भारत के समक्ष अभी भी अनेक संरचनात्मक चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जो तीव्र विकास, समावेशी वृद्धि, और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करती हैं। इन चुनौतियों के समाधान के लिए आर्थिक नीतियों, सामाजिक सुधारों तथा संस्थागत मजबूती की आवश्यकता है।
गरीबी और भूखमरी (Poverty and Hunger)
- गरीबी:
- वैश्विक स्तर पर भारत ने पिछले कुछ दशकों में गरीबी घटाने में प्रगति की है, परंतु अभी भी बड़ी संख्या में लोग निर्धनता रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं।
- विश्व बैंक (World Bank) के अनुसार, 2011 की क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर तय 1.90 डॉलर/दिन मानक से देखें, तो भारत में गरीबी में कमी आई है, परंतु अभी भी करोड़ों की संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
- भूखमरी:
- भूख और कुपोषण की समस्या बनी हुई है।
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index – GHI) 2022 में भारत की रैंक 107वें स्थान पर रही (121 देशों में), जो दर्शाता है कि कुपोषण (Malnutrition), बाल कुपोषण और अल्पपोषण की समस्या गंभीर है।
- पोषण अभियान (Poshan Abhiyan) सहित अनेक सरकारी योजनाओं के बावजूद पोषण स्तर में सुधार अपेक्षित है।
आर्थिक असमानता (Economic Inequality)
- आर्थिक विकास में तेजी आने के बावजूद आर्थिक असमानता बढ़ी है।
- ऑक्सफैम (Oxfam) की असमानता संबंधी रिपोर्ट समय-समय पर इंगित करती है कि भारत में धनी और गरीब के बीच सम्पत्ति का अंतर गहरा रहा है।
- शीर्ष 10% आबादी के पास बहुत अधिक संपत्ति का स्वामित्व, जबकि निचले तबके के पास बहुत कम।
- असमानता से सामाजिक तनाव, अपराध, निम्न मानव विकास सूचकांक (HDI) और असंतुलित विकास का खतरा बढ़ जाता है।
शिक्षा का निम्न स्तर (Low Education Levels)
- शिक्षा की गुणवत्ता और उपलब्धता दोनों चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- यूनेस्को (UNESCO) के वैश्विक शिक्षा मॉनिटरिंग रिपोर्ट व विभिन्न शिक्षा सूचकांकों के अनुसार, बुनियादी शिक्षा तक पहुँच में सुधार हुआ है, परंतु सीखने के परिणाम (Learning Outcomes) संतोषजनक नहीं हैं।
- ASER (Annual Status of Education Report) रिपोर्टों में यह सामने आया है कि अनेक विद्यार्थी अपनी कक्षा के स्तर के अनुसार पढ़ने-लिखने और गणित के मूलभूत कौशल में कमजोर हैं।
- उच्च शिक्षा में नामांकन बढ़ा है, परंतु विश्व स्तरीय गुणवत्ता और शोध एवं नवाचार (R&D) अब भी सीमित है।
बेरोजगारी (Unemployment)
- रोजगार के अवसरों का अभाव, विशेषकर संगठित क्षेत्र में, एक बड़ी चुनौती है।
- पेरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, युवा बेरोजगारी उच्च स्तर पर है।
- बेरोजगारी दर समय के साथ बदलती रहती है, परंतु 2021-22 के दौरान युवा बेरोजगारी दर 20% से अधिक पाई गई (शहरी क्षेत्रों में)।
- रोजगार के क्षेत्र में कौशल विकास (Skill Development) और श्रम बाजार सुधारों की आवश्यकता है ताकि बढ़ती आबादी को उत्पादक रोजगार मिल सके।
इन चारों चुनौतियों का आपस में गहरा संबंध है—गरीबी और भूखमरी शिक्षा व स्वास्थ्य पर असर डालती है, असमानता सामाजिक समरसता को प्रभावित करती है, शिक्षा की कमी से उत्पादकता व नवाचार प्रभावित होते हैं, और बेरोजगारी से आर्थिक संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। नीति निर्माताओं के समक्ष इन मुद्दों को संतुलित व समग्र दृष्टिकोण के साथ संबोधित करना एक दीर्घकालिक प्राथमिकता है।