भारत की अर्थव्यवस्था विशिष्ट विशेषताओं से युक्त है जो इसे विकासशील देशों के सामान्य स्वरूप से जोड़ती है। नीचे कुछ प्रमुख विशेषताओं के साथ संबंधित तथ्य, आँकड़े (facts and figures) प्रस्तुत किए गए हैं, जिन्हें परीक्षाओं में उपयोग किया जा सकता है:
कृषि आधारित (Agriculture-Based)
- भारत में अभी भी एक बड़ा श्रमबल कृषि क्षेत्र पर निर्भर है।
- लगभग 50-60% जनसंख्या कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों से आजीविका प्राप्त करती है।
- 2019-20 के आँकड़ों के अनुसार कृषि का सकल मूल्य संवर्धन (GVA) लगभग 18% के आस-पास रहा। (वर्षों के अनुसार प्रतिशत में उतार-चढ़ाव होता रहता है, पर औसत 15-20% के बीच रहता है)
- भारत विश्व में चावल एवं गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, तथा दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
- कारण: ऐतिहासिक रूप से कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था, ग्रामीण क्षेत्रों का बहुलता, औद्योगीकरण व सेवाक्षेत्र में अपेक्षाकृत कम श्रम खपत।
जनसंख्या वृद्धि और निम्न पूंजी निर्माण (High Population Growth and Low Capital Formation)
- भारत की जनसंख्या 2023 में लगभग 1.4 अरब से अधिक पहुँच गई है, और यह विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है।
- उच्च जनसंख्या वृद्धि दर से प्रति व्यक्ति संसाधन उपलब्धता कम होती है।
- निम्न पूँजी निर्माण (Capital Formation) आर्थिक विकास को धीमा करता है।
- सकल स्थिर पूँजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation) जीडीपी का लगभग 29-31% के आस-पास रहता है, जो तेज विकास के लिए अपेक्षाकृत कम माना जाता है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)
- भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है जहाँ सार्वजनिक (Public) और निजी (Private) दोनों क्षेत्रों की सहभागिता है।
- स्वतंत्रता के बाद से, सार्वजनिक क्षेत्र ने आधारभूत उद्योगों (Heavy Industries), इंफ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग और बीमा में बड़ी भूमिका निभाई है।
- उदारीकरण (Liberalization) के बाद से निजी क्षेत्र का विस्तार हुआ है, खासकर सेवाक्षेत्र (IT, वित्त, दूरसंचार) में तेजी आई है।
- मिश्रित अर्थव्यवस्था मॉडल का उद्देश्य सामाजिक न्याय और आर्थिक कुशलता के बीच संतुलन बनाना है।
विदेशी पूंजी पर निर्भरता (Dependence on Foreign Capital)
- विकास और आधुनिकीकरण के लिए भारत को विदेशी पूँजी (FDI, FPI, विदेशी ऋण) की आवश्यकता रहती है।
- 2021-22 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह लगभग 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
- बाहरी ऋण (External Debt) तथा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Portfolio Investment) भी वृद्धि दिखाते हैं।
- आयात-निर्यात असंतुलन तथा उन्नत तकनीक हेतु विदेशी निवेश पर निर्भरता भी बनी रहती है।
निम्न जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय (Low GDP and Per Capita Income)
- भले ही समग्र जीडीपी के मामले में भारत विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में है, परंतु प्रति व्यक्ति आय अभी भी निम्न स्तर पर है।
- 2022-23 में भारत की जीडीपी लगभग 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब थी, जो इसे विश्व की टॉप 5 अर्थव्यवस्थाओं में स्थान देती है।
- हालाँकि, प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,000-2,500 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष (2022-23 अनुमान) ही है, जो विकसित देशों की अपेक्षा काफी कम है।
- कम प्रति व्यक्ति आय के कारण जीवन स्तर (Standard of Living) और मानव विकास सूचकांक (HDI) अन्य विकसित देशों की तुलना में निम्न बना रहता है।
ये विशेषताएँ संयुक्त रूप से भारत की अर्थव्यवस्था की जटिलता, चुनौतियों और संभावनाओं को दर्शाती हैं। कृषि पर अत्यधिक निर्भरता, विशाल जनसंख्या दबाव, मिश्रित आर्थिक ढाँचा, विदेशी पूँजी पर निर्भरता, तथा अपेक्षाकृत कम प्रति व्यक्ति आय मिलकर नीति-निर्माताओं के समक्ष ऐसे प्रश्न खड़े करते हैं जिनका समाधान समग्र और दीर्घकालिक रणनीतियों से ही संभव है।