मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme)
- शुरुआत: फरवरी 2015
- उद्देश्य: मृदा (soil) की स्थिति जानकर उसमें मौजूद पोषक तत्त्वों की जानकारी देना, ताकि किसान फसल के अनुसार उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर सकें।
- प्रावधान:
- प्रत्येक किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है, जिसमें मृदा की गुणवत्ता (nutrient status) संबंधी जानकारी होती है।
- हर दो साल में मृदा का परीक्षण (soil testing) करने का प्रावधान।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2020 तक लगभग 23 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए।
- मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (soil testing labs) की संख्या में वृद्धि।
- प्रभाव:
- उर्वरकों की सही मात्रा जानने से इनपुट लागत में कमी।
- दीर्घकालिक रूप से मृदा की उर्वरता (fertility) एवं उत्पादकता में सुधार।
नीम लेपित यूरिया (Neem Coated Urea)
- शुरुआत: अप्रैल 2015 से 100% नीम लेपित यूरिया की अनिवार्यता।
- उद्देश्य:
- यूरिया के अंधाधुंध उपयोग पर रोक लगाना।
- यूरिया के धीरे-धीरे घुलने से पौधों को लम्बे समय तक पोषण मिलना।
- अनुदानित (subsidized) यूरिया का डायवर्ज़न (diversion) रोकना।
- प्रावधान:
- सभी यूरिया निर्माताओं को उत्पादन का 100% नीम लेपित करना अनिवार्य।
- नीम लेपित करने से यूरिया का नाइट्रोजन अवशोषण बेहतर।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2016-17 में नीम लेपित यूरिया की उपलब्धता से यूरिया की खपत में कमी दर्ज की गई।
- कृषि मंत्रालय के अनुसार, इससे फसल उत्पादकता में 5-8% तक वृद्धि का अनुमान।
- प्रभाव:
- उर्वरक उपयोग दक्षता में वृद्धि।
- मिट्टी की सेहत में सुधार।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PM Krishi Sinchayee Yojana – PMKSY)
- शुरुआत: 1 जुलाई 2015
- उद्देश्य:
- ‘हर खेत को पानी’ (Irrigation for every farm)
- सूक्ष्म सिंचाई (micro-irrigation) को बढ़ावा देना, जल उपयोग दक्षता बढ़ाना।
- प्रावधान:
- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP), जलधारा (Har Khet Ko Pani) और अधिक फसल प्रति बूंद (Per Drop More Crop) जैसी उप-योजनाओं का समावेश।
- सूक्ष्म सिंचाई (drip, sprinkler) पर सब्सिडी।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2015-20 के बीच लाखों हेक्टेयर भूमि सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में लाई गई।
- 2021 तक, योजना के तहत लगभग 50 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई से लाभान्वित।
- प्रभाव:
- पानी की बचत, फसल उत्पादकता में वृद्धि।
- वर्षा पर निर्भरता कम, स्थायी खेती (sustainable agriculture) को प्रोत्साहन।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
- शुरुआत: फरवरी 2016
- उद्देश्य:
- प्राकृतिक आपदाओं, कीट, रोग से फसल नुकसान पर वित्तीय सुरक्षा।
- किसानों के प्रीमियम (premium) दर को कम रखना।
- प्रावधान:
- खरीफ फसलों पर अधिकतम 2%, रबी फसलों पर 1.5%, बागवानी (horticulture) फसलों पर 5% प्रीमियम।
- फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiments) द्वारा नुकसान का आकलन।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2020-21 तक लगभग 29 करोड़ किसान आवेदन, करोड़ों रुपये के दावों (claims) का निपटान।
- दावा निपटान की गति बढ़ाने के लिए रिमोट सेंसिंग, ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी का प्रयोग।
- प्रभाव:
- खेती में जोखिम कम, किसानों की आय में स्थिरता।
- बीमा कवरेज बढ़ने से आर्थिक सुरक्षा।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा – PM-AASHA)
- शुरुआत: सितंबर 2018
- उद्देश्य:
- फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को प्रभावी बनाना।
- तिलहन एवं दलहन किसानों को सुनिश्चित रिटर्न।
- प्रावधान:
- मूल्य समर्थन योजना (Price Support Scheme)
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme – PDPS)
- निजी खरीद एवं भंडारण (Pilot Scheme on Private Procurement & Stockist Scheme – PPPS)
- डेटा एवं आँकड़े:
- दलहन एवं तिलहन खरीदी में राज्यों के माध्यम से MSP पर खरीद
- PDPS के अंतर्गत घोषित MSP और वास्तविक बाजार मूल्य के अंतर का प्रतिपूर्ति (compensation)
- प्रभाव:
- MSP का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाना।
- मूल्य अस्थिरता से सुरक्षा।
कुसुम योजना (KUSUM Yojana – Kisan Urja Suraksha Evam Utthaan Mahabhiyan)
- शुरुआत: 2019
- उद्देश्य:
- किसानों को सौर ऊर्जा (solar energy) आधारित सिंचाई पंप उपलब्ध कराना।
- कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन से आय के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करना।
- प्रावधान:
- सोलर पंप सेटों पर सब्सिडी
- बंजर/अनुपयोगी भूमि पर सौर संयंत्र (solar plant) लगाकर किसान बिजली बेच सकते हैं।
- डेटा एवं आँकड़े:
- लक्ष्य: लाखों किसानों को सोलर पंप मुहैया कराना।
- 2020-21 में हज़ारों सोलर पंप इंस्टॉल हुए, बिजली की बचत एवं डीज़ल निर्भरता में कमी।
- प्रभाव:
- ऊर्जा लागत में कमी, पर्यावरण संरक्षण।
- किसान की आय के अतिरिक्त स्रोत (बिजली बिक्री) की संभावना।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
- शुरुआत: फरवरी 2019
- उद्देश्य:
- छोटे एवं सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता (income support) प्रदान करना।
- प्रावधान:
- पात्र किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सहायता, तीन किस्तों में 2,000 रुपये प्रति किस्त।
- यह सहायता सीधे किसानों के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) से जाती है।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2021-22 तक लगभग 11 करोड़ से अधिक किसान परिवार लाभान्वित।
- कुल वितरित राशि हज़ारों करोड़ रुपये।
- प्रभाव:
- कृषि निवेश (बीज, उर्वरक, सिंचाई) में सुविधा।
- किसानों की क्रय शक्ति (purchasing power) में वृद्धि, छोटे किसानों को सीधी मदद।
मुख्य सार:
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड और नीम लेपित यूरिया से मृदा और उर्वरक प्रबंधन में सुधार।
- पीएम कृषि सिंचाई योजना से सिंचाई विस्तार और जल दक्षता में वृद्धि।
- फसल बीमा योजना और पीएम-आशा के माध्यम से किसानों को मूल्य और उत्पादन जोखिम से सुरक्षा।
- कुसुम योजना से सौर ऊर्जा का उपयोग, कृषि क्षेत्र में ऊर्जा लागत कम तथा आय के नए स्रोत।
- पीएम किसान सम्मान निधि से छोटे किसानों को प्रत्यक्ष आर्थिक सहयोग।
इन योजनाओं का संयुक्त प्रभाव: कृषि लागत घटाना, उत्पादकता और आय बढ़ाना, तथा कृषि प्रणाली को सतत (sustainable) और लचीला (resilient) बनाना।