अंतरराष्ट्रीय कानून और समुद्र (International Law and Seas)
UNCLOS और समुद्री अधिकार (United Nations Convention on the Law of the Sea – UNCLOS)
संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून सम्मेलन (UNCLOS) समुद्र और महासागरों के उपयोग को नियंत्रित करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसे “समुद्र का संविधान” भी कहा जाता है।
- मुख्य उद्देश्य:
- समुद्री सीमा और क्षेत्रीय जल का निर्धारण।
- समुद्री संसाधनों का उचित और टिकाऊ उपयोग।
- समुद्र में नौवहन की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- समुद्री क्षेत्र का वर्गीकरण:
- आंतरिक जल (Internal Waters)
- क्षेत्रीय जल (Territorial Waters) – 12 समुद्री मील।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) – 200 समुद्री मील।
- समुद्र में पर्यावरण संरक्षण।
- समुद्री विवादों का निपटारा।
- समुद्री क्षेत्र का वर्गीकरण:
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zones – EEZs)
विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZs) वह समुद्री क्षेत्र है जो तटीय देश को 200 समुद्री मील (370 किलोमीटर) तक समुद्री संसाधनों के अन्वेषण और उपयोग का अधिकार देता है। EEZs का उद्देश्य समुद्र के आर्थिक लाभ को बढ़ाना है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- तटीय देश को मत्स्य पालन, तेल और गैस जैसे संसाधनों पर विशेष अधिकार।
- अन्य देशों को EEZs में नौवहन और केबल बिछाने की स्वतंत्रता।
- महत्त्व:
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान।
- संसाधनों के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग।
- समुद्री विवादों का समाधान।
- उदाहरण:
- भारत का EEZ क्षेत्र लगभग 2.37 मिलियन वर्ग किलोमीटर है।
- दक्षिण चीन सागर के EEZ पर क्षेत्रीय विवाद।