1. परिभाषा (Definition)
- आयात (Import): किसी देश द्वारा दूसरे देशों से वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने की प्रक्रिया को आयात कहा जाता है।
- उदाहरण: भारत द्वारा कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, और मशीनरी का आयात।
- निर्यात (Export): किसी देश द्वारा अपनी वस्तुओं और सेवाओं को दूसरे देशों को बेचने की प्रक्रिया को निर्यात कहा जाता है।
- उदाहरण: भारत द्वारा चाय, मसाले, कपड़ा, और आईटी सेवाएँ निर्यात की जाती हैं।
2. भारत में आयात और निर्यात (Import and Export in India)
2.1 प्रमुख आयातित वस्तुएँ (Major Imports)
- कच्चा तेल (Crude Oil) – भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85% आयात करता है।
- सोना (Gold) – भारत दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics) – मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण।
- कोयला (Coal) – ऊर्जा उत्पादन के लिए।
2022-23 में आयात का कुल मूल्य: $714 बिलियन
2.2 प्रमुख निर्यातित वस्तुएँ (Major Exports)
- चावल (Rice) – भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है।
- आभूषण (Jewelry) – कटे और पॉलिश किए गए हीरे।
- सूती वस्त्र (Cotton Textiles) – कपड़ा उद्योग।
- दवाइयाँ (Pharmaceuticals) – दुनिया का 20% जेनेरिक दवाओं का निर्यात भारत से होता है।
2022-23 में निर्यात का कुल मूल्य: $453 बिलियन
2.3 भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार (Major Trading Partners of India)
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) – भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार।
- चीन (China) – आयात के मामले में अग्रणी।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) – तेल और सोना।
- यूरोपीय संघ (European Union) – कपड़ा और आईटी सेवाएँ।
3. आयात और निर्यात के महत्त्व (Importance of Import and Export)
- विदेशी मुद्रा अर्जन (Foreign Exchange Earnings) – निर्यात से विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है।
- आर्थिक विकास (Economic Growth) – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से नई तकनीकों का आगमन और औद्योगिक विकास।
- उपभोक्ता विविधता (Consumer Diversity) – उपभोक्ताओं को आयातित वस्तुओं का लाभ मिलता है।
- वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति (India’s Position in Global Market) – निर्यात से वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती है।
व्यापार घाटा और व्यापार संतुलन (Trade Deficit and Balance of Trade)
1. व्यापार संतुलन (Balance of Trade – BOT)
- परिभाषा: व्यापार संतुलन का तात्पर्य आयात और निर्यात के मूल्य के बीच के अंतर से है।
- सकारात्मक व्यापार संतुलन (Positive BOT): जब निर्यात आयात से अधिक हो।
- नकारात्मक व्यापार संतुलन (Negative BOT): जब आयात निर्यात से अधिक हो।
2022-23 में भारत का व्यापार संतुलन: $261 बिलियन का घाटा (Trade Deficit)
2. व्यापार घाटा (Trade Deficit)
- परिभाषा: जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है, तो इसे व्यापार घाटा कहा जाता है।
- फॉर्मूला: व्यापार घाटा=कुल आयात−कुल निर्यात\text{व्यापार घाटा} = \text{कुल आयात} – \text{कुल निर्यात}
2.1 व्यापार घाटे के कारण (Causes of Trade Deficit)
- तेल और ऊर्जा आयात (Oil and Energy Imports): भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी आयात (Electronics and Technology Imports): विदेशी तकनीक और गैजेट्स पर निर्भरता।
- मजबूत घरेलू मांग (Strong Domestic Demand): भारत में सोने और अन्य आयातित उत्पादों की अधिक मांग।
2.2 व्यापार घाटे के प्रभाव (Impact of Trade Deficit)
- रुपये का अवमूल्यन (Depreciation of Rupee) – मुद्रा विनिमय दर पर दबाव।
- विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव (Pressure on Forex Reserves)।
- वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) – आयात को पूरा करने के लिए उधारी।
2.3 व्यापार घाटा कम करने के उपाय (Measures to Reduce Trade Deficit)
- निर्यात को बढ़ावा देना (Boosting Exports) – निर्यात को प्रोत्साहन।
- आयात में कटौती (Reducing Imports) – गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात को कम करना।
- स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा (Promoting Domestic Manufacturing) – ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कार्यक्रम।
3. भारत का व्यापार घाटा (India’s Trade Deficit)
- 2022-23 में व्यापार घाटा: $261 बिलियन।
- प्रमुख योगदानकर्ता:
- तेल आयात: $164 बिलियन।
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ: $65 बिलियन।
4. व्यापार संतुलन बनाना (Maintaining Balance of Trade)
- उद्योगों को समर्थन (Support to Industries) – निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाएँ।
- विदेशी निवेश (Foreign Investments) – FDI और FII को प्रोत्साहन।
- स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन (Promote Local Products) – आत्मनिर्भर भारत अभियान।
आयात और निर्यात किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। व्यापार घाटा और व्यापार संतुलन से देश की आर्थिक स्थिरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है। भारत को अपने निर्यात को बढ़ावा देना और गैर-आवश्यक आयात को कम करना आवश्यक है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’, और PLI योजनाएँ (Production Linked Incentive Scheme) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारत अपने व्यापार संतुलन में सुधार कर सकता है।