1. कृषि अपवाह एवं कीटनाशक (Agricultural Runoff and Pesticides)
परिचय (Introduction)
कृषि अपवाह (Agricultural Runoff) खेतों से निकलने वाला पानी है, जो उर्वरकों, कीटनाशकों, और अन्य रसायनों के साथ नदियों, झीलों, और भूजल में प्रवेश करता है। यह जल प्रदूषण और पारिस्थितिक असंतुलन का एक प्रमुख कारण है।
- तथ्य: भारत में 2020 में उपयोग किए गए कुल कीटनाशकों की मात्रा लगभग 60,000 टन थी।
प्रमुख मुद्दे (Key Issues)
- कीटनाशकों और उर्वरकों का अति प्रयोग:
- रासायनिक उर्वरकों, जैसे यूरिया और डीएपी, के अधिक उपयोग से जल स्रोत दूषित हो रहे हैं।
- तथ्य: भारत में हर साल 58% से अधिक उर्वरकों का अति प्रयोग होता है।
- यूट्रोफिकेशन (Eutrophication):
- नदियों और झीलों में उर्वरकों की अधिकता से शैवाल (Algae) की अत्यधिक वृद्धि होती है।
- जल में ऑक्सीजन की कमी के कारण जलीय जीव मर जाते हैं।
- कीटनाशक प्रदूषण:
- खेतों में उपयोग किए गए कीटनाशकों से भूजल और सतही जल दूषित हो रहा है।
- उदाहरण: पंजाब में कैंसर बेल्ट का मुख्य कारण कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग है।
पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impacts)
- जल स्रोतों का प्रदूषण।
- जैव विविधता को नुकसान: जलीय जीवों और पक्षियों पर विषैले रसायनों का प्रभाव।
- मृदा गुणवत्ता का ह्रास: रासायनिक पदार्थों से मृदा की उर्वरता में कमी।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (Paramparagat Krishi Vikas Yojana):
- जैविक खेती को बढ़ावा देना।
- राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
- मृदा परीक्षण के माध्यम से उर्वरकों का संतुलित उपयोग।
समाधान (Solutions)
- जैविक खेती और प्राकृतिक कृषि।
- फसल चक्र (Crop Rotation) और मिश्रित खेती।
- सतत जल प्रबंधन प्रणाली।
2. वन क्षय एवं झूम खेती (Deforestation and Shifting Cultivation)
परिचय (Introduction)
वन क्षय (Deforestation) और झूम खेती (Shifting Cultivation) ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पारिस्थितिकीय असंतुलन का मुख्य कारण है।
- तथ्य: भारत में 2001 से 2020 तक लगभग 14% वन आवरण हटा दिया गया।
वन क्षय (Deforestation)
मुख्य कारण (Causes)
- कृषि विस्तार: खेती के लिए वनों की कटाई।
- औद्योगिक और शहरीकरण परियोजनाएँ:
- बाँध, सड़क, और खनन के लिए वनों का अतिक्रमण।
पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Impacts)
- जैव विविधता का नुकसान: वन्यजीवों का आवास समाप्त।
- जलवायु परिवर्तन: कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण में कमी।
- मृदा अपरदन (Soil Erosion):
- पेड़ों की जड़ों की अनुपस्थिति में मिट्टी का बहाव।
झूम खेती (Shifting Cultivation)
परिभाषा (Definition)
झूम खेती, जिसे स्लैश-एंड-बर्न खेती भी कहा जाता है, एक पारंपरिक कृषि पद्धति है, जिसमें जंगल को काटकर और जलाकर अस्थायी खेती की जाती है।
- स्थान: पूर्वोत्तर भारत, जैसे मिजोरम और नागालैंड।
मुख्य समस्याएँ (Key Problems)
- वनों का तेजी से नष्ट होना।
- मिट्टी की उर्वरता में गिरावट।
- स्थायी कृषि का अभाव।
सरकारी पहल (Government Initiatives)
- राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (National Afforestation Programme):
- वन क्षेत्र को पुनः स्थापित करना।
- CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority):
- वनों की क्षति की भरपाई के लिए क्षतिपूरक वनीकरण।
समाधान (Solutions)
- झूम खेती के स्थान पर स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
- सामुदायिक वनीकरण परियोजनाएँ।
- कृषि-वानिकी (Agroforestry) को बढ़ावा देना।
कृषि अपवाह, कीटनाशकों का अति प्रयोग, वन क्षय, और झूम खेती ग्रामीण और कृषि संबंधी प्रमुख समस्याएँ हैं। इनसे निपटने के लिए जैविक खेती, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, और स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है। सरकारी नीतियों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी से इन समस्याओं को प्रभावी ढंग से सुलझाया जा सकता है।