उत्तराखंड, अपनी समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के साथ, विभिन्न प्रकार के संग्रहालयों का घर है। ये संग्रहालय राज्य की पहचान को संरक्षित करने, ज्ञान का प्रसार करने और पर्यटकों तथा शोधकर्ताओं को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख संग्रहालय: एक सिंहावलोकन
- उत्तराखंड में लोक कला, पुरातत्व, वनस्पति, जीव-जंतु, पर्वतारोहण, सैन्य इतिहास और प्रसिद्ध व्यक्तित्वों से संबंधित विविध संग्रहालय मौजूद हैं।
- ये संग्रहालय राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, जैव विविधता और ऐतिहासिक घटनाओं को समझने में सहायक हैं।
- कई संग्रहालयों की स्थापना प्रसिद्ध व्यक्तियों या विशिष्ट संस्थानों द्वारा की गई है।
1. लोक संस्कृति एवं कला संग्रहालय
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लोक संस्कृति संग्रहालय (Lok Sanskriti Sangrahalaya)
स्थान: खूंटानी, भीमताल (नैनीताल)
स्थापना: 1983
संस्थापक: डॉ. यशोधर मठपाल
संग्रह/विशेषताएँ: उत्तराखंड की लोक कला, पारंपरिक काष्ठ शिल्प, शैल चित्र, प्रागैतिहासिक पुरावशेष, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, वस्त्र और आभूषण। यह उत्तराखंड की लोक संस्कृति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
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पंडित गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय
स्थान: अल्मोड़ा
स्थापना: 1979 (कुछ स्रोतों में 1980)
संग्रह/विशेषताएँ: कुमाऊँ की लोक कला, ऐपण कलाकृतियाँ, कत्यूरी और चंद वंश से संबंधित पुरावशेष, पारंपरिक वस्त्र, मुद्राएँ और पं. गोविंद बल्लभ पंत से संबंधित वस्तुएँ।
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मोलाराम चित्र संग्रहालय/वीथिका (Molaram Art Gallery)
स्थान: श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल
संग्रह/विशेषताएँ: प्रसिद्ध चित्रकार मोलाराम (गढ़वाल शैली के प्रणेता) द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स और उनके कलात्मक कार्यों का संग्रह। (यह मुख्य रूप से उनके वंशजों के निजी संग्रह में और कुछ अन्य संग्रहालयों में प्रदर्शित है, एक समर्पित भव्य संग्रहालय का प्रस्ताव विचाराधीन रहा है)।
2. पुरातत्व एवं नृवंशविज्ञान संग्रहालय
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हिमालयन पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय (Himalayan Archaeological and Ethnographic Museum)
स्थान: हे.नं.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)
स्थापना: 1980
संग्रह/विशेषताएँ: गढ़वाल हिमालय क्षेत्र से प्राप्त पुरातात्विक अवशेष, प्राचीन मूर्तियाँ, मुद्राएँ, ताम्रपत्र और गढ़वाल की जनजातियों तथा लोक जीवन से संबंधित नृवंशीय वस्तुएँ।
3. प्रकृति, वन एवं पर्यावरण संग्रहालय
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वन संग्रहालय (Forest Museum)
स्थान: वन अनुसंधान संस्थान (FRI) परिसर, देहरादून
स्थापना: 1914 (FRI के अंतर्गत विभिन्न संग्रहालय स्थापित हुए)
संग्रह/विशेषताएँ: FRI परिसर में कुल छह संग्रहालय हैं जो काष्ठ (टिम्बर), गैर-काष्ठ वन उत्पाद, कीट विज्ञान, वनस्पति विकृति विज्ञान (पैथोलॉजी), सिल्वीकल्चर और सामाजिक वानिकी से संबंधित हैं। ये भारत की समृद्ध वन संपदा और वानिकी अनुसंधान को प्रदर्शित करते हैं।
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तितली संग्रहालय (Butterfly Museum)
स्थान: जोन्स एस्टेट, भीमताल (नैनीताल)
संस्थापक: फ्रेडरिक स्मेटासेक
संग्रह/विशेषताएँ: तितलियों, पतंगों और अन्य कीटों का विशाल और विविध संग्रह। यह प्रकृति प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।
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जॉर्ज एवरेस्ट हाउस संग्रहालय
स्थान: हाथीपाँव, मसूरी
संग्रह/विशेषताएँ: सर जॉर्ज एवरेस्ट (जिनके नाम पर माउंट एवरेस्ट का नामकरण हुआ) के पूर्व आवास और वेधशाला को संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है। इसमें उनके जीवन, कार्यों और सर्वेक्षण से संबंधित वस्तुएँ प्रदर्शित हैं।
4. पर्वतारोहण एवं साहसिक संग्रहालय
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हिमालयन संग्रहालय (Himalayan Museum) / नेहरू पर्वतारोहण संस्थान संग्रहालय
स्थान: नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) परिसर, उत्तरकाशी
संग्रह/विशेषताएँ: पर्वतारोहण उपकरण, प्रसिद्ध पर्वतारोहियों से संबंधित वस्तुएँ, हिमालयी वनस्पतियों और जीवों के नमूने, और हिमालयी अभियानों से संबंधित प्रदर्शनियाँ।
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पं. नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोही संग्रहालय
स्थान: मुनस्यारी, पिथौरागढ़
संग्रह/विशेषताएँ: प्रसिद्ध सर्वेक्षक और अन्वेषक पं. नैन सिंह रावत और उनके भाई किशन सिंह के जीवन और कार्यों को समर्पित। इसमें उनके सर्वेक्षण उपकरण, मानचित्र और यात्रा विवरण शामिल हैं।
5. सैन्य एवं युद्ध स्मारक संग्रहालय
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गढ़वाल राइफल्स युद्ध स्मारक संग्रहालय (Garhwal Rifles War Memorial Museum)
स्थान: लैंसडाउन, पौड़ी गढ़वाल
संग्रह/विशेषताएँ: गढ़वाल राइफल्स के गौरवशाली इतिहास, शौर्य और बलिदान को समर्पित। इसमें विभिन्न युद्धों से संबंधित हथियार, वर्दी, पदक, चित्र और अन्य यादगार वस्तुएँ प्रदर्शित हैं।
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कुमाऊँ रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय (Kumaon Regimental Centre Museum)
स्थान: रानीखेत, अल्मोड़ा
संग्रह/विशेषताएँ: कुमाऊँ रेजिमेंट और नागा रेजिमेंट के समृद्ध इतिहास, वीरता और उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है।
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भारतीय सैन्य अकादमी संग्रहालय (IMA Museum)
स्थान: भारतीय सैन्य अकादमी परिसर, देहरादून
संग्रह/विशेषताएँ: भारतीय सेना के इतिहास, विभिन्न युद्धों और सैन्य अभियानों से संबंधित वस्तुएँ। (प्रवेश सामान्यतः प्रतिबंधित या अनुमति पर आधारित हो सकता है)।
6. प्रसिद्ध व्यक्तित्वों से संबंधित संग्रहालय
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जिम कॉर्बेट संग्रहालय (Jim Corbett Museum)
स्थान: कालाढूंगी, नैनीताल
संग्रह/विशेषताएँ: प्रसिद्ध शिकारी, संरक्षणवादी और लेखक जिम कॉर्बेट का पूर्व शीतकालीन आवास। इसमें उनके निजी सामान, पत्र, फर्नीचर, बंदूकें और उनके जीवन तथा कार्यों से संबंधित चित्र प्रदर्शित हैं।
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सुमित्रानंदन पंत वीथिका/संग्रहालय (Sumitranandan Pant Gallery/Museum)
स्थान: कौसानी, बागेश्वर (तत्कालीन अल्मोड़ा)
संग्रह/विशेषताएँ: प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत का पैतृक घर, जिसे संग्रहालय में परिवर्तित किया गया है। इसमें उनके हस्तलिखित पांडुलिपियाँ, पत्र, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ, पुरस्कार और उनका पुस्तकालय संग्रहित है।
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हेमवती नंदन बहुगुणा संग्रहालय
स्थान: बुघाणी, पौड़ी गढ़वाल
संग्रह/विशेषताएँ: उत्तराखंड के प्रमुख राजनेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के जीवन और योगदान को समर्पित।
7. अन्य विशिष्ट संग्रहालय
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देहरादून वाडिया संस्थान भू-वैज्ञानिक संग्रहालय (Wadia Institute of Himalayan Geology Museum)
स्थान: वाडिया संस्थान परिसर, देहरादून
संग्रह/विशेषताएँ: हिमालय के भूविज्ञान, जीवाश्मों, चट्टानों और खनिजों का व्यापक संग्रह। यह भूविज्ञान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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राज्य पुलिस संग्रहालय
स्थान: देहरादून
स्थापना: 2021
संग्रह/विशेषताएँ: उत्तराखंड पुलिस के इतिहास, विकास, उपलब्धियों और शहीद पुलिसकर्मियों से संबंधित वस्तुएँ।
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सर्वे ऑफ इंडिया मैप म्यूजियम
स्थान: भारतीय सर्वेक्षण विभाग परिसर, देहरादून
संग्रह/विशेषताएँ: ऐतिहासिक और आधुनिक मानचित्रों, सर्वेक्षण उपकरणों और मानचित्रण की तकनीकों का प्रदर्शन।
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कैम्पटी फॉल म्यूजियम (टॉय म्यूजियम)
स्थान: कैम्पटी फॉल के निकट, मसूरी
संग्रह/विशेषताएँ: विभिन्न प्रकार के खिलौनों का संग्रह।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड के संग्रहालय राज्य की समृद्ध और विविध विरासत के संरक्षक हैं। ये न केवल अतीत की झलक प्रस्तुत करते हैं, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने और भविष्य के लिए प्रेरणा प्रदान करने का भी कार्य करते हैं। इन संग्रहालयों के संरक्षण, संवर्धन और आधुनिकीकरण की निरंतर आवश्यकता है ताकि ये ज्ञान और संस्कृति के महत्वपूर्ण केंद्र बने रहें।