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नीति साधन (Policy Instruments)


पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment – EIA)

परिचय (Introduction)

पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) एक ऐसा नीति साधन है, जिसका उद्देश्य विकास परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों का पूर्वानुमान लगाना और इन प्रभावों को कम करने के लिए उपाय सुझाना है।

  • भारत में EIA को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अनिवार्य किया गया।
  • महत्त्व: पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए आर्थिक विकास।

उद्देश्य (Objectives)

  1. परियोजनाओं के पर्यावरणीय, सामाजिक, और आर्थिक प्रभावों का मूल्यांकन।
  2. नकारात्मक प्रभावों को कम करना।
  3. सतत विकास को बढ़ावा देना।

प्रमुख चरण (Key Steps in EIA)

  1. स्क्रीनिंग (Screening):
    • परियोजनाओं को उनकी प्रकृति और संभावित प्रभाव के आधार पर वर्गीकृत करना।
  2. स्कोपिंग (Scoping):
    • मूल्यांकन के लिए प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों और संकेतकों की पहचान।
  3. प्रभाव आकलन (Impact Assessment):
    • वायु, जल, भूमि, जैव विविधता, और सामाजिक पहलुओं पर संभावित प्रभावों का विश्लेषण।
  4. सार्वजनिक सुनवाई (Public Hearing):
    • परियोजना के संभावित प्रभावों पर जनता की राय लेना।
  5. पर्यावरण प्रबंधन योजना (Environmental Management Plan – EMP):
    • प्रभावों को कम करने और निगरानी के लिए रणनीतियों का विवरण।
  6. मंजूरी (Approval):
    • केंद्रीय या राज्य पर्यावरण मंत्रालय द्वारा परियोजना को स्वीकृति।

महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)

  • भारत में EIA की प्रक्रिया को 1994 में अधिसूचित किया गया था।
  • 2020 में नया मसौदा (Draft EIA 2020) पेश किया गया, जो पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करता है।

उदाहरण (Examples)

  • नर्मदा बांध परियोजना:
    • EIA के आधार पर विस्थापित समुदायों और पर्यावरणीय क्षति पर रिपोर्ट।
  • स्टर्लाइट कॉपर प्लांट:
    • तमिलनाडु में EIA के बिना संचालन के कारण बंद।

सीमाएँ (Limitations)

  1. कमजोर कार्यान्वयन।
  2. पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी की कमी।
  3. कभी-कभी विकास परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय चिंताओं की अनदेखी।

रणनीतिक पर्यावरण मूल्यांकन (Strategic Environmental Assessment – SEA)

परिचय (Introduction)

रणनीतिक पर्यावरण मूल्यांकन (SEA) एक व्यापक नीति साधन है, जो नीतियों, योजनाओं, और कार्यक्रमों के पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करता है।

  • यह EIA का विस्तारित रूप है, जो परियोजना-विशेष मूल्यांकन के बजाय नीतिगत और क्षेत्रीय प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करता है।

उद्देश्य (Objectives)

  1. नीतिगत और क्षेत्रीय स्तर पर पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन।
  2. पर्यावरणीय चिंताओं को योजना निर्माण प्रक्रिया में शामिल करना।
  3. दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना।

मुख्य घटक (Key Components)

  1. नीति विश्लेषण (Policy Analysis):
    • नीतियों और योजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों की पहचान।
  2. रणनीतिक समाधान (Strategic Solutions):
    • नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक परिणामों को बढ़ाने के लिए समाधान।
  3. प्रभावित क्षेत्र का विश्लेषण (Regional Analysis):
    • भूगोल, सामाजिक संरचना, और पारिस्थितिकी पर प्रभाव।
  4. निगरानी और मूल्यांकन (Monitoring and Evaluation):
    • नीतियों और योजनाओं के क्रियान्वयन की नियमित निगरानी।

महत्त्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)

  • SEA को 1991 में UNECE (United Nations Economic Commission for Europe) के तहत विकसित किया गया।
  • भारत में SEA का उपयोग सीमित है, लेकिन इसे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता नीतियों में शामिल किया जा रहा है।

उदाहरण (Examples)

  • विकास योजनाएँ: स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में SEA का सुझाव।
  • ऊर्जा नीतियाँ: सौर और पवन ऊर्जा नीतियों का पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

EIA और SEA का अंतर (Difference Between EIA and SEA)

पैरामीटरEIASEA
फोकस (Focus)परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित।नीतियों, योजनाओं, और कार्यक्रमों पर।
दायरा (Scope)स्थानीय स्तर।क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर।
लक्ष्य (Goal)अल्पकालिक प्रभाव।दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता।
उदाहरण (Example)औद्योगिक संयंत्र का प्रभाव।क्षेत्रीय ऊर्जा नीति का मूल्यांकन।

पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और रणनीतिक पर्यावरण मूल्यांकन (SEA) दोनों ही नीतिगत और परियोजना-स्तरीय निर्णय लेने में पर्यावरणीय कारकों को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण साधन हैं। इनका प्रभावी कार्यान्वयन सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में सहायक हो सकता है। सामुदायिक भागीदारी और पारदर्शिता इनके सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक हैं।

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