उत्तराखंड, अपनी प्रचुर जलविद्युत क्षमता के अतिरिक्त, सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता और दूरस्थ क्षेत्रों में विद्युतीकरण के लिए इन वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का महत्व बढ़ रहा है।
उत्तराखंड में सौर और पवन ऊर्जा
- उत्तराखंड सरकार ने 29 जनवरी 2008 को नवीकरणीय ऊर्जा नीति की घोषणा की, जिसका उद्देश्य गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना था।
- उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (UREDA) राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है।
- सौर ऊर्जा के लिए राज्य में अच्छी संभावनाएँ हैं, विशेषकर खुले और धूप वाले मैदानी तथा कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में।
- पवन ऊर्जा की क्षमता राज्य में सीमित है, मुख्यतः भौगोलिक और स्थलाकृतिक बाधाओं के कारण।
सौर ऊर्जा (Solar Energy) ☀️
उत्तराखंड में वर्ष भर पर्याप्त सौर विकिरण प्राप्त होता है, जिससे सौर ऊर्जा उत्पादन की अच्छी संभावनाएँ हैं।
1. सौर ऊर्जा की क्षमता और वर्तमान स्थिति
- राज्य में सौर ऊर्जा की अनुमानित क्षमता काफी अधिक है, विशेषकर रूफटॉप सोलर और सौर पार्कों के माध्यम से।
- वर्तमान में, विभिन्न क्षमताओं के ग्रिड-कनेक्टेड और ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
- ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल के मैदानी भागों में बड़े सौर संयंत्रों के लिए अधिक उपयुक्तता है।
- पर्वतीय क्षेत्रों में विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा प्रणालियाँ (जैसे सोलर होम लाइटिंग, सोलर स्ट्रीट लाइट, सोलर वाटर हीटर) दूरस्थ गाँवों के विद्युतीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
2. सौर ऊर्जा नीतियाँ और योजनाएँ
- उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति (Uttarakhand Solar Power Policy): समय-समय पर संशोधित होती रही है (जैसे 2013, 2018)। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- नीति के तहत रूफटॉप सोलर परियोजनाओं, बड़े सौर पार्कों और नहरों के ऊपर सौर संयंत्रों को प्रोत्साहित किया जाता है।
- नेट मीटरिंग और ग्रॉस मीटरिंग की सुविधा प्रदान की गई है।
- मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना: इस योजना के तहत युवाओं और प्रवासियों को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे स्वरोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं।
- प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM): इस केंद्रीय योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा पंप स्थापित करने और अपनी बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- सोलर वाटर हीटर योजना: घरेलू और वाणिज्यिक उपयोग के लिए सोलर वाटर हीटर लगाने पर सब्सिडी।
3. प्रमुख सौर ऊर्जा पहल और संयंत्र
- राज्य के विभिन्न सरकारी भवनों, शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों में रूफटॉप सोलर पैनल लगाए गए हैं।
- ऊधम सिंह नगर और हरिद्वार जिलों में कुछ बड़े सौर ऊर्जा पार्क विकसित किए गए हैं या प्रस्तावित हैं।
- पिरूल (चीड़ की पत्तियाँ) से बिजली बनाने की परियोजनाओं के साथ सौर ऊर्जा को एकीकृत करने पर भी विचार किया जा रहा है।
4. सौर ऊर्जा के लाभ और चुनौतियाँ
- लाभ: स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत, कार्बन उत्सर्जन में कमी, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि, दूरस्थ क्षेत्रों का विद्युतीकरण, रोजगार सृजन।
- चुनौतियाँ: प्रारंभिक स्थापना लागत अधिक होना, भूमि की उपलब्धता (विशेषकर बड़े संयंत्रों के लिए), ग्रिड कनेक्टिविटी, और मौसम पर निर्भरता।
पवन ऊर्जा (Wind Energy) 🌬️
उत्तराखंड की पर्वतीय स्थलाकृति और जटिल वायु प्रवाह पैटर्न के कारण यहाँ पवन ऊर्जा की व्यावसायिक क्षमता सीमित है।
1. पवन ऊर्जा की क्षमता और वर्तमान स्थिति
- राज्य में पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता नगण्य या बहुत कम है।
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE) द्वारा किए गए अध्ययनों में कुछ ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों और दर्रों में सीमित क्षमता पाई गई है, लेकिन व्यावसायिक दोहन चुनौतीपूर्ण है।
- कुछ स्थानों पर पवन-सौर हाइब्रिड परियोजनाएँ स्थापित करने की संभावना तलाशी जा रही हैं।
2. पवन ऊर्जा से संबंधित नीतियाँ और प्रयास
- राज्य की नवीकरणीय ऊर्जा नीति में पवन ऊर्जा को भी शामिल किया गया है, लेकिन इस पर विशेष ध्यान सौर ऊर्जा और लघु जलविद्युत पर अधिक रहा है।
- UREDA द्वारा पवन ऊर्जा की संभावनाओं का आकलन और छोटे पायलट प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया जा सकता है।
3. पवन ऊर्जा की चुनौतियाँ
- अनियमित और कम गति वाली हवाएँ: अधिकांश क्षेत्रों में पवन की गति टरबाइन चलाने के लिए पर्याप्त और निरंतर नहीं है।
- दुर्गम पर्वतीय भूभाग: टरबाइनों की स्थापना और रखरखाव अत्यंत कठिन और महंगा।
- भूमि की उपलब्धता: बड़े विंड फार्म के लिए समतल और उपयुक्त भूमि की कमी।
- ग्रिड कनेक्टिविटी: दूरस्थ संभावित स्थलों से बिजली को ग्रिड तक पहुँचाना एक चुनौती।
- पर्यावरणीय प्रभाव: पक्षियों और स्थानीय पारिस्थितिकी पर संभावित प्रभाव।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों, विशेषकर सौर ऊर्जा, पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सौर ऊर्जा में राज्य की महत्वपूर्ण क्षमता है और विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। पवन ऊर्जा की क्षमता सीमित होने के बावजूद, अनुसंधान और छोटी परियोजनाओं के माध्यम से इसकी संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा का विकास राज्य के सतत भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।