मुद्रास्फीति (Inflation)
मुद्रास्फीति की परिभाषा: मुद्रास्फीति एक ऐसी आर्थिक स्थिति है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा की क्रय शक्ति (Purchasing Power) में गिरावट आती है। सरल शब्दों में, जब महंगाई बढ़ती है, तो आपके पैसे से पहले की तुलना में कम सामान और सेवाएं खरीदी जा सकती हैं।
मुख्य विशेषताएं:
- यह कीमतों में एक स्थायी और व्यापक वृद्धि को दर्शाता है, न कि कुछ वस्तुओं की कीमतों में अस्थायी वृद्धि को।
- एक नियंत्रित और मध्यम मुद्रास्फीति (जैसे 2-3%) को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि यह उत्पादन और निवेश को प्रोत्साहित करती है।
- अत्यधिक मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकती है।
मुद्रास्फीति के प्रकार
मांग-जनित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation)
यह तब होती है जब अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग उनकी कुल आपूर्ति से अधिक हो जाती है। यानी, “बहुत सारा पैसा बहुत कम सामान का पीछा करता है”।
- कारण: आय में वृद्धि, सरकारी व्यय में वृद्धि, या आसान ऋण उपलब्धता।
- उदाहरण: त्योहारी सीजन में वस्तुओं की बढ़ती मांग के कारण कीमतें बढ़ना।
लागत-जनित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation)
यह उत्पादन की लागत में वृद्धि के कारण होती है। जब उत्पादन के कारक (जैसे कच्चा माल, मजदूरी) महंगे हो जाते हैं, तो कंपनियां बढ़ी हुई लागत को उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं।
- कारण: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, मजदूरी में वृद्धि, या आपूर्ति श्रृंखला में बाधा।
- उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण परिवहन लागत और फिर सभी वस्तुओं का महंगा होना।
स्टैगफ्लेशन (Stagflation)
यह एक दुर्लभ और जटिल स्थिति है जब अर्थव्यवस्था में उच्च मुद्रास्फीति, उच्च बेरोजगारी, और आर्थिक ठहराव (Stagnation) एक साथ मौजूद होते हैं।
- उदाहरण: 1970 के दशक में तेल संकट के कारण कई पश्चिमी देशों ने इस स्थिति का अनुभव किया।
कोर मुद्रास्फीति (Core Inflation)
कोर मुद्रास्फीति, हेडलाइन मुद्रास्फीति से अस्थिर वस्तुओं, विशेष रूप से खाद्य और ऊर्जा की कीमतों को हटाकर मापी जाती है।
- उद्देश्य: इसका उपयोग केंद्रीय बैंकों द्वारा मुद्रास्फीति के अंतर्निहित और दीर्घकालिक रुझान को समझने के लिए किया जाता है ताकि वे बेहतर मौद्रिक नीति बना सकें।
भारत में मुद्रास्फीति से संबंधित आँकड़े
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI): भारत में खुदरा मुद्रास्फीति का मुख्य मापक CPI है। हाल के महीनों में, यह 4% से 5% के बीच रही है।
- RBI का लक्ष्य: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का मध्यावधि मुद्रास्फीति लक्ष्य 4% है, जिसमें +/- 2% का टॉलरेंस बैंड (यानी 2% से 6% की सीमा) है।
- थोक मूल्य सूचकांक (WPI): WPI आधारित मुद्रास्फीति में हाल के दिनों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है, जो वैश्विक कमोडिटी की कीमतों से प्रभावित होता है।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय
- मौद्रिक उपाय (Monetary Measures – RBI द्वारा):
- रेपो रेट में वृद्धि: अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को कम करना।
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR) और सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) में वृद्धि।
- खुले बाजार की क्रियाएं (OMO): बाजार से तरलता (पैसा) सोखना।
- राजकोषीय उपाय (Fiscal Measures – सरकार द्वारा):
- सार्वजनिक व्यय में कमी और करों में वृद्धि।
- आपूर्ति पक्ष के उपाय: आवश्यक वस्तुओं के आयात को आसान बनाना, बफर स्टॉक जारी करना और जमाखोरी को रोकना।