राष्ट्रीय आय (National Income) उस कुल मूल्य को दर्शाती है, जो एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वित्तीय वर्ष) में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं (Final Goods) और सेवाओं (Services) से प्राप्त होता है। यह मूल्य बाज़ार कीमतों (Market Prices) या कारक लागत (Factor Cost) पर मापा जा सकता है। इसमें केवल उन्हीं वस्तुओं/सेवाओं का मूल्य शामिल किया जाता है जो अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचती हैं तथा जिनका उत्पादन उस वर्ष हुआ हो।
3.2 राष्ट्रीय आय में शामिल और बाहर की जाने वाली चीज़ें (What is Included and Excluded in National Income)
शामिल (Included):
- अंतिम वस्तुएँ एवं सेवाएँ, जैसे कृषि उत्पाद, औद्योगिक सामान, सेवा क्षेत्र की सेवाएँ, जिनका बाज़ार मूल्य हो।
- अर्थव्यवस्था में उत्पादित नए माल एवं सेवाएँ जिनमें मूल्य संवर्धन (Value Addition) हुआ है।
बाहर (Excluded):
- हस्तांतरण भुगतान (Transfer Payments), जैसे पेंशन (Pension), सामाजिक सुरक्षा लाभ, अनुदान, क्योंकि इनके बदले में कोई उत्पादन नहीं होता।
- प्रयुक्त वस्तुओं (Used Goods) की बिक्री, जिनका उत्पादन पूर्व में हुआ था।
- लॉटरी जीत, उपहार (Gifts), विरासत में मिली संपत्ति इत्यादि।
- वित्तीय लेनदेन जैसे शेयर एवं बॉन्ड खरीदना, जो वास्तविक उत्पादन से नहीं जुड़े।
उदाहरण: दादाभाई नौरोजी ने अपने समय में भारत की प्रति व्यक्ति आय को लगभग ₹20 प्रति वर्ष (19वीं शताब्दी के अंत में) आंका था, पर यह केवल आकलन था, इसमें सेवानिवृत्ति पेंशन, उपहार आदि शामिल नहीं थे।
3.3 भारत में राष्ट्रीय आय का इतिहास (History of National Income in India)
- दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji): 1867 के आस-पास उन्होंने भारत की राष्ट्रीय आय का प्रारंभिक अनुमान लगाया। उन्होंने “पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया” (1901) में अनुमान लगाया कि प्रति व्यक्ति आय लगभग ₹20 प्रति वर्ष थी।
- आर.सी. देसाई (R.C. Desai): 1910-20 के दशक में इन्होंने भी राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रस्तुत किए। आर.सी. देसाई के एक अनुमान के अनुसार 1913-14 में प्रति व्यक्ति आय लगभग ₹70-₹75 के आसपास थी, जो बाद की अवधि में कुछ हद तक कम आंकी गई।
- वी.के.आर.वी. राव (V.K.R.V. Rao): 1930 और 1940 के दशक में इन्होंने अधिक सटीक अनुमान लगाए। 1931-32 के लिए राव ने प्रति व्यक्ति आय लगभग ₹60-₹65 के दायरे में बताई। राव के अनुमान अधिक व्यवस्थित और सांख्यिकीय रूप से परिष्कृत माने जाते हैं।
- स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय आय आकलन संगठित हुआ।
- केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation – CSO) की स्थापना 1951 में की गई। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- CSO का कार्य राष्ट्रीय खातों की तैयारी, आर्थिक सूचकों का संकलन और राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाना था।
- बाद में 2019 में CSO और NSSO का विलय कर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office – NSO) का गठन किया गया, जो अब आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय आय संबंधी आंकड़े जारी करता है।
3.4 राष्ट्रीय आय की गणना (Calculation of National Income)
भारत में वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना NSO द्वारा की जाती है।
- जीडीपी (GDP), जीएनआई (GNI), एनएनआई (NNI) जैसी संकल्पनाएँ इस्तेमाल की जाती हैं।
- वर्तमान में राष्ट्रीय आय की गणना के लिए आधार वर्ष का प्रयोग किया जाता है, ताकि मूल्य स्तर में परिवर्तन को नियंत्रित किया जा सके।
- आधार वर्ष (Base Year): वह वर्ष जिसको मूल्य तुलना के लिए मानक माना जाता है। वर्तमान में भारत 2011-12 को आधार वर्ष के रूप में प्रयोग करता है। आधार वर्ष बदलने का उद्देश्य अर्थव्यवस्था की वर्तमान संरचना को बेहतर दर्शाना और मूल्य परिवर्तनों के प्रभाव को समायोजित करना है।
- चालू वर्ष (Current Year): वह वर्ष जिसके लिए राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया जाता है। आधार वर्ष और चालू वर्ष की तुलना से वास्तविक विकास दर निकाली जाती है।
3.5 राष्ट्रीय आय की गणना विधियाँ (Methods of Calculating National Income)
राष्ट्रीय आय की गणना (Calculation of National Income)
वर्तमान प्रणाली (Current System):
- वर्तमान में तीन प्रमुख विधियाँ उपयोग की जाती हैं:
- आय विधि (Income Method)।
- व्यय विधि (Expenditure Method)।
- उत्पादन विधि (Production Method)।
आधार वर्ष और चालू वर्ष (Base Year and Current Year):
- आधार वर्ष:
- आर्थिक तुलना के लिए स्थिर मूल्य स्तर का उपयोग किया जाता है।
- भारत में वर्तमान आधार वर्ष: 2011-12।
- चालू वर्ष:
- राष्ट्रीय आय का अनुमान चालू मूल्यों (Current Prices) और स्थिर मूल्यों (Constant Prices) दोनों पर लगाया जाता है।
- चालू मूल्य: मुद्रास्फीति के प्रभाव सहित।
- स्थिर मूल्य: मुद्रास्फीति से समायोजित।
3.5 राष्ट्रीय आय की गणना विधियाँ (Methods of Calculating National Income)
(a) आय विधि (Income Method):
- इस विधि में आय के सभी स्रोतों का योग किया जाता है।
- संघटक:
- मजदूरी (Wages)
- किराया (Rent)
- ब्याज (Interest)
- लाभ (Profit)
- सूत्र:
राष्ट्रीय आय = मजदूरी + किराया + ब्याज + लाभ
(b) व्यय विधि (Expenditure Method):
- इसमें अंतिम उपभोग और निवेश व्यय का योग किया जाता है।
- संघटक:
- उपभोक्ता व्यय (Consumption Expenditure)
- निवेश व्यय (Investment Expenditure)
- सरकारी व्यय (Government Expenditure)
- निर्यात और आयात का अंतर (Net Exports = Exports – Imports)
- सूत्र:
राष्ट्रीय आय = उपभोग व्यय (C) + निवेश व्यय (I) + सरकारी व्यय (G) + (निर्यात – आयात)
(c) उत्पादन विधि (Production Method):
- इसमें सभी आर्थिक क्षेत्रों के सकल मूल्य का योग किया जाता है।
- संघटक:
- प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector): कृषि और मत्स्य।
- द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector): विनिर्माण।
- तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector): सेवाएँ।
- सूत्र:
राष्ट्रीय आय = सकल मूल्य – मध्यवर्ती खपत
महत्वपूर्ण आँकड़े और तथ्य (Key Facts and Statistics):
- 2023 में भारत का GDP: $3.73 ट्रिलियन।
- भारत की वैश्विक GDP रैंकिंग: 5वीं।
- सेवा क्षेत्र का योगदान: 55-60%।
- कृषि क्षेत्र का योगदान: 15-18%।
- औद्योगिक क्षेत्र का योगदान: 25-30%।
आधार वर्ष और चालू वर्ष (Base Year and Current Year):
- आधार वर्ष (Base Year): वह वर्ष जिसे मूल्य स्तर, संरचना एवं सांख्यिकीय तुलनाओं के लिए मानक (benchmark) बनाया जाता है।
- कारण: मूल्य स्तर में समय के साथ परिवर्तन होता रहता है, इसलिए एक स्थिर तुलनात्मक वर्ष चुनने से वास्तविक विकास दर (Real Growth) पता चलती है।
- चालू वर्ष (Current Year): वह वर्ष जिसके लिए हम वास्तविक उत्पादन, आय आदि का मूल्यांकन कर रहे होते हैं।
- भारत में आधार वर्ष को समय-समय पर बदला जाता है (उदाहरण: हाल के वर्षों में 2011-12 को आधार वर्ष बनाया गया), ताकि अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक बदलावों, उत्पादन पैटर्न, मूल्य सूचकांकों एवं बेहतर डेटा उपलब्धता को रेखांकित किया जा सके।
सभी विधियों से, सैद्धांतिक रूप से, एक ही राष्ट्रीय आय राशि प्राप्त होनी चाहिए। डेटा अंतर तथा सांख्यिकीय चुनौतियों के कारण व्यावहारिक रूप से कुछ भिन्नता हो सकती है। बेहतर सटीकता के लिए NSO विभिन्न सर्वेक्षणों, प्रशासनिक आंकड़ों तथा नवीनतम विधियों का प्रयोग करता है।