मुगल साम्राज्य: हुमायूं (UPSC/PCS केंद्रित नोट्स)
नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं, मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर का पुत्र और उत्तराधिकारी था। उसका शासनकाल (1530-1540 ईस्वी और 1555-1556 ईस्वी) चुनौतियों और उतार-चढ़ावों से भरा रहा, जिसमें उसे अपने भाइयों, अफगान सरदारों और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों से लगातार संघर्ष करना पड़ा।
1. प्रारंभिक जीवन और राज्याभिषेक (Early Life and Accession)
- जन्म: 6 मार्च 1508 ईस्वी को काबुल में।
- पिता: बाबर।
- राज्याभिषेक: 29 दिसंबर 1530 ईस्वी को आगरा में, बाबर की मृत्यु के बाद।
- विरासत: हुमायूं को अपने पिता से एक विशाल लेकिन अस्थिर साम्राज्य विरासत में मिला, जिसमें कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियाँ थीं।
- भाइयों के साथ संबंध: बाबर की सलाह के अनुसार, हुमायूं ने अपने भाइयों – कामरां, अस्करी और हिंदाल – के बीच साम्राज्य का विभाजन किया, जिससे बाद में उसके लिए समस्याएँ उत्पन्न हुईं। कामरां को काबुल और कंधार, अस्करी को संभल और हिंदाल को अलवर मिला।
2. प्रारंभिक चुनौतियाँ और अभियान (Early Challenges and Campaigns)
हुमायूं को अपने शासनकाल की शुरुआत से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- अफगान खतरा:
- शेर खान (बाद में शेरशाह सूरी) बिहार में एक शक्तिशाली अफगान नेता के रूप में उभर रहा था।
- महमूद लोदी (घाघरा के युद्ध में बाबर से पराजित) भी एक खतरा था।
- राजपूत और अन्य क्षेत्रीय शक्तियाँ: मेवाड़ के शासक और गुजरात के बहादुर शाह भी मुगल साम्राज्य के लिए खतरा थे।
- भाइयों का विरोध: उसके भाई, विशेषकर कामरां, महत्वाकांक्षी थे और हुमायूं के लिए समस्याएँ पैदा करते थे।
- प्रारंभिक अभियान:
- 1531 ईस्वी में कालिंजर पर आक्रमण।
- 1532 ईस्वी में दोहरिया का युद्ध, जिसमें उसने महमूद लोदी को पराजित किया।
- 1535-36 ईस्वी में बहादुर शाह के खिलाफ अभियान, जिसमें उसने गुजरात और मालवा पर कब्जा किया, लेकिन उन्हें बनाए नहीं रख सका।
3. शेरशाह सूरी के साथ संघर्ष और निर्वासन (Conflict with Sher Shah Suri and Exile)
शेरशाह सूरी के साथ हुमायूं का संघर्ष उसके शासनकाल का सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक पहलू था।
- चौसा का युद्ध (26 जून 1539 ईस्वी):
- हुमायूं बनाम शेर खान।
- हुमायूं इस युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ और उसे अपनी जान बचाने के लिए गंगा नदी में कूदना पड़ा।
- शेर खान ने इस विजय के बाद ‘शेरशाह’ की उपाधि धारण की।
- कन्नौज (बिलग्राम) का युद्ध (17 मई 1540 ईस्वी):
- हुमायूं बनाम शेरशाह सूरी।
- यह युद्ध भी हुमायूं के लिए निर्णायक हार साबित हुआ।
- इस हार के बाद हुमायूं को भारत छोड़कर भागना पड़ा और शेरशाह सूरी ने सूर साम्राज्य की स्थापना की।
- निर्वासन काल (1540-1555 ईस्वी):
- हुमायूं ने लगभग 15 वर्ष तक निर्वासन में जीवन व्यतीत किया।
- उसने सिंध, ईरान और अफगानिस्तान में शरण ली।
- ईरान के शाह तहमास्प प्रथम ने उसे सैन्य सहायता प्रदान की।
- इसी दौरान 1542 ईस्वी में अमरकोट में अकबर का जन्म हुआ।
4. साम्राज्य की पुनर्स्थापना (Restoration of the Empire)
शेरशाह सूरी और उसके उत्तराधिकारियों के कमजोर पड़ने के बाद, हुमायूं को भारत में मुगल सत्ता को पुनः स्थापित करने का अवसर मिला।
- काबुल और कंधार पर पुनः अधिकार: 1545 ईस्वी में उसने ईरान की सहायता से काबुल और कंधार पर पुनः अधिकार कर लिया।
- मच्छीवाड़ा का युद्ध (1555 ईस्वी):
- हुमायूं की सेना ने अफगानों को पराजित किया।
- सरहिंद का युद्ध (22 जून 1555 ईस्वी):
- हुमायूं बनाम सिकंदर शाह सूरी (सूर वंश का अंतिम शासक)।
- हुमायूं की निर्णायक विजय हुई।
- इस विजय के बाद हुमायूं ने पुनः दिल्ली पर अधिकार कर लिया और मुगल साम्राज्य की पुनर्स्थापना की।
5. मृत्यु और विरासत (Death and Legacy)
- मृत्यु: 27 जनवरी 1556 ईस्वी को दिल्ली में अपने पुस्तकालय ‘दीनपनाह’ (शेर मंडल) की सीढ़ियों से गिरकर उसकी आकस्मिक मृत्यु हो गई।
- विरासत:
- हुमायूं का जीवन संघर्षों और असफलताओं से भरा रहा, लेकिन उसने मुगल साम्राज्य को पूरी तरह से समाप्त होने से बचाया।
- उसने ईरानी संस्कृति और कला को भारत में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका प्रभाव बाद में मुगल स्थापत्य और चित्रकला पर पड़ा।
- उसकी बहन गुलबदन बेगम ने उसकी जीवनी ‘हुमायूंनामा’ लिखी।
- उसकी सबसे बड़ी विरासत उसके पुत्र अकबर के लिए एक साम्राज्य को बनाए रखना था, जिसने बाद में मुगल साम्राज्य को अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
हुमायूं का शासनकाल मुगल साम्राज्य के लिए एक संक्रमणकालीन और चुनौतीपूर्ण दौर था। अपनी प्रारंभिक असफलताओं और निर्वासन के बावजूद, उसने दृढ़ता और ईरानी समर्थन के साथ अपने साम्राज्य को पुनः प्राप्त किया। हालांकि उसका व्यक्तिगत शासनकाल अल्पकालिक रहा, उसने अपने पुत्र अकबर के लिए एक आधार प्रदान किया, जिसने मुगल साम्राज्य को एक स्थायी और शक्तिशाली इकाई में बदल दिया।