Gyan Pragya
No Result
View All Result
Loading...
  • Hindi
  • Quiz
  • History
  • Geography
  • Polity
  • Economics
  • General Science
  • Environment
  • Static Gk
  • Current Affairs
  • Uttarakhand
Gyan Pragya
No Result
View All Result

गुप्त काल – प्रशासन (Gupta Period – Administration)

गुप्त काल (लगभग 319 ईस्वी – 550 ईस्वी) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग था, जिसे अक्सर ‘स्वर्ण युग’ के रूप में जाना जाता है। इस अवधि में कला, विज्ञान, साहित्य और प्रशासन के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ। गुप्त प्रशासन विकेन्द्रीकृत प्रकृति का था, लेकिन प्रभावी और सुव्यवस्थित।

1. केंद्रीय प्रशासन (Central Administration)

गुप्त शासक शक्तिशाली थे, लेकिन मौर्यों की तरह अत्यधिक केंद्रीकृत प्रशासन नहीं था। वे ‘महाराजाधिराज’, ‘परमभट्टारक’, ‘परमेश्वर’ जैसी भव्य उपाधियाँ धारण करते थे।

1.1. राजा की स्थिति (Position of the King)

  • दैवीय उत्पत्ति: राजा को देवताओं के समान माना जाता था। प्रयाग प्रशस्ति (समुद्रगुप्त) राजा की दैवीय शक्ति का वर्णन करती है।
  • सेना का प्रमुख: राजा स्वयं सेना का सर्वोच्च सेनापति होता था।
  • न्याय का स्रोत: वह न्याय का सर्वोच्च स्रोत भी था।
  • मंत्रिपरिषद: राजा को सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होती थी, जिसके सदस्य ‘मंत्री’ या ‘अमात्य’ कहलाते थे।

1.2. प्रमुख अधिकारी और विभाग (Key Officials and Departments)

  • महादण्डनायक: मुख्य न्यायाधीश या सेना का प्रमुख। (यह पद कई बार एक ही व्यक्ति के पास होता था – न्याय और सेना प्रमुख)।
  • महाबलाधिकृत: सेनापति या सेना का सर्वोच्च अधिकारी।
  • रणभण्डागारिक: सेना का कोषाध्यक्ष।
  • महाप्रतिहार: शाही महल का मुख्य द्वारपाल, शाही आदेशों को प्रसारित करता था।
  • महापिलुपति: गज सेना का प्रमुख।
  • विनयस्थितिस्थापक: शिक्षा और धर्म का अधिकारी।
  • दण्डपाशिक: पुलिस विभाग का प्रमुख।
  • सन्धि-विग्रहिक: युद्ध और शांति का मंत्री (foreign affairs minister)। यह पद पहली बार गुप्त काल में दिखाई दिया।
  • कुमारामात्य: उच्च अधिकारी वर्ग जो प्रांतों और जिलों में काम करते थे। ये शाही अधिकारियों का महत्वपूर्ण वर्ग था।
  • भण्डागाराधिकृत: शाही कोषागार का प्रमुख।
  • अक्षपटलाधिकृत: शाही अभिलेखागार का प्रमुख (records officer)।

💡 महत्वपूर्ण तथ्य: गुप्त काल में अनेक पद वंशानुगत हो गए थे, जैसे ‘सन्धि-विग्रहिक’। एक ही व्यक्ति के पास कई पद भी होते थे (जैसे हरिषेण, जो समुद्रगुप्त का सन्धि-विग्रहिक, कुमारामात्य और महादण्डनायक था)।

2. प्रांतीय प्रशासन (Provincial Administration)

साम्राज्य को ‘भुक्ति’ (या देश) नामक प्रांतों में विभाजित किया गया था।

  • भुक्ति: प्रांत, जिसका प्रमुख ‘उपारिक’ या ‘भोगपति’ कहलाता था। उपारिक को अक्सर राजकुमारों (शाही परिवार के सदस्य) में से नियुक्त किया जाता था।
  • विषय: भुक्ति को ‘विषय’ (जिले) में विभाजित किया जाता था, जिसका प्रमुख ‘विषयपति’ होता था। विषयपति की सहायता के लिए एक परिषद होती थी जिसमें ‘नगरश्रेष्ठि’ (शहर का मुख्य व्यापारी), ‘सार्थवाह’ (व्यापारियों का नेता), ‘प्रथमकुलिक’ (मुख्य शिल्पकार), और ‘प्रथम कायस्थ’ (मुख्य लेखक) शामिल होते थे।
  • ग्राम: विषय को ‘ग्राम’ (गाँव) में विभाजित किया जाता था।
    • ग्राम का प्रमुख ‘ग्रामिक’ या ‘ग्रामध्यक्ष’ कहलाता था।
    • ग्राम सभाएँ स्थानीय प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।

3. न्यायिक प्रशासन (Judicial Administration)

गुप्त काल में सिविल और आपराधिक कानूनों को स्पष्ट रूप से अलग किया गया था, जो मौर्य काल से एक महत्वपूर्ण बदलाव था।

  • राजा: न्याय का सर्वोच्च स्रोत।
  • न्यायाधीश: राजा के अधीन ‘महादण्डनायक’ और अन्य न्यायाधीश होते थे।
  • दंड प्रणाली: फाह्यान के अनुसार, गुप्त काल में दंड हल्के थे। मृत्युदंड नहीं दिया जाता था और शारीरिक दंड दुर्लभ थे। बार-बार अपराध करने पर केवल दाहिना हाथ काटा जाता था।
  • कानून संहिताएँ: इस काल में नारद और बृहस्पति जैसी स्मृतियों का संकलन हुआ, जो कानून और न्याय के महत्वपूर्ण स्रोत थीं।

4. राजस्व प्रशासन (Revenue Administration)

भूमि राजस्व राज्य की आय का मुख्य स्रोत था।

  • भू-राजस्व: आमतौर पर कुल उपज का 1/4 से 1/6 भाग तक होता था।
  • उद्रंग (Udranga) और उपरिकर (Upari-kara): ये दो प्रमुख भूमि कर थे। इनका सही अर्थ विवादास्पद है, लेकिन ये भू-राजस्व के प्रकार थे।
  • भू-लेख अधिकारी: ‘ध्रुवाधिकरण’ और ‘महाक्षपटलिक’ जैसे अधिकारी भूमि अभिलेख और राजस्व संग्रह का कार्य देखते थे।
  • हिरण्य (Hiranya): नकद में लिया जाने वाला कर।
  • प्रणय (Pranaya): आपातकालीन कर (केवल संकटकाल में)।

5. सैन्य प्रशासन (Military Administration)

गुप्तों के पास एक सुसंगठित सेना थी, जिसमें पैदल सेना, घुड़सवार सेना, गज सेना और रथ सेना शामिल थी।

  • महाबलाधिकृत: सेना का प्रमुख।
  • महापिलुपति: गज सेना का प्रमुख।
  • घोड़ों का महत्व: घुड़सवार सेना गुप्तों की सैन्य शक्ति का एक महत्वपूर्ण घटक थी, खासकर हुणों के खिलाफ।
  • सामंतवादी तत्व: गुप्तों ने सामंतों से भी सेना प्राप्त की। यह प्रशासन में एक विकेन्द्रीकृत तत्व था, जहाँ सामंत अपने क्षेत्र की सुरक्षा और कर संग्रह के लिए जिम्मेदार थे और बदले में केंद्रीय शासक को सैन्य सहायता प्रदान करते थे।

6. शहरी प्रशासन (Urban Administration)

  • शहरों का प्रशासन ‘पुरपाल’ या ‘नगर रक्षक’ द्वारा किया जाता था।
  • विषयपति की परिषद में ‘नगरश्रेष्ठि’ (शहर का मुख्य व्यापारी) जैसे सदस्य शहरी प्रशासन में सक्रिय भूमिका निभाते थे, जो स्थानीय लोगों की भागीदारी को दर्शाता है।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

गुप्त प्रशासन मौर्यों के केंद्रीकृत मॉडल से भिन्न था, जिसमें विकेन्द्रीकरण और स्थानीय स्वायत्तता पर अधिक जोर दिया गया। राजा शक्तिशाली थे, लेकिन उन्होंने उच्च अधिकारियों और सामंतों को अधिक स्वायत्तता दी। न्यायिक और राजस्व प्रणाली भी विकसित हुई, और अपेक्षाकृत कम कठोर दंड प्रणाली फाह्यान के विवरणों से प्रमाणित होती है। यह प्रशासनिक दक्षता ही गुप्त साम्राज्य की स्थिरता और सांस्कृतिक समृद्धि का आधार बनी।

Previous Post

सांस्कृतिक विकास (Cultural Developments – Gandhara and Mathura Art)

Next Post

भारत का स्वर्ण युग (Golden period of India)

Next Post

भारत का स्वर्ण युग (Golden period of India)

समाज और अर्थव्यवस्था (Society, and Economy)

विज्ञान, साहित्य और कला में विकास (Developments in Science, Literature, and Art)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Contact us
  • Disclaimer
  • Terms of Service
  • Privacy Policy
: whatsapp us on +918057391081 E-mail: setupragya@gmail.com
No Result
View All Result
  • Quiz
  • Static Gk
  • Polity
  • Hindi
  • Geography
  • Economics
  • General Science
  • Uttarakhand
  • History
  • Environment
  • Computer
  • Contact us

© 2024 GyanPragya - ArchnaChaudhary.