उत्तराखंड में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने तथा उनके समग्र कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इन पहलों का उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल करना है।
उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और कल्याण योजनाएँ
- राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग महिला सशक्तिकरण और कल्याण से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है।
- उत्तराखंड में महिलाओं ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आंदोलनों में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- लिंगानुपात में सुधार, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना, महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और उनके प्रति होने वाली हिंसा को रोकना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताएँ हैं।
- राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सशक्त करने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
प्रमुख योजनाएँ और पहलें
1. नंदा गौरा योजना (2017-18 में एकीकृत)
- विवरण: यह योजना पूर्व में संचालित गौरा देवी कन्याधन योजना और नंदा देवी योजना को एकीकृत करके बनाई गई है।
- उद्देश्य: बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करना, लिंगानुपात में सुधार करना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना और बाल विवाह को रोकना।
- लाभार्थी: राज्य की बालिकाएँ (निर्धारित पात्रता मानदंडों के अनुसार)।
- प्रावधान:
- बालिका के जन्म पर 11,000 रुपये की धनराशि।
- बालिका के 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने और 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर (अविवाहित होने की शर्त पर) 51,000 रुपये की धनराशि।
2. मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना (2021)
- उद्देश्य: प्रसव उपरांत माँ और नवजात कन्या शिशु के पोषण और स्वास्थ्य को बेहतर बनाना।
- लाभार्थी: प्रसूता महिलाएँ (पहली दो कन्या संतानों तक)।
- प्रावधान: प्रसव के बाद महालक्ष्मी किट प्रदान की जाती है, जिसमें माँ और नवजात शिशु के लिए आवश्यक वस्तुएँ (जैसे कपड़े, तौलिया, सैनिटरी नैपकिन, पोषण सामग्री आदि) शामिल होती हैं।
3. मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण योजना
- उद्देश्य: महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाना और उनकी उद्यमिता को बढ़ावा देना।
- प्रावधान: SHGs को बीज पूँजी, प्रशिक्षण, बाजार संपर्क और अन्य प्रकार की सहायता प्रदान करना।
4. मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना (2021)
- उद्देश्य: कोविड-19 महामारी या अन्य कारणों से अपने माता-पिता/अभिभावक को खोने वाले अनाथ बच्चों (बालिकाओं सहित) को वित्तीय सहायता, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना।
- प्रावधान: मासिक भत्ता (3000 रुपये प्रति माह), शिक्षा और स्वास्थ्य बीमा कवर जब तक बच्चा 21 वर्ष का न हो जाए।
5. कामकाजी महिला छात्रावास योजना
- उद्देश्य: शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित और किफायती आवास उपलब्ध कराना।
6. महिला शक्ति केंद्र योजना (MSK)
- विवरण: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- उद्देश्य: ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाना और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं और सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना।
7. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना
- विवरण: यह एक केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है, जिसे राज्य में भी प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है।
- उद्देश्य: कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, लिंगानुपात में सुधार करना और बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना।
8. वन स्टॉप सेंटर (सखी)
- उद्देश्य: हिंसा पीड़ित महिलाओं को एक ही स्थान पर चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श जैसी एकीकृत सहायता सेवाएँ प्रदान करना।
9. महिला हेल्पलाइन (181)
- उद्देश्य: संकट में फंसी महिलाओं को तत्काल सहायता और सूचना प्रदान करना।
10. मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना (2021)
- उद्देश्य: पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालक महिलाओं के कार्यबोझ को कम करना और उन्हें रियायती दरों पर उनके घर के पास पौष्टिक चारा (साइलेज) उपलब्ध कराना।
11. महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजनाएँ
- महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने या विस्तार करने के लिए वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और बाजार उपलब्ध कराने हेतु विभिन्न योजनाएँ।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं में महिलाओं को प्राथमिकता।
महिला कल्याण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण पहलू
- पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में आरक्षण: महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के लिए स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण का प्रावधान।
- सरकारी नौकरियों में आरक्षण: राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण (30%) की व्यवस्था।
- महिला आयोग: राज्य महिला आयोग महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके विरुद्ध होने वाले अत्याचारों की रोकथाम के लिए कार्यरत है।
- कानूनी सहायता: पीड़ित महिलाओं को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की व्यवस्था।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और कल्याण एक सतत प्रक्रिया है। सरकारी योजनाओं, सामाजिक जागरूकता और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से राज्य में महिलाओं की स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयास महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने और एक समतामूलक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।