गरीबी और बेरोजगारी एक राष्ट्र के आर्थिक विकास, सामाजिक संरचना और जीवन स्तर को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे हैं।
गरीबी (Poverty)
परिभाषा (Definition):
गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं (जैसे भोजन, कपड़ा, और आवास) को पूरा करने में असमर्थ होता है।
- विश्व बैंक के अनुसार, गरीबी को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जब एक व्यक्ति $2.15 प्रतिदिन से कम की आय पर जीवित रहता है (2022 के आधार पर)।
- भारत में गरीबी को राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम आवश्यक खपत या आय सीमा के आधार पर मापा जाता है।
गरीबी के प्रकार (Types of Poverty)
1. सापेक्ष गरीबी (Relative Poverty):
- यह स्थिति समाज में आय और जीवन स्तर में असमानता को दर्शाती है।
- विशेषताएँ:
- व्यक्तियों की आय और संपत्ति का तुलना करके मापा जाता है।
- विकसित और विकासशील दोनों देशों में पाई जाती है।
- उदाहरण: एक समाज में कुछ व्यक्तियों के पास लक्ज़री जीवन हो, जबकि अन्य बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते।
2. निरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty):
- यह स्थिति उस आय स्तर को दर्शाती है, जिसके नीचे व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं कर सकता।
- विशेषताएँ:
- एक निश्चित गरीबी रेखा के आधार पर मापा जाता है।
- मुख्य रूप से विकासशील देशों में प्रचलित।
- उदाहरण: भारत में प्रति व्यक्ति न्यूनतम कैलोरी खपत पर आधारित मापदंड।
मापन के लिए बनी समितियाँ और सिफारिशें (Committees and Recommendations)
1. रथ और डांडेकर समिति (Rath and Dandekar Committee):
- स्थापना वर्ष: 1971
- आधार: भारत में निरपेक्ष गरीबी की माप के लिए खपत व्यय।
- सिफारिशें:
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति न्यूनतम 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी।
- गरीबी रेखा को खाद्य और गैर-खाद्य व्यय के आधार पर मापा जाना चाहिए।
- प्रभाव: पहली बार गरीबी को निरपेक्ष खपत पर आधारित मापदंड से जोड़ा गया।
2. सुरेश तेंदुलकर समिति (Suresh Tendulkar Committee):
- स्थापना वर्ष: 2005
- आधार: गरीबी को खर्च-आधारित दृष्टिकोण से मापने का प्रयास।
- सिफारिशें:
- गरीबी रेखा के लिए मल्टी-डायमेंशनल दृष्टिकोण।
- प्रति व्यक्ति दैनिक खर्च ग्रामीण क्षेत्रों में ₹27 और शहरी क्षेत्रों में ₹33।
- कैलोरी खपत के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य मूलभूत जरूरतों को शामिल करना।
- प्रभाव: भारत में गरीबी की परिभाषा और मापन में सुधार हुआ।
3. रंगराजन समिति (Rangarajan Committee):
- स्थापना वर्ष: 2012
- आधार: गरीबी मापन के लिए खर्च और खपत दोनों।
- सिफारिशें:
- गरीबी रेखा के लिए प्रति व्यक्ति दैनिक खर्च ग्रामीण क्षेत्रों में ₹32 और शहरी क्षेत्रों में ₹47।
- खाद्य खपत के साथ गैर-खाद्य जरूरतों को भी समाविष्ट किया।
- प्रभाव: गरीबी रेखा की अधिक यथार्थवादी और समावेशी परिभाषा।
भारत में गरीबी से संबंधित प्रमुख आँकड़े (Key Facts and Figures)
- गरीबी दर:
- 2011-12 में गरीबी दर 21.9% (तेंदुलकर समिति) थी।
- 2019 में गरीबी दर में गिरावट आई और यह 16% तक मानी जाती है।
- 2023 में विश्व बैंक के अनुसार, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 10% आंकी गई है।
- अत्यधिक गरीबी में कमी:
- 1990 में 45% भारतीय आबादी गरीबी में थी।
- 2021 में यह घटकर लगभग 10% रह गई।
- ग्लोबल पावर्टी इंडेक्स (2023):
- भारत की गरीबी घटाने में प्रगति उल्लेखनीय है।
- 2015 के बाद से 41 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया।
भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रमुख योजनाएँ (Government Schemes for Poverty Eradication)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA):
- ग्रामीण परिवारों को कम से कम 100 दिन का रोजगार प्रदान करना।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY):
- COVID-19 महामारी के दौरान निशुल्क खाद्यान्न वितरण।
- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM):
- गरीबों के लिए स्वरोजगार और कौशल विकास।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY):
- गरीबी उन्मूलन के लिए बैंकिंग सेवाओं का विस्तार।
- गरीबी एक ऐसी समस्या है जो भारत जैसे विकासशील देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करती है।
- विभिन्न समितियों ने गरीबी के मापन के लिए भिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।
- गरीबी मापन के सुधार के साथ, भारत ने अत्यधिक गरीबी में उल्लेखनीय कमी दर्ज की है।
- गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार की योजनाएँ और नीतियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।