महाद्वीपों का भूवैज्ञानिक महत्व (Geological Significance of Continents)
भूवैज्ञानिक संरचना और खनिज संपदा (Geological Structure and Mineral Wealth)
महाद्वीपों की भूवैज्ञानिक संरचना और खनिज संपदा का वैश्विक अर्थव्यवस्था और भूविज्ञान में अत्यधिक महत्व है:
- एशिया:
- हिमालय और तिब्बती पठार जैसे युवा पर्वतीय क्षेत्र।
- खनिज संपदा: पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, और बहुमूल्य धातु (सोना, तांबा)।
- अफ्रीका:
- क्रेटॉनिक संरचना और हीरे तथा प्लेटिनम के लिए प्रसिद्ध।
- खनिज: यूरेनियम, कोबाल्ट, और क्रोमाइट।
- यूरोप:
- आल्प्स और बाल्कन पर्वत।
- खनिज: लौह अयस्क, कोयला, और औद्योगिक खनिज।
- उत्तरी अमेरिका:
- एपलाचियन और रॉकी पर्वत।
- खनिज: शेल गैस, तेल, और तांबा।
- दक्षिण अमेरिका:
- एंडीज पर्वत और अमेज़न बेसिन।
- खनिज: लिथियम, तांबा, और चांदी।
- ऑस्ट्रेलिया:
- प्राचीन क्रेटॉन और ग्रेट डिवाइडिंग रेंज।
- खनिज: बॉक्साइट, लौह अयस्क, और सोना।
भूगर्भीय समयमान और घटनाएँ (Geological Time Scale and Events)
भूगर्भीय समयमान पृथ्वी के इतिहास और महाद्वीपों के विकास को समझने में सहायक है:
- प्रीकैम्ब्रियन युग:
- पृथ्वी का प्रारंभिक निर्माण और प्राचीन क्रेटॉन का विकास।
- महाद्वीपीय पर्पटी का निर्माण।
- पेलियोजोइक युग:
- पैंजिया सुपरकॉन्टिनेंट का निर्माण।
- प्राचीन समुद्री जीवन और पहले स्थलीय पौधे।
- मेसोजोइक युग:
- गोंडवाना और लॉरेशिया का विभाजन।
- डायनासोर और जिम्नोस्पर्म का विकास।
- सेनोजोइक युग:
- आधुनिक महाद्वीपों का निर्माण।
- मानव और स्तनधारी जीवों का उदय।
परीक्षापयोगी तथ्य
- अफ्रीका में दुनिया के कुल हीरे का 50% उत्पादन होता है।
- पैंजिया का विभाजन लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले हुआ था।
- अमेज़न बेसिन में लिथियम और अन्य खनिजों का बड़ा भंडार है।
- ऑस्ट्रेलिया बॉक्साइट का सबसे बड़ा निर्यातक है।
- हिमालय पृथ्वी का सबसे युवा पर्वतीय क्षेत्र है।