परिचय (Introduction)
वैश्विक तापन (Global Warming) का अर्थ पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि से है, जो मुख्य रूप से ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) के बढ़ते उत्सर्जन के कारण होता है।
ग्रीनहाउस प्रभाव (Greenhouse Effect) ग्रीनहाउस प्रभाव, पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद कुछ गैसों की वजह से होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इन गैसों की वजह से सूरज से आने वाली गर्मी वायुमंडल में कैद हो जाती है और ज़मीन का तापमान बढ़ता है।इसी प्रक्रिया को ग्रीनहाउस प्रभाव कहते हैं। जो पृथ्वी को जीवन के अनुकूल बनाए रखती है।
1. ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gases – GHGs)
प्रमुख ग्रीनहाउस गैसें और उनका योगदान
ग्रीनहाउस गैस | स्रोत | वैश्विक तापन में योगदान (%) |
---|---|---|
कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) | जीवाश्म ईंधन, वनों की कटाई | 76% |
मीथेन (CH₄) | पशुधन, चावल की खेती | 16% |
नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) | उर्वरक, औद्योगिक प्रक्रियाएँ | 6% |
जल वाष्प (Water Vapor) | प्राकृतिक जल चक्र | अप्रत्यक्ष |
एफ-गैस (Fluorinated Gases) | एसी, रेफ्रिजरेटर | 2% |
महत्त्वपूर्ण तथ्यों पर एक नज़र (Key Facts)
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂):
- 2021 में CO₂ का वैश्विक स्तर 417 ppm (Pre-industrial levels: 280 ppm)।
- तथ्य: भारत 2022 में CO₂ उत्सर्जन में तीसरे स्थान पर था।
- मीथेन (CH₄):
- मीथेन का ग्रीनहाउस प्रभाव CO₂ से 28-34 गुना अधिक है।
- उदाहरण: पशुपालन और लैंडफिल कचरे से मीथेन उत्सर्जन।
- जल वाष्प (Water Vapor):
- यह प्राकृतिक गैस है, जो तापमान बढ़ने पर वातावरण में अधिक मात्रा में मौजूद होती है।
- जलवाष्प तात्कालिक प्रभाव तो डालती है लेकिन इसका मानवजनित योगदान सीमित है।
2. आईपीसीसी रिपोर्ट (IPCC Reports)
परिचय (Introduction)
आईपीसीसी (IPCC – Intergovernmental Panel on Climate Change) संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है, जो जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक मूल्यांकन प्रकाशित करती है।
- स्थापना: 1988, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व मौसम संगठन (WMO) द्वारा।
प्रमुख रिपोर्ट्स और उनके निष्कर्ष (Key Reports and Findings)
- पहली रिपोर्ट (1990):
- जलवायु परिवर्तन की शुरुआत और इसके प्रभाव।
- ग्लोबल वार्मिंग में ग्रीनहाउस गैसों की भूमिका।
- पाँचवीं आकलन रिपोर्ट (AR5, 2014):
- तथ्य: 1880 से 2012 तक वैश्विक तापमान में 0.85°C वृद्धि।
- समुद्र स्तर में वृद्धि और बर्फ पिघलने की पुष्टि।
- छठी आकलन रिपोर्ट (AR6, 2021):
- तथ्य:
- 1.1°C तापमान वृद्धि (Pre-industrial levels से)।
- ग्लोबल वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित करने की सिफारिश।
- चेतावनी: यदि वर्तमान उत्सर्जन दर जारी रहती है, तो 2100 तक तापमान 2.7°C तक बढ़ सकता है।
- तथ्य:
महत्त्वपूर्ण आँकड़े (Key Statistics)
- समुद्र स्तर में वार्षिक वृद्धि: 3.3 मिमी।
- आर्कटिक समुद्री बर्फ हर दशक में 12.6% सिकुड़ रही है।
ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक तापन का प्रभाव (Impacts of Greenhouse Effect and Global Warming)
- ग्लेशियर पिघलना (Melting of Glaciers):
- हिमालय और आर्कटिक में बर्फ का तेजी से पिघलना।
- उदाहरण: ग्रीनलैंड में बर्फ का वार्षिक नुकसान 250 गीगाटन।
- समुद्र स्तर में वृद्धि (Rising Sea Levels):
- तटीय क्षेत्रों और द्वीप देशों पर खतरा।
- तथ्य: 2100 तक समुद्र स्तर 1 मीटर तक बढ़ सकता है।
- चरम मौसम की घटनाएँ (Extreme Weather Events):
- अधिक सूखा, चक्रवात, और बाढ़।
- उदाहरण: भारत में 2022 में 400 चरम मौसम घटनाएँ दर्ज की गईं।
ग्रीनहाउस प्रभाव को कम करने के उपाय (Mitigation Measures)
- स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy):
- सौर, पवन, और जल विद्युत का उपयोग।
- तथ्य: भारत में 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य।
- वनीकरण (Afforestation):
- वनों की कटाई को रोकना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती (Reduction in GHG Emissions):
- उद्योगों और वाहनों के उत्सर्जन पर नियंत्रण।
- उदाहरण: भारत में Bharat Stage-VI (BS-VI) उत्सर्जन मानक।
- पेरिस समझौता (Paris Agreement, 2015):
- ग्लोबल वार्मिंग को 2°C से कम रखने का लक्ष्य।
ग्रीनहाउस प्रभाव और वैश्विक तापन से निपटने के लिए सामूहिक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास और सतत विकास आवश्यक हैं। आईपीसीसी रिपोर्ट्स ने वैश्विक तापन के बढ़ते खतरों को उजागर किया है, और इसके समाधान के लिए विज्ञान आधारित नीतियों को लागू करने की सिफारिश की है। सतत विकास के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में काम करना अनिवार्य है।