उत्तराखंड, अपनी नैसर्गिक सुंदरता और आध्यात्मिक आभा के कारण, “देवभूमि” के रूप में विश्वविख्यात है। यहाँ के कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है और सदियों से यह भूमि तपस्वियों, ऋषियों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। राज्य के प्रत्येक जिले में अनेक प्राचीन मंदिर, पवित्र स्थल और मनमोहक दर्शनीय स्थल विद्यमान हैं, जो इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल (जिलावार)
- उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध चार धाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ) का घर है।
- यहाँ पंच केदार, पंच बद्री, पंच प्रयाग और नव दुर्गा मंदिर जैसे महत्वपूर्ण मंदिर समूह स्थित हैं।
- राज्य में अनेक शक्तिपीठ (जैसे पूर्णागिरी, सुरकंडा देवी, चंद्रबदनी) और सिद्धपीठ (जैसे कालू सिद्ध, लक्ष्मण सिद्ध) हैं।
- हरिद्वार और ऋषिकेश विश्व प्रसिद्ध योग और आध्यात्म के केंद्र हैं।
- नैनीताल, मसूरी, औली, कौसानी जैसे हिल स्टेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं।
- राज्य में कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य (जैसे कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क, फूलों की घाटी) स्थित हैं।
गढ़वाल मंडल के प्रमुख स्थल
1. उत्तरकाशी जिला
क. धार्मिक स्थल
- यमुनोत्री धाम: चार धामों में से एक, देवी यमुना को समर्पित। (विस्तृत जानकारी “चार धाम” नोट्स में)
- गंगोत्री धाम: चार धामों में से एक, देवी गंगा को समर्पित। (विस्तृत जानकारी “चार धाम” नोट्स में)
- विश्वनाथ मंदिर: उत्तरकाशी शहर में, भगवान शिव को समर्पित। माना जाता है कि इसका पुनर्निर्माण 1857 में टिहरी नरेश सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी खनेती ने कराया था।
- शक्ति मंदिर: विश्वनाथ मंदिर के सामने, यहाँ एक विशाल त्रिशूल स्थापित है।
- कुटेटी देवी मंदिर: उत्तरकाशी में, देवी दुर्गा को समर्पित।
- परशुराम मंदिर: उत्तरकाशी।
- अन्नपूर्णा शक्तिपीठ: उत्तरकाशी।
- कंडार देवता मंदिर: उत्तरकाशी।
- पशुराम की डंडा, खरसाली का शनि मंदिर, पोखू देवता मंदिर (नेटवाड़)।
ख. दर्शनीय स्थल
- गोमुख: गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना, भागीरथी का उद्गम।
- तपोवन: गंगोत्री के पास, उच्च तुंगता वाला घास का मैदान, आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध।
- हर की दून: मनमोहक घाटी, ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध।
- डोडीताल: मीठे पानी की सुंदर झील, ट्राउट मछली के लिए प्रसिद्ध।
- नचिकेता ताल: शांत और सुंदर झील।
- दयारा बुग्याल: विशाल अल्पाइन चारागाह, शीतकालीन खेलों के लिए भी जाना जाता है।
- हर्षिल: सेब के बागानों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध।
- गंगनानी: गर्म पानी का कुंड।
- गोविंद वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय उद्यान।
2. चमोली जिला
क. धार्मिक स्थल
- बद्रीनाथ धाम: चार धामों में से एक, भगवान विष्णु को समर्पित। (विस्तृत जानकारी “चार धाम” नोट्स में)
- पंच बद्री: विशाल बद्री, आदि बद्री, वृद्ध बद्री, भविष्य बद्री, योगध्यान बद्री। (विस्तृत जानकारी “आध्यात्मिक यात्राएँ” नोट्स में)
- पंच केदार (चमोली में स्थित): रुद्रनाथ, कल्पेश्वर। (विस्तृत जानकारी “आध्यात्मिक यात्राएँ” नोट्स में)
- हेमकुंड साहिब: सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल, गुरु गोविंद सिंह जी को समर्पित। (विस्तृत जानकारी “आध्यात्मिक यात्राएँ” नोट्स में)
- लोकपाल लक्ष्मण मंदिर: हेमकुंड साहिब के पास।
- जोशीमठ: आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक (उत्तराम्नाय ज्योतिर्मठ)। नरसिंह मंदिर (बद्रीनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल), वासुदेव मंदिर।
- गोपेश्वर: गोपीनाथ मंदिर (शिव का प्राचीन मंदिर, त्रिशूल लेख)।
- अनुसूया देवी मंदिर (मंडल): अत्रि मुनि की पत्नी देवी अनुसूया को समर्पित।
- उमा देवी मंदिर (कर्णप्रयाग), चंडिका देवी मंदिर (कर्णप्रयाग), नौटी का नंदा देवी मंदिर।
ख. दर्शनीय स्थल
- फूलों की घाटी (Valley of Flowers): यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, विभिन्न प्रकार के अल्पाइन फूलों के लिए प्रसिद्ध।
- औली: प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल, बर्फ से ढकी चोटियों के सुंदर दृश्य।
- रूपकुंड: रहस्यमयी झील, जहाँ मानव कंकाल पाए जाते हैं।
- सतोपंथ ताल, बेदिनी बुग्याल, आली बुग्याल, गुरसों बुग्याल।
- माणा गाँव: भारत का अंतिम गाँव (चीन सीमा के पास), व्यास गुफा, गणेश गुफा, भीम पुल।
- वसुधारा प्रपात।
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)।
3. रुद्रप्रयाग जिला
क. धार्मिक स्थल
- केदारनाथ धाम: चार धामों में से एक, भगवान शिव को समर्पित। (विस्तृत जानकारी “चार धाम” नोट्स में)
- पंच केदार (रुद्रप्रयाग में स्थित): केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ। (विस्तृत जानकारी “आध्यात्मिक यात्राएँ” नोट्स में)
- ऊखीमठ: केदारनाथ और मध्यमहेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर।
- त्रियुगीनारायण मंदिर: माना जाता है कि यहाँ शिव-पार्वती का विवाह हुआ था, अखंड धुनी।
- गुप्तकाशी: विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर।
- कालीमठ: प्रसिद्ध शक्तिपीठ, काली, लक्ष्मी, सरस्वती की मूर्तियाँ।
- कोटेश्वर महादेव गुफा मंदिर।
ख. दर्शनीय स्थल
- देवरिया ताल: सुंदर झील, चौखम्बा शिखर का प्रतिबिंब।
- चोपता: “मिनी स्विट्जरलैंड” कहा जाता है, तुंगनाथ का बेस कैंप।
- गांधी सरोवर (चौराबाड़ी ताल)।
- मंदाकिनी घाटी।
4. टिहरी गढ़वाल जिला
क. धार्मिक स्थल
- सुरकंडा देवी मंदिर: प्रसिद्ध शक्तिपीठ, कद्दूखाल के पास।
- चंद्रबदनी देवी मंदिर: प्रसिद्ध शक्तिपीठ, अंजनीसैंण के पास।
- कुंजापुरी देवी मंदिर: प्रसिद्ध शक्तिपीठ, नरेन्द्र नगर के पास।
- रघुनाथ मंदिर (देवप्रयाग): द्रविड़ शैली में निर्मित।
- बूढ़ाकेदार मंदिर: बालगंगा और धर्मगंगा के संगम पर।
- सेम मुखेम नागराज मंदिर।
ख. दर्शनीय स्थल
- टिहरी झील (सुमन सागर): भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील, जल क्रीड़ा केंद्र।
- धनोल्टी: शांत पर्वतीय स्थल, इको पार्क।
- नई टिहरी शहर: योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया शहर।
- खतलिंग ग्लेशियर (भिलंगना का उद्गम)।
- देवप्रयाग संगम।
5. देहरादून जिला
क. धार्मिक स्थल
- टपकेश्वर महादेव मंदिर: गुफा मंदिर, भगवान शिव को समर्पित।
- संतला देवी मंदिर:
- लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, माणक सिद्ध, मांडू सिद्ध (चार सिद्ध पीठ)।
- गुरु राम राय दरबार साहिब: ऐतिहासिक गुरुद्वारा, झंडा मेला।
- बुद्धा टेम्पल (क्लेमेंट टाउन): तिब्बती बौद्ध मठ, विश्व शांति स्तूप।
- प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर।
ख. दर्शनीय स्थल
- मसूरी: “पहाड़ों की रानी”, प्रसिद्ध हिल स्टेशन (कैम्पटी फॉल, गन हिल, लाल टिब्बा)।
- सहस्त्रधारा: गंधक युक्त जल स्रोत और गुफाएँ।
- गुच्चुपानी (रॉबर्स केव): प्राकृतिक गुफा।
- वन अनुसंधान संस्थान (FRI): विशाल परिसर और संग्रहालय।
- भारतीय सैन्य अकादमी (IMA)।
- मालसी डियर पार्क (देहरादून जू)।
- आसन बैराज: पक्षी विहार।
- चकराता: शांत पर्वतीय स्थल, टाइगर फॉल।
6. पौड़ी गढ़वाल जिला
क. धार्मिक स्थल
- कमलेश्वर मंदिर (श्रीनगर): भगवान शिव को समर्पित, बैकुंठ चतुर्दशी मेला।
- धारी देवी मंदिर: श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर, माँ काली को समर्पित।
- ज्वाल्पा देवी मंदिर: नयार नदी के तट पर।
- कंडोलिया देवता मंदिर (पौड़ी)।
- बिनसर महादेव मंदिर (थलीसैंण)।
- सिद्धबली मंदिर (कोटद्वार): हनुमान जी को समर्पित।
- ताड़केश्वर महादेव मंदिर (लैंसडाउन)।
ख. दर्शनीय स्थल
- लैंसडाउन: शांत और सुंदर छावनी शहर।
- खिर्सू: सेब के बागानों और हिमालय के दृश्यों के लिए प्रसिद्ध।
- श्रीनगर: ऐतिहासिक और शैक्षिक केंद्र, अलकनंदा के तट पर।
- कोटद्वार: गढ़वाल का प्रवेश द्वार।
- दूधातोली श्रृंखला (उत्तराखंड का पामीर)।
7. हरिद्वार जिला
क. धार्मिक स्थल
- हर की पौड़ी: सबसे पवित्र स्नान घाट, ब्रह्मकुंड।
- मनसा देवी मंदिर: बिल्व पर्वत पर स्थित, रोपवे सुविधा।
- चंडी देवी मंदिर: नील पर्वत पर स्थित, रोपवे सुविधा।
- माया देवी मंदिर: हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी, शक्तिपीठ।
- दक्ष प्रजापति मंदिर (कनखल)।
- भारत माता मंदिर, शांतिकुंज, सप्तऋषि आश्रम, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय।
- पिरान कलियर शरीफ (रुड़की के पास): सूफी संत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की दरगाह।
ख. दर्शनीय स्थल
- राजाजी नेशनल पार्क (हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी में विस्तृत)।
- भीमगोड़ा कुंड।
- गंगा आरती (हर की पौड़ी)।
कुमाऊँ मंडल के प्रमुख स्थल
8. नैनीताल जिला
क. धार्मिक स्थल
- नैना देवी मंदिर: नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित, शक्तिपीठ।
- कैंची धाम: नीम करौली बाबा का आश्रम, भवाली के पास।
- घोड़ाखाल गोलू देवता मंदिर।
- हनुमानगढ़ी मंदिर।
- मुक्तेश्वर महादेव मंदिर।
ख. दर्शनीय स्थल
- नैनी झील: प्रसिद्ध ताल, नौका विहार।
- अन्य ताल: भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, सूखाताल।
- नैना पीक/चाइना पीक, स्नो व्यू पॉइंट, टिफिन टॉप।
- जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (कालाढूंगी क्षेत्र)।
- हाई एल्टीट्यूड जू (नैनीताल चिड़ियाघर)।
- भवाली, रामगढ़ (फल पट्टी), मुक्तेश्वर।
9. अल्मोड़ा जिला
क. धार्मिक स्थल
- जागेश्वर धाम: 124 छोटे-बड़े मंदिरों का समूह, प्रमुख मंदिर जागनाथ (शिव)। राज्य का सबसे बड़ा मंदिर समूह, नागर शैली।
- नंदा देवी मंदिर (अल्मोड़ा शहर)।
- कटारमल सूर्य मंदिर: राज्य का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, कोसी के पास।
- चितई गोलू देवता मंदिर: न्याय के देवता, पत्र लिखकर मन्नत मांगने की परंपरा।
- कसार देवी मंदिर: स्वामी विवेकानंद ने यहाँ तपस्या की थी।
- द्वाराहाट मंदिर समूह: गुर्जरदेव मंदिर, कचहरी मंदिर।
- बिनसर महादेव मंदिर (रानीखेत के पास)।
ख. दर्शनीय स्थल
- रानीखेत: प्रसिद्ध हिल स्टेशन, चौबटिया गार्डन।
- कौसानी: “भारत का स्विट्जरलैंड” (गांधीजी द्वारा कहा गया), अनासक्ति आश्रम।
- बिनसर वन्यजीव विहार।
- ब्राइट एंड कॉर्नर (अल्मोड़ा)।
- लाला बाजार (अल्मोड़ा)।
10. पिथौरागढ़ जिला
क. धार्मिक स्थल
- पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर: चूना पत्थर की प्राकृतिक गुफा, अनेक देवी-देवताओं की आकृतियाँ।
- हाटकालिका मंदिर (गंगोलीहाट): प्रसिद्ध शक्तिपीठ।
- थलकेदार मंदिर: भगवान शिव को समर्पित।
- असुरचुला मंदिर।
- मोस्टमानु मंदिर।
- नारायण आश्रम (धारचूला के पास)।
- ॐ पर्वत और आदि कैलाश (यात्रा मार्ग)।
ख. दर्शनीय स्थल
- मुनस्यारी: पंचाचूली पर्वत श्रृंखला के सुंदर दृश्य, खलिया टॉप।
- चौकोड़ी: चाय बागान और हिमालय के दृश्य।
- धारचूला: काली नदी के तट पर, नेपाल सीमा पर।
- मिलम ग्लेशियर, रालम ग्लेशियर (ट्रेकिंग मार्ग)।
- अस्कोट वन्यजीव विहार (कस्तूरी मृग के लिए प्रसिद्ध)।
11. बागेश्वर जिला
क. धार्मिक स्थल
- बागनाथ मंदिर: बागेश्वर शहर में सरयू और गोमती के संगम पर, भगवान शिव को समर्पित।
- बैजनाथ मंदिर समूह: गोमती नदी के तट पर, कत्यूरी वास्तुकला का उदाहरण।
- चंडिका देवी मंदिर।
- कोट भ्रामरी मंदिर।
ख. दर्शनीय स्थल
- कौसानी (आंशिक रूप से बागेश्वर में)।
- पिंडारी ग्लेशियर, कफनी ग्लेशियर, सुंदरढूंगा ग्लेशियर (ट्रेकिंग मार्ग)।
- विजयपुर।
12. चम्पावत जिला
क. धार्मिक स्थल
- पूर्णागिरी देवी मंदिर (टनकपुर के पास): प्रसिद्ध शक्तिपीठ, अन्नपूर्णा शिखर पर।
- बालेश्वर मंदिर समूह (चम्पावत): चंद राजाओं द्वारा निर्मित, उत्कृष्ट वास्तुकला।
- मीठा-रीठा साहिब: सिखों का पवित्र स्थल, गुरु नानक देव जी से संबंधित।
- घटकु देवता मंदिर।
- नागनाथ मंदिर।
- एक हथिया नौला (वास्तुकला का अद्भुत नमूना)।
ख. दर्शनीय स्थल
- लोहाघाट।
- मायावती आश्रम (अद्वैत आश्रम): स्वामी विवेकानंद से संबंधित।
- देवीधुरा (बाराही देवी मंदिर, बगवाल मेले के लिए प्रसिद्ध)।
- श्यामलाताल।
- पंचेश्वर (काली और सरयू का संगम, महाकाली मंदिर)।
13. ऊधम सिंह नगर जिला
क. धार्मिक स्थल
- नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा: सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल, गुरु नानक देव जी से संबंधित।
- अटरिया देवी मंदिर (रुद्रपुर)।
- चैती देवी मंदिर (काशीपुर), चैती मेला।
- मोटेश्वर महादेव मंदिर (काशीपुर)।
ख. दर्शनीय स्थल
- नानक सागर बांध।
- हरिपुरा जलाशय (गूलरभोज)।
- काशीपुर (ऐतिहासिक शहर, गोविषाण के अवशेष)।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड के धार्मिक और दर्शनीय स्थल राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक विरासत के परिचायक हैं। ये स्थल न केवल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और पहचान को भी मजबूती प्रदान करते हैं। इन स्थलों का संरक्षण और सतत विकास उत्तराखंड के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।