भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India – FCI)
- स्थापना: 14 जनवरी 1965
- उद्देश्य:
- देश में खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता, पहुँच और स्थिर मूल्य सुनिश्चित करना।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से अनाज खरीदना।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से राशन दुकानों तक खाद्यान्न पहुँचाना।
- कार्यप्रणाली:
- गेंहूँ, धान, चावल का बड़े पैमाने पर खरीद-बिक्री और भंडारण।
- भंडारण के लिए गोदामों की व्यवस्था एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2020-21 में FCI द्वारा करोड़ों टन अनाज की खरीद की गई।
- खाद्यान्न की रणनीतिक रिज़र्व (buffer stock) व्यवस्था बनाए रखना, ताकि मूल्य स्थिरता रहे।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- परिभाषा: सरकारी रूप से तय एक न्यूनतम मूल्य जिस पर किसान से फसल खरीदी जाएगी, भले ही बाज़ार मूल्य कम क्यों न हो।
- लक्ष्य:
- किसानों को मूल्य गिरावट के जोखिम से बचाना।
- उपज के लिए गारंटीकृत बाज़ार मूल्य उपलब्ध कराना।
- निर्धारण:
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा प्रस्ताव, सरकार द्वारा अनुमोदन।
- उत्पादन लागत, मांग-आपूर्ति, अंतरराष्ट्रीय मूल्य, फसल विविधता जैसे कारकों पर विचार।
- प्रभाव:
- किसानों में निश्चित आय की भावना, खाद्यान्न उत्पादन में प्रोत्साहन।
- गेहूं, धान, दालें, तिलहन जैसी 20+ फसलों पर MSP घोषित।
- चुनौतियाँ:
- कुछ क्षेत्रों एवं फसलों तक सीमित लाभ,
- सरकारी खरीद केंद्रों की कमी,
- MSP का हमेशा सभी किसानों तक लाभ न पहुँचना।
नैफेड (NAFED – National Agricultural Cooperative Marketing Federation) 1958
- स्थापना: 1958
- उद्देश्य:
- सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कृषि उत्पादों की खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन।
- तिलहन, दलहन जैसी फसलों की MSP पर खरीद में सहयोग।
- कार्य:
- सब्ज़ियों, फलों, मसालों, तिलहन, दलहन इत्यादि का विपणन एवं निर्यात प्रोत्साहन।
- भंडारण एवं प्रसंस्करण सुविधाओं का विकास।
- प्रभाव:
- किसानों को उचित मूल्य, विपणन चैनल उपलब्ध कराना।
- मूल्य अस्थिरता नियंत्रित करने में सरकारी योजनाओं के तहत समर्थन।
ट्राईफेड (TRIFED – Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India)
- स्थापना: 1987
- उद्देश्य:
- आदिवासी क्षेत्रों के वन उपज (Minor Forest Produce) व हस्तशिल्प उत्पादों का विपणन एवं मूल्य संवर्धन।
- आदिवासी समुदायों की आर्थिक स्थिति सुधारना, उनके उत्पादों को बाज़ार उपलब्ध कराना।
- कार्य:
- आदिवासी उत्पादों के लिए मार्केट लिंकेज, MFP (Minor Forest Produce) के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण में सहयोग।
- विपणन मेलों, प्रदर्शनियों, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उत्पादों को प्रोत्साहन।
- प्रभाव:
- आदिवासी आजीविका में सुधार, मूल्य संवर्धन से अधिक आय की संभावना।
- वन उत्पादों का सतत दोहन और संरक्षण।
ई-नाम (E-NAM – National Agriculture Market)
- शुरुआत: 14 अप्रैल 2016
- उद्देश्य:
- एकीकृत राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाज़ार (e-market) का निर्माण।
- देशभर की मंडियों को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ना ताकि किसान एक व्यापक बाज़ार तक पहुँच सकें।
- प्रावधान:
- इलेक्ट्रॉनिक बोली (e-bidding), रीयल-टाइम मूल्य खोज (real-time price discovery),
- पारदर्शी लेनदेन (transparent transactions) व गुणवत्ता आधारित खरीद-बिक्री।
- डेटा एवं आँकड़े:
- 2021 तक लगभग 1000+ मंडियां ई-नाम से जुड़ी।
- लाखों किसान, व्यापारी और आयोग एजेंटों ने प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकरण कराया।
- प्रभाव:
- बिचौलियों की भूमिका कम, कीमत की पारदर्शिता बढ़ी।
- किसानों को देशभर में अपने उत्पाद बेचने का विकल्प, बेहतर मूल्य प्राप्ति।
मुख्य सार:
- एफसीआई, नैफेड, ट्राईफेड एवं MSP जैसे संस्थागत व नीतिगत उपायों का संयुक्त उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य, बाज़ार सुविधा एवं सुरक्षा प्रदान करना है।
- ई-नाम जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पारदर्शिता बढ़ाकर किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी मूल्य उपलब्ध कराते हैं।
- ये सभी पहल, योजनाएं और संस्थाएँ मिलकर कृषि विपणन तंत्र को सुदृढ़, पारदर्शी व किसान हितैषी बना रही हैं।