनिंग” जैसी असुरक्षित और अवैध खनन प्रथाओं पर सख्त कार्रवाई।
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