प्रमुख दर्रे (Major Passes)
भारत में कई महत्वपूर्ण दर्रे (Passes) हैं जो पर्वत श्रृंखलाओं के माध्यम से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र को जोड़ते हैं। ये दर्रे रणनीतिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक महत्व रखते हैं।
भारतीय दर्रों की सूची
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नाथू ला दर्रा (Nathu La Pass):
सिक्किम को तिब्बत (चीन) से जोड़ता है। यह पुरानी रेशम मार्ग का हिस्सा था और अब भारत-चीन व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।यह समुद्र तल से 4,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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शिपकी ला दर्रा (Shipki La Pass):
हिमाचल प्रदेश को तिब्बत से जोड़ता है। सतलुज नदी इसी दर्रे से भारत में प्रवेश करती है।यह भारत-चीन सीमा पर स्थित है और समुद्र तल से 3,998 मीटर की ऊंचाई पर है।
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रोहतांग दर्रा (Rohtang Pass):
कुल्लू घाटी को लाहौल और स्पीति घाटियों से जोड़ता है। यह पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है।यह दर्रा समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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ज़ोजिला दर्रा (Zoji La Pass):
श्रीनगर को लेह (लद्दाख) से जोड़ता है। यह सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।यह दर्रा समुद्र तल से 3,528 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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बनिहाल दर्रा (Banihal Pass):
जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है। जवाहर सुरंग इसी दर्रे में स्थित है।इसकी ऊंचाई लगभग 2,832 मीटर है।
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लिपुलेख दर्रा (Lipulekh Pass):
उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। यह कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग है।यह दर्रा 5,334 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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बोमडिला दर्रा (Bomdila Pass):
अरुणाचल प्रदेश में स्थित, यह तवांग को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।इसकी ऊंचाई लगभग 2,438 मीटर है।
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खारदुंग ला दर्रा (Khardung La Pass):
लेह को नुब्रा घाटी से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल रोड्स में से एक है।इसकी ऊंचाई 5,359 मीटर है।
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जेलप ला दर्रा (Jelep La Pass):
सिक्किम को भूटान और तिब्बत से जोड़ता है।यह दर्रा 4,267 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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नाथू ला दर्रा (Niti Pass):
उत्तराखंड में स्थित, तिब्बत से जोड़ता है।यह दर्रा 5,070 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
दर्रों का महत्व
- रणनीतिक महत्व: दर्रे सीमाओं की सुरक्षा और सैन्य आवागमन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- व्यापारिक मार्ग: ऐतिहासिक रूप से ये दर्रे व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मार्ग थे।
- पर्यटन: कई दर्रे अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
एक-पंक्ति तथ्य (One-liner Facts)
- खारदुंग ला दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क में से एक है।
- नाथू ला 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद 2006 में व्यापार के लिए खोला गया।
- रोहतांग दर्रा का अर्थ है “लाशों का मैदान” क्योंकि यहां कई लोग मौसम की कठोरता के कारण मारे गए।
- बनिहाल दर्रा में स्थित जवाहर सुरंग 1956 में बनकर तैयार हुई।
- लिपुलेख दर्रा से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा होती है।