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BPSC: 71st Combined Pre Exam - Last Date: 30-06-2025 | SSC: Combined Graduate Level (CGL) - 14582 Posts - Last Date: 04-07-2025
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प्रमुख उपन्यास, कहानियाँ, और नाटक

प्रमुख उपन्यास, कहानियाँ, और नाटक – हिंदी साहित्य के नोट्स

प्रमुख उपन्यास, कहानियाँ, और नाटक – हिंदी साहित्य के नोट्स

यह खंड हिंदी साहित्य के कुछ प्रमुख कवियों और लेखकों का संक्षिप्त परिचय और उनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ प्रस्तुत करता है। यह जानकारी कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी पुस्तकों के आधार पर संकलित की गई है।

A) प्रमुख हिंदी उपन्यास

(यह सूची दिए गए इनपुट के आधार पर संकलित प्रमुख उपन्यासों को दर्शाती है। कुछ उपन्यास बहुचर्चित हैं, कुछ ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं, तो कुछ ने हिंदी उपन्यास विधा को नई दिशा दी।)

  • प्रेमचंद (1880-1936)

    विशेषता: यथार्थवादी चित्रण, ग्रामीण जीवन, सामाजिक समस्याएं।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • गोदान: ग्रामीण जीवन और शोषण का यथार्थ चित्र; पात्र “होरी” बहुत प्रसिद्ध।
    • गबन: मध्यवर्गीय मूल्यों व आर्थिक कठिनाइयों का चित्रण; नायक “रमानाथ।”
    • निर्मला: नारी समस्याओं पर आधारित; “सुमन” चरित्र पर केंद्रित।
    • कर्मभूमि: गांधीवादी विचारधारा, सामाजिक-राजनीतिक चेतना।
    • वरदान: प्रेमचंद का आरंभिक उपन्यास; धार्मिक आडंबरों का विरोध।
    • प्रतिज्ञा: ‘व्रत’ (प्रतिज्ञा) के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर चोट।
    • कंकाल: धार्मिक पाखंड पर प्रहार; बड़ा ही मार्मिक उपन्यास।
  • भगवतीचरण वर्मा

    विशेषता: दार्शनिक प्रश्न, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • चित्रलेखा: पाप-पुण्य का दार्शनिक प्रश्न; चित्रलेखा व बीजल का प्रेम।
    • भूले-बिसरे चित्र: प्रेम, समाज, दर्शन का मिश्रण; मनोवैज्ञानिक विश्लेषण।
  • यशपाल

    विशेषता: ऐतिहासिक एवं सामाजिक यथार्थ, विभाजन की त्रासदी।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • झूठा सच: देश के विभाजन का ऐतिहासिक एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य; दो भागों में लिखा गया।
    • दिव्या: प्राचीन भारत के समाज और नारी की स्वतंत्रता पर विमर्श।
    • दिल्ली दुर्दशा: दिल्ली में आज़ादी के तुरंत बाद की स्थितियों पर आधारित। (नोट: यह मूलतः नाटक/प्रहसन है, पर कथात्मक तत्वों के कारण कभी-कभी उपन्यास के रूप में भी संदर्भित होता है।)
    • टूटे हुए लोग: विभाजन के समय के विस्थापन एवं त्रासदी पर केंद्रित।
    • पिजरे की मैना: समाज में स्त्री की स्थिति का रूपक; स्वतंत्रचेता नायिका।
    • मकान: आज़ादी के बाद का शहरी जीवन, लालच और नैतिक पतन का यथार्थ।
    • बिस्मृतियाँ (कम चर्चित, लेकिन विश्लेषणात्मक उपन्यास): व्यक्तिवादी सरोकार, स्त्री-पुरुष संबंधों का मनोविश्लेषण।
    • कुदरत (अपूर्ण-सीरीज़): प्राकृतिकता और मानवीय आकांक्षाओं का टकराव।
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी

    विशेषता: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक कथानक, पांडित्यपूर्ण शैली।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • बाणभट्ट की आत्मकथा: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि; संस्कृत आचार्य बाणभट्ट के जीवन को कल्पना से गूँथा।
    • चारु चंद्रलेखा: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कथानक; शैली में गहन पांडित्य व रोचकता।
    • पुनर्नवा (मुख्यतः उपन्यास, नाट्य रूप में भी मिलता है): सांस्कृतिक पुनर्जागरण, परंपरा और आधुनिकता का समन्वय।
  • जैनेन्द्र कुमार

    विशेषता: मनोविश्लेषणात्मक शैली, अस्मिता व त्याग के मुद्दे।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • त्यागपत्र: मनोविश्लेषणात्मक शैली; अस्मिता व त्याग के मुद्दों पर गहन विमर्श।
    • सुनीता: मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, नारी-मन की जटिलता।
    • कल्याणी: व्यक्तिवादी दृष्टिकोण, नारी-समानता की खोज।
    • वो टूटे तिनके: कथावस्तु में पारिवारिक संबंधों का विश्लेषण, गहन मनोविश्लेषण।
  • राहुल सांकृत्यायन

    विशेषता: इतिहास के विभिन्न चरणों का रोचक आख्यान; यात्रा-साहित्य की शैली भी मिलती है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • वोल्गा से गंगा: इतिहास के विभिन्न चरणों का रोचक आख्यान; यात्रा-साहित्य की शैली भी मिलती है। (नोट: यह ऐतिहासिक कहानियों का संग्रह है, जिसे कभी-कभी उपन्यास के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।)
  • अमृतलाल नागर

    विशेषता: सांस्कृतिक मूल्य, पारिवारिक रिश्ते, लखनऊ की संस्कृति।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • झरोखे: लखनऊ की संस्कृति का चित्र; जीवंत भाषा-शैली।
    • बूँद और समुद्र: सांस्कृतिक मूल्य, पारिवारिक रिश्तों की गहराई।
    • शतरंज के मोहरे: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (1857), सामाजिक-राजनीतिक षडयंत्रों का चित्रण।
    • करवट: बदलते समाज में व्यक्ति की मानसिक और सामाजिक करवट का विश्लेषण।
    • मानस का हंस: गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर आधारित, इतिहास और कल्पना का सुन्दर मिश्रण।
  • फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ (1921-1977)

    विशेषता: आंचलिक उपन्यास, लोकजीवन, ग्रामीण समाज।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मैला आँचल: आंचलिक उपन्यास की मिसाल; पूर्णिया (बिहार) क्षेत्र का लोकजीवन।
    • परती परिकथा: ग्रामीण समाज, मिथक, लोकसंस्कृति का बेहतरीन वर्णन।
    • कितने चौराहे: चरित्रों के बहुकोणीय दृष्टिकोण; आंचलिकता का विस्तार।
    • गोली: सामाजिक कुरीतियाँ व शोषण के विरुद्ध ग्रामीण प्रतिरोध।
  • राजेंद्र यादव

    विशेषता: मनोभावनाओं का गहन अध्ययन, आधुनिक शहरी परिवेश, दांपत्य संबंध।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • सारा आकाश: मध्यवर्गीय जीवन, दांपत्य संबंधों की उलझनें, नई पीढ़ी की आकांक्षाएँ।
    • उखड़े हुए लोग: विघटन, विस्थापन और अस्तित्ववादी संघर्ष।
    • शेष यात्रा: मानव मन की परतों का विश्लेषण; संबंधों की जटिलता।
  • मन्नू भंडारी (1931-2021)

    विशेषता: स्त्री मन की संवेदनाएँ, दांपत्य जीवन के अंतर्विरोध, राजनीति और भ्रष्टाचार।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • आपका बंटी: तलाकशुदा माता-पिता के बच्चे की मनोवैज्ञानिक स्थिति।
    • महाभोज: राजनीति और भ्रष्टाचार पर प्रहार; समकालीन समस्याओं का चित्रण।
  • धर्मवीर भारती (1926-1997)

    विशेषता: मनोवैज्ञानिक धरातल, प्रेम और नैतिक दुविधाएँ, अनूठा कथावाचन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • गुनाहों का देवता: अमर प्रेमकथा; चंदर और सुधा के चरित्र अत्यंत लोकप्रिय।
    • सूरज का सातवाँ घोड़ा: कथावाचक का अनूठा प्रयोग; कई कहानियों का एकसाथ वितान।
    • सूरजमुखी अँधेरे के: मनोवैज्ञानिक धरातल, प्रेम और नैतिक दुविधाएँ।
  • रांगेय राघव

    विशेषता: प्रगतिवादी दृष्टिकोण, विभाजन और विस्थापन, सामाजिक यथार्थ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • घरौंदा: ग्रामीण जीवन के साथ सामाजिक व आर्थिक पहलुओं का टकराव।
    • शीशम देव: दलित-पीड़ित समाज की समस्याओं पर रचना; यथार्थवादी शैली।
    • डागदर शाहिब: चिकित्सकीय पेशा और समाज के अंतर्विरोधों पर दृष्टि।
  • चतुरसेन शास्त्री

    विशेषता: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, राष्ट्रवादी संदेश।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • वैशाली की नगरवधू: प्राचीन भारत (लिच्छवि गणराज्य) की सांस्कृतिक व ऐतिहासिक झलक।
    • विषादमठ: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि; प्राचीन कथानक के साथ राष्ट्रवादी संदेश।
    • सोना और खून: राजपूताने की गौरव-गाथाएं; ऐतिहासिक उपन्यास।
    • कौमी (कौमी क़सिदा): भारतीय अस्मिता और समाज पर प्रभाव, राष्ट्रभावना का समावेश। (नोट: यह एक लंबी आख्यानात्मक कृति है, जिसे कभी-कभी उपन्यास के रूप में भी संदर्भित किया जाता है।)
  • श्रीलाल शुक्ल

    विशेषता: व्यंग्यात्मक शैली, ग्रामीण व्यवस्था, नौकरशाही पर कटाक्ष।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रागदरबारी: व्यंग्यात्मक शैली में ग्रामीण व्यवस्था, नौकरशाही की पोल खोल; “शिवपालगंज” बहुत प्रसिद्ध।
    • पहला पड़ाव: गाँव के सामाजिक जीवन की उलझने; कथानक में हास्य-व्यंग्य की छटा।
    • अग्निस्नान: ग्रामीण राजनीति, धार्मिक आस्था और कुप्रथा पर व्यंग्य।
  • केशवप्रसाद मिश्र

    विशेषता: ग्रामीण समाज और परंपरा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • विश्रामपुर का संत: ग्रामीण समाज और परंपरा; रेणु की शैली की याद दिलाता है।
  • शिवानी (गौरा पंत) (1923-2003)

    विशेषता: नारी मनोविज्ञान, कुमाऊँनी संस्कृति, सरल भाषा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कृष्णकली: पहाड़ी अंचल और स्त्री विमर्श का मिलन।
    • चौदह फेरे
    • भैरवी: संसारी मोह-माया के साथ अध्यात्म का भी समावेश।
    • सूरजमुखी अंधेरे के: नारी जीवन, परंपरा और शोषण को उठाने वाला स्त्रीवादी उपन्यास।
    • शमशान चंपा
    • कोठेवालियाँ: नारी जीवन, परंपरा और शोषण को उठाने वाला स्त्रीवादी उपन्यास।
  • राजकमल चौधरी

    विशेषता: रुग्ण समाज की हकीकत, मनोवैज्ञानिक परतें।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • काला जल: रुग्ण समाज की हकीकत व विद्रोह; मनोवैज्ञानिक परतों का खुलासा।
  • देवकीनंदन खत्री

    विशेषता: जादुई-रोमांटिक, तिलिस्मी शैली।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • चंद्रकांता: “चंद्रकांता” ने ‘तिलिस्मी’ शैली को लोकप्रिय किया; खासकर किशोर पाठकों में।
    • चंद्रकांता संतति: ‘चंद्रकांता’ का विस्तार; ऐयारी और तिलिस्म का रोमांचक वर्णन।
  • वृंदावनलाल वर्मा

    विशेषता: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वीरता, राष्ट्रवाद।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • झांसी की रानी: रानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित; ऐतिहासिक-रूमानी उपन्यास।
    • नीलकंठ: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (राजस्थान क्षेत्र); वीरता और समाज का चित्रण।
    • माधवी कंकाली: ऐतिहासिक-रोमांस के तत्व; चरित्र प्रधान कथा।
    • गुदड़ी का लाल: ऐतिहासिक चरित्र के माध्यम से राष्ट्रवाद और कर्तव्यबोध।
  • अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) (1911-1987)

    विशेषता: आधुनिक बौद्धिक वर्ग का मनोविश्लेषण, प्रतीकों का प्रयोग।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • शेखर: एक जीवनी: आधुनिक बौद्धिक वर्ग का मनोविश्लेषण; प्रतीकों का बेहतरीन प्रयोग।
    • अपने अपने अजनबी: आधुनिक बौद्धिक वर्ग का मनोविश्लेषण; प्रतीकों का बेहतरीन प्रयोग।
    • नदी के द्वीप: आधुनिक बौद्धिक वर्ग का मनोविश्लेषण; प्रतीकों का बेहतरीन प्रयोग।
  • माधव कौशिक

    विशेषता: सर्कस व कलाकारों का जीवन, यथार्थ और मनोरंजन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मेरा नाम जोकर: सर्कस व कलाकारों का जीवन; यथार्थ और मनोरंजन का मिलन।
  • भीष्म साहनी (1915-2003)

    विशेषता: विभाजन के दंगे, सांप्रदायिक तनाव, स्त्री मुद्दे।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • तमस: 1947 के दंगों की पृष्ठभूमि; सांप्रदायिक तनाव का मार्मिक चित्र।
    • बसंती (कम चर्चित): निम्नवर्गीय युवती की संघर्षमय जीवनकथा।
    • झरोखे
  • कृष्णा सोबती (1925-2019)

    विशेषता: पंजाबी लोकजीवन, भाषा का अद्भुत प्रवाह, नारी मन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • ज़िंदगीनामा: पंजाबी लोकजीवन, भाषा का अद्भुत प्रवाह; 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार।
    • डार से बिछुड़ी: नारी मन की गहन अभिव्यक्ति; भाषा-शैली में बोलचाल का सहज प्रयोग।
    • ए लड़की: माँ-बेटी के संबंधों पर भावुक व मनोवैज्ञानिक दृष्टि; 1996 में साहित्य अकादमी सम्मानित।
  • सुरेन्द्र वर्मा

    विशेषता: संगीत और प्रेम, थिएटर की पृष्ठभूमि।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • राग भैरवी: संगीत और प्रेम का संगम, साहित्य अकादमी पुरस्कार (1996)।
    • मुझे चाँद चाहिए: थिएटर की पृष्ठभूमि में संघर्षरत स्त्री की कहानी।
  • आशापूर्णा देवी

    विशेषता: नारी मुक्ति का सशक्त चित्रण (बंगाली मूल)।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • प्रथम प्रतिश्रुति: बंगाली मूल; नारी मुक्ति का अत्यंत सशक्त चित्रण।
  • कमलेश्वर (1932-2007)

    विशेषता: विभाजन की त्रासदी, सांप्रदायिकता, मानवीय रिश्तों की पेचीदगियाँ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कितने पाकिस्तान: विभाजन की पूर्वपीठिका, सांप्रदायिकता पर तीखा व्यंग्य; साहित्य अकादमी पुरस्कार (2003)।
    • अपने-अपने बंटवारे: विभाजन की त्रासदी का विस्तृत चित्र, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण।
    • डाक बंगला: मानवीय रिश्तों की पेचीदगियों और अतीत- वर्तमान का टकराव।
    • रात का रिपोर्टर (कम चर्चित): पत्रकारिता के परिदृश्य में समाज की विसंगतियाँ।
  • गीतांजलि श्री (1957-वर्तमान)

    विशेषता: माँ-बेटी की मार्मिक गाथा, सांप्रदायिक दंगे, आधुनिक संवेदनशीलता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रेत समाधि: 2022 में इंटरनेशनल बुकर जीतने वाले अंग्रेज़ी अनुवाद “टूम्ब ऑफ सैंड” के लिए चर्चित; माँ-बेटी की मार्मिक गाथा।
    • माई
    • हमारा शहर उस बरस: सांप्रदायिक दंगों के समय शहर की मानसिकता का विश्लेषण।
  • निर्मल वर्मा (1929-2005)

    विशेषता: शहरी मनोदशा, अकेलेपन, अस्तित्ववादी प्रश्न।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • लाल टीन की छत: बचपन की स्मृतियों और भावनाओं का भावपूर्ण वर्णन।
    • वे दिन
    • पारो (लघु उपन्यास): शहरी मनोदशा, अकेलेपन का जीवंत चित्रण।
    • अंतिम अरण्य (अपूर्ण उपन्यास भी माना जाता है): पहाड़ी परिदृश्य, अस्तित्ववादी प्रश्न, गहन दार्शनिक शैली।
  • विष्णु प्रभाकर

    विशेषता: स्त्री-पुरुष संबंधों में समानता, नैतिक मूल्यों पर चिंतन, ब्रज संस्कृति।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अर्धनारीश्वर: स्त्री-पुरुष के संबंधों में समानता पर सामाजिक विमर्श।
    • अप्रेण्टा (कम प्रसिद्ध): मनोविश्लेषण, नैतिक मूल्यों पर टकराव।
  • अमृतराय

    विशेषता: सामाजिक यथार्थवादी उपन्यास (प्रेमचंद के पुत्र)।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अलग-अलग वैतरणी: प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय का सामाजिक यथार्थवादी उपन्यास।
  • शिवपूजन सहाय

    विशेषता: व्यक्तित्व के आंतरिक संघर्ष का भावपूर्ण चित्रण।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अंतर्द्वंद (लघु उपन्यास स्वरूप): व्यक्तित्व के आंतरिक संघर्ष का भावपूर्ण चित्रण।

B) प्रमुख हिंदी कहानियाँ

(इनमें से कई कहानियाँ संकलनों में हैं, पर यहाँ स्वतंत्र रूप से उल्लेख किया जा रहा है।)

  • प्रेमचंद (1880-1936)

    विशेषता: किसान जीवन, बाल मनोविज्ञान, सामाजिक कुरीतियाँ, जातिवाद।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • पूस की रात: किसान जीवन का दर्द (हल्कू का चरित्र)।
    • ईदगाह: बाल मनोविज्ञान, हामिद का दादी के लिए चिमटा खरीदना।
    • कफ़न: घोर गरीबी व संवेदनहीनता का चरम चित्रण।
    • बड़े घर की बेटी: संयुक्त परिवार व बहू का त्यागपूर्ण चरित्र।
    • सद्गति: जातिवाद व शोषण पर करारी चोट; दुखी चमार की कथा।
    • शतरंज के खिलाड़ी: नवाबी ऐशोआराम व राष्ट्रीय कर्तव्य से पलायन का व्यंग्य।
    • दो बैलों की कथा: जानवरों की मार्मिक कथा; हीरा-मोती के माध्यम से मनुष्यता का संदेश।
    • ठाकुर का कुआँ: जातीय व्यवस्था का मुखर विरोध।
    • गुल्ली-डंडा: बचपन की स्मृतियाँ, वर्गीय भेदभाव की व्यथा।
    • नशा: नशाखोरी और सामाजिक पतन का चित्रण।
    • कालापानी (शुरुआती कहानियों में): ग्रामीण जीवन की झलक, सांस्कृतिक बंधन पर प्रश्न।
  • जयनंदन

    विशेषता: पारिवारिक संबंधों का जटिल चित्र, व्यावहारिक जीवन की उलझनें।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • जानकी: पारिवारिक संबंधों का जटिल चित्र; व्यावहारिक जीवन की उलझनें।
  • उदय शंकर भट्ट

    विशेषता: दहेज की कुरीति पर व्यंग्य, बाल मन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • गर्दभदान: समाज में दहेज की कुरीति पर व्यंग्यपूर्ण प्रहार।
    • फूलों का कुरता: बाल मन और पारिवारिक ताने-बाने की कथा।
  • यशपाल

    विशेषता: सभ्यता व नैतिकता, रूढ़िवादी मानसिकता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • सात चुटकियाँ: सभ्यता व नैतिकता के द्वंद्व पर केंद्रित।
    • परदा: रूढ़िवादी मानसिकता की आलोचना; प्रगतिशीलता का पक्ष।
  • हिमांशु जोशी

    विशेषता: पर्वतीय पृष्ठभूमि, प्रकृति व मनुष्य के संबंध, भावनात्मक संघर्ष।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • देवदार के वृक्ष: पर्वतीय पृष्ठभूमि, प्रकृति व मनुष्य के संबंध।
    • डायरी के पन्ने: आत्मकथात्मक शैली में भावनात्मक संघर्ष।
  • अमरकांत

    विशेषता: सामाजिक संघर्ष, मुनाफाखोरी, आम आदमी का शोषण।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • दो हाथ: सामाजिक संघर्ष, मुनाफाखोरी पर प्रहार।
    • हत्यारे: सत्ता व अत्याचार की कथा, आम आदमी का शोषण।
    • डिप्टी कलेक्टरी: मध्यवर्गीय महत्वाकांक्षा पर तीखा व्यंग्य।
    • बेघर: गृहविहीन लोगों के प्रति संवेदना; समाज की उदासीनता।
  • भीष्म साहनी (1915-2003)

    विशेषता: सांप्रदायिक दंगे, अफ़सरशाही, मानवीय संवेदनाएँ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • चीफ की दावत: अफ़सरशाही और चापलूसी पर व्यंग्य।
    • डर: सांप्रदायिक दंगों के मानसिक प्रभाव का चित्रण।
    • साग-मीट: साम्प्रदायिक सद्भाव और छोटी-छोटी बातों से बिगड़ते संबंध।
    • अमृतसर आ गया है: विभाजन की त्रासदी पर आधारित।
    • साँप और सीढ़ी: प्रतीकात्मक कथा; जीवन में उतार-चढ़ाव का दर्शन।
    • बैल और मैं: मानवीय संवेदनाओं का पशु-चरित्र से सादृश्य।
  • सुदर्शन

    विशेषता: त्याग और धैर्य का संदेश, नैतिक शिक्षा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • हार की जीत: महात्मा बुद्ध से प्रेरित कथा; त्याग और धैर्य का संदेश।
  • अज्ञेय (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन) (1911-1987)

    विशेषता: आधुनिक मन की उलझन, आत्मचिंतन, विभाजन का दर्द।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रोज़: विभाजन की पृष्ठभूमि; जड़ों से कटने का दर्द।
    • निर्वासन: आधुनिक मन की उलझन, आत्मचिंतन।
    • सड़क के किनारे: शहर के एकांकी जीवन का दार्शनिक चित्र।
    • वरदान (एक लघु कथा भी): सूक्ष्म भावों का काव्यात्मक गद्य में प्रदर्शन।
  • जैनेन्द्र कुमार

    विशेषता: मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति, चरित्रों का भीतरी द्वंद्व, प्रेम और नैतिकता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अपना-अपना भाग्य: मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति, चरित्रों का भीतरी द्वंद्व।
    • पाजेब: लघु कथा में प्रेम और नैतिकता का टकराव।
    • कुण्डलिया: प्रेम, त्याग और सामाजिक मूल्यों की कड़ी परीक्षा।
    • सुख: सुख की परिभाषा पर गहन मनोवैज्ञानिक पड़ताल।
    • उलझन: पारिवारिक उलझनों में फँसे चरित्रों की कश्मकश।
    • अग्निगर्भ (छोटी कथा की शैली): मानवीय संवेदनाओं का दार्शनिक विश्लेषण।
  • फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ (1921-1977)

    विशेषता: आंचलिक भाषा का सौंदर्य, ग्रामीण संस्कृति, लोकजीवन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफ़ाम: हीरामन और हीराबाई की मार्मिक प्रेमकथा; इसी पर फिल्म “तीसरी कसम”।
    • लाल पान की बेगम: आंचलिक भाषा का सौंदर्य, समाज के छोटे-छोटे प्रसंगों में रस।
    • पहलवान की ढोलक: ग्रामीण संस्कृति, मेलों और लोकजीवन की सजीव झलक।
    • रसप्रिया: संगीत और प्रेम का अनूठा मिश्रण; मार्मिक अंत।
    • रसफूल: आंचलिक मनोभाव और ग्रामीण जीवन का चित्रण।
    • कोसी का घटवार (लघु कहानी): नदी और लोकजीवन का मार्मिक चित्रण।
  • अमृतलाल नागर

    विशेषता: शहरी मध्यम वर्ग, पारिवारिक संघर्ष, सांस्कृतिक मूल्य।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कहानी के उस पार: शहरी मध्यम वर्ग, पारिवारिक संघर्ष।
    • बूँद और समुद्र (उपन्यास भी, कहानी के रूप में संक्षिप्त संस्करण): गहन भावनाओं का प्रस्फुटन, सांस्कृतिक मूल्य।
    • एक परी एक मुन्ना (बाल कहानी): बाल-कल्पना, रोचक घटनाक्रम; सीख भरी।
  • विष्णु प्रभाकर

    विशेषता: गांधीवादी विचार, परिवर्तन की ललक, स्त्री मन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • नया जीवन: गांधीवादी विचार, परिवर्तन की ललक।
    • तीस साल बाद: लंबा समय बीतने के बाद संबंधों का परीक्षण; पुनर्मूल्यांकन।
    • अपूर्वा: स्त्री मन की छटपटाहट, स्वतंत्रता की चाह।
  • राजेंद्र यादव

    विशेषता: मनोवैज्ञानिक डर, सांकेतिक शैली, प्रेम और यथार्थ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • विषकन्या: मनोवैज्ञानिक डर, सांकेतिक शैली।
    • छोटे-छोटे ताजमहल: प्रेम और यथार्थ का विरोधाभास।
    • एक टुकड़ा इतिहास (लघु कहानी): जीवन के कटु यथार्थ, वैचारिक टकराव।
    • रेत पर कदम (कहानी संग्रह): मनोभावनाओं का गहन अध्ययन; आधुनिक शहरी परिवेश।
  • कमलेश्वर (1932-2007)

    विशेषता: विभाजन की मार्मिक अनुभूति, जातिवाद, राजनीतिक पृष्ठभूमि।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • राजा निरबंसिया: जातिवाद, सामाजिक विसंगतियाँ; प्रगतिशील मूल्यों का समर्थन।
    • एक प्लेट सैलाब: विभाजन के समय की मार्मिक अनुभूति; लोग बेघर हुए।
    • दिल्ली में एका: राजनीतिक पृष्ठभूमि, आपसी मतभेद।
    • देशनिकाला: सांप्रदायिकता व राष्ट्रवाद पर गहरा प्रश्नचिह्न।
    • वारिस: जायदाद के लोभ में परिवार का विघटन; मानवीय संबंधों की मूल्यहीनता।
    • सन्देश: बदली हुई सामाजिक परिस्थितियों में परंपरा की भूमिका।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान

    विशेषता: सामाजिक विषमताएँ, बाल-मनोविज्ञान, सरल भाषा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • आदमी का ज़हर: सामाजिक विषमताओं पर लेखिका का प्रहार; सरल भाषा।
    • दो फूल: बाल-मनोविज्ञान व मासूम रिश्तों का वर्णन।
  • महादेवी वर्मा (1907-1987)

    विशेषता: सांप्रदायिक सद्भाव, मानवीय संवेदनाएँ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मजहब (रेखाचित्रों के अतिरिक्त कहानियाँ भी): सांप्रदायिक सद्भाव, मानवीय संवेदनाएँ।
    • अंतर्ध्वनि (रेखाचित्रों के अलावा कुछ कहानियाँ भी): करुणा और संवेदना; प्रकृति और पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम।
  • विवेकी राय

    विशेषता: पूर्वांचल की ग्रामीण पृष्ठभूमि, विकास और विडंबना।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • जलती झाड़ी: पूर्वांचल की ग्रामीण पृष्ठभूमि, विकास और विडंबना।
  • मोहन राकेश

    विशेषता: जटिल पारिवारिक संबंध, शहरी जीवन, मानवीय संवेदनहीनता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • सरदार: जटिल पारिवारिक संबंध; आंतरिक मनोविज्ञान।
    • मलबे का मालिक (कहानी रूप में भी): आपसी रिश्तों का विघटन और मानवीय संवेदनहीनता।
    • क्वार्टर: शहरी जीवन और छोटे घरों की बड़ी समस्याएँ।
  • हरिशंकर परसाई

    विशेषता: व्यंग्य, सामाजिक तंत्र में पाखंड, भ्रष्टाचार।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • परमात्मा का कुत्ता: व्यंग्य; सामाजिक तंत्र में पाखंड और स्वार्थ पर चोट।
    • दो गुब्बारे: बच्चों की दुनिया से बड़े समाज पर व्यंग्य।
    • सदाचार का ताबीज (लघु कथा): राजनीति की विडंबना, नैतिक मूल्यों का क्षरण।
    • आरामहराम है: व्यंग्य; आरामतलब समाज पर कटाक्ष।
  • शरद जोशी

    विशेषता: व्यंग्यात्मक शैली, हास्य-व्यंग्य, सामाजिक प्रवृत्तियाँ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • गुलाब का फूल: व्यंग्य; प्रेम और यथार्थ का संघर्ष।
    • काग भगोड़ा: भ्रष्टाचार और कर्तव्य-च्युत समाज की कहानी।
    • व्यंग्य यात्रा (संकलन की कहानियाँ): आधुनिक समय के सामाजिक प्रवृत्तियों पर चुटीले व्यंग्य।
    • तब की बात और थी: पुरानी यादें और वर्तमान जीवन का अंतर, हल्का हास्य-व्यंग्य।
  • रवींद्र कालिया

    विशेषता: शहरी अकेलापन, संबंधों का खोखलापन, आधुनिकीकरण।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • आप आदमी हैं: शहरी अकेलापन, संबंधों का खोखलापन।
    • गुफा: आधुनिकीकरण और पारंपरिक मूल्यों का टकराव।
    • त्रिशंकु: अधूरेपन की व्यथा, आधुनिक जीवन की उलझनें।
  • मन्नू भंडारी (1931-2021)

    विशेषता: महिलाओं के अंतःसंघर्ष, स्त्री-चरित्र, कथाशिल्प की विविधता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मैं हार गई: महिलाओं के अंतःसंघर्ष पर आधारित; अत्यंत सशक्त स्त्री-चरित्र।
    • तीन निगाहों की एक तस्वीर: एक ही घटना पर तीन अलग दृष्टिकोण; कथाशिल्प की विविधता।
    • एक चिथड़ा सुख (कहानी संग्रह): स्त्री मन की संवेदनाएँ, दांपत्य जीवन के अंतर्विरोध।
    • शेष प्रश्न (कहानी संग्रह): स्त्री जीवन की जटिलताएँ, वैवाहिक संबंधों पर प्रश्नचिह्न।
  • रमेश उपाध्याय

    विशेषता: छोटे सुख, रिश्तों की बारीकियां, उच्च वर्गीय पार्टियों का खोखलापन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • एक प्लेट गोलगप्पे: छोटे सुखों व रिश्तों की बारीकियों का वर्णन।
    • पार्टी यहां है: उच्च वर्गीय पार्टियों की तड़क-भड़क और भीतर का खोखलापन।
  • सआदत हसन मंटो (उर्दू लेखक, हिंदी में प्रसिद्ध)

    विशेषता: विभाजन की विभीषिका, नारी उत्पीड़न, मानवीय पहचान।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • खोल दो: विभाजन की विभीषिका में नारी उत्पीड़न का हृदयविदारक प्रसंग।
    • टोबा टेक सिंह: विभाजन व पागलखाना प्रतीक; मानवीय पहचान का प्रश्न।
    • ठंडा गोश्त: दंगों की पशुता को दर्शाती है; दिल दहला देने वाली कहानी।
  • प्रकाश मनु

    विशेषता: बाल साहित्य, रोचक कहानी।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • हठीला हनुमान: बाल साहित्य में लोकप्रिय; बच्चों की रोचक कहानी।
  • शिवानी (गौरा पंत) (1923-2003)

    विशेषता: स्त्री की दुविधाएँ, मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि, पहाड़ी लोक-चित्र।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अजीब मसला (कम चर्चित कहानी): स्त्री की दुविधाएँ, मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि।
    • चलित्तर: पहाड़ी लोक-चित्र; जीवन की विडंबनाओं पर रोशनी।
  • जयशंकर प्रसाद (1889-1937)

    विशेषता: दर्शन-प्रभावित कथानक, काव्यात्मक शैली।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • एहसान: उपकार की भावना और परिणाम पर दर्शन-प्रभावित कथानक।
    • सागर तट (अपूर्ण व अल्पज्ञात कहानी): ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में प्रेमकथा; प्रसाद की काव्यात्मक शैली।
  • आचार्य चतुरसेन शास्त्री

    विशेषता: ग्रामीण विकास, स्त्री शिक्षा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • ग्राम सेविका: ग्रामीण विकास की अवधारणा; स्त्री शिक्षा का संदेश।
  • रामवृक्ष बेनीपुरी

    विशेषता: ग्रामीण शोषण, क्रांतिकारी तेवर।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • भेड़िए: ग्रामीण शोषण और दरिंदगी का प्रतीकात्मक चित्रण।
    • अधूरी समाधि: क्रांतिकारी तेवर, सामाजिक बेड़ियों से मुक्ति की कामना।
  • रांगेय राघव

    विशेषता: प्रगतिवादी संदेश, निम्नवर्गीय जीवन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • नई सुभा: प्रगतिवादी संदेश; नए युग की शुरुआत की आकांक्षा।
    • अजान दर्जी: निम्नवर्गीय जीवन में संघर्ष व आत्मसम्मान का पहलू।
    • मलबे का मालिक (कहानी): प्रगतिवादी दृष्टिकोण, विभाजन और विस्थापन पर केंद्रित।
  • अमृतराय

    विशेषता: प्रेमचंद की जीवनी पर आधारित, कहानी-तत्वों का समावेश।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कलम का सिपाही (जीवनी, कहानी-तत्वों सहित): प्रेमचंद की जीवनी पर आधारित, किंतु कहानी-तत्वों का समावेश भी।
  • ममता कालिया (जन्म: 1940)

    विशेषता: शहरी स्त्री का मनोविश्लेषण, स्वतंत्र अस्तित्व की खोज, पिता-पुत्री संबंध।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • बर्फ़ में फँसी मछली: शहरी स्त्री का मनोविश्लेषण, स्वतंत्र अस्तित्व की खोज।
    • आपकी छोटी लड़की: पिता-पुत्री संबंध; भावनात्मक एवं सामाजिक पहलू।
    • अर्धनारीश्वर (कहानी संग्रह): स्त्री- विमर्श, वैवाहिक रिश्तों की उलझन।
  • नागार्जुन (1911-1998)

    विशेषता: ग्रामीण समाज, वंचित तबके, राजनीतिक चेतना।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • बाबू नागार्जुन की कहानियाँ (संकलन): ग्रामीण समाज, वंचित तबके, राजनीतिक चेतना का समावेश।
  • कृष्णा सोबती (1925-2019)

    विशेषता: रिश्तों की मनोवैज्ञानिक पड़ताल, समाज में स्त्री की अस्मिता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • सूरजमुखी अँधेरे में (कहानी संग्रह): रिश्तों की मनोवैज्ञानिक पड़ताल, समाज में स्त्री की अस्मिता।
  • धर्मवीर भारती (1926-1997)

    विशेषता: सामाजिक विसंगतियों व मानवीय मूल्यों की तलाश।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • आध घंटे का देवता (कहानी संग्रह): सामाजिक विसंगतियों व मानवीय मूल्यों की तलाश।

C) प्रमुख हिंदी नाटक

(हिंदी में संस्कृत नाट्य परंपरा का प्रभाव, साथ ही पाश्चात्य नाट्यशास्त्र का भी प्रभाव है; कुछ नाटक ऐतिहासिक, कुछ सामाजिक, तो कुछ प्रयोगधर्मी हैं।)

  • धर्मवीर भारती (1926-1997)

    विशेषता: महाभारत के युद्धोत्तर प्रसंग, नैतिक मूल्यों की तलाश।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अंधा युग: महाभारत के युद्धोत्तर प्रसंग; परमाणु युग में नैतिक मूल्यों की तलाश। (नोट: यह एक काव्य-नाटक है, जो अपनी गद्यात्मकता के कारण कभी-कभी उपन्यास के रूप में भी संदर्भित होता है।)
  • मोहन राकेश

    विशेषता: आधुनिक हिंदी नाट्य में युगांतकारी, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण, नगरीय मध्यवर्गीय परिवार की टूटन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अशाढ़ का एक दिन: कालिदास के जीवन पर आधारित; आधुनिक हिंदी नाट्य में युगांतकारी रचना; कालिदास और Mallika की प्रेमकथा; साहित्य और जीवन का द्वंद्व।
    • लहरों के राजहंस: बुद्ध के पुत्र राहुल और यशोधरा पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण।
    • आधे अधूरे: नगरीय मध्यवर्गीय परिवार की टूटन; आधुनिक मूल्यों की विडंबना।
    • सुनहला कैदखाना (रेडियो-नाटक भी): आधुनिक मन की बेचैनी, मूल्यहीनता का एहसास।
    • एक और अजनबी (रेडियो नाटक): समकालीनता, मानवीय संबंधों की पड़ताल।
  • भीष्म साहनी (1915-2003)

    विशेषता: प्रतीकात्मक नाटक, शोषित जनता, सत्ता का रवैया।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • बकरी: प्रतीकात्मक नाटक; शोषित जनता के प्रति सत्ता का रवैया।
  • जगदीशचंद्र माथुर

    विशेषता: नवाचार व सत्ता का द्वंद्व, आदिवासी जीवन, प्राचीन लोककथा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • हानूश (कभी-कभी ‘हाथी के दाँत’): प्राग (चेक गणराज्य) के घड़ीसाज़ हानूश की कथा; नवाचार व सत्ता का द्वंद्व।
    • कोंडू: आदिवासी जीवन, प्राचीन लोककथा का आधुनिक रूपांतरण।
    • महाभारत (संकलित व रूपांतरित): महाकाव्य का नाटकीय रूप; भारतीय रंगमंच में लोकप्रिय।
    • आकाश दीप: ज्ञान, विज्ञान और आस्था के बीच समन्वय।
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी

    विशेषता: सांस्कृतिक पुनर्जागरण, परंपरा और आधुनिकता का समन्वय।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • पुनर्नवा (नाटक रूप में भी मिलता है, मूलतः उपन्यास): सांस्कृतिक पुनर्जागरण, परंपरा और आधुनिकता का समन्वय।
  • सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ (1896-1961)

    विशेषता: काव्य-नाटक, शक्ति की आराधना, काव्यात्मक संवाद।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • राम की शक्ति पूजा (काव्य-नाटक के रूप में मंचित): राम-रावण युद्ध में शक्ति की आराधना; काव्यात्मक संवाद।
  • मन्नू भंडारी (1931-2021)

    विशेषता: नारी विमर्श, महाभारत का पुनर्पाठ, राजनीतिक भ्रष्टाचार।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • एक और द्रौपदी (नाट्य-रूपांतर): नारी विमर्श, महाभारत की द्रौपदी का आधुनिक पुनर्पाठ।
    • महाभोज (उपन्यास का नाट्य रूपांतरण भी): राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्दाफाश; समकालीन परिस्थितियों का जीवंत चित्रण।
    • सिलवट (नाट्य-रूपांतर): स्त्री मन की दरारें, पारिवारिक तनाव।
  • भारतेन्दु हरिश्चंद्र

    विशेषता: प्रारंभिक हिंदी रंगमंच, व्यंग्य, पौराणिक कथानक, देशभक्ति।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • भारत-दुर्दशा: भारत की दयनीय स्थिति पर व्यंग्य; अंग्रेज़ी शासन की आलोचना।
    • अंधेर नगरी: प्रहसनात्मक शैली; राजा की मूर्खता, न्याय की दुर्दशा का व्यंग्यपूर्ण चित्रण।
    • सत्य हरिश्चंद्र: पौराणिक कथानक, सत्यनिष्ठा पर बल; भावपूर्ण संवाद।
    • नीलदेवी: ऐतिहासिक-रोमांटिक नाटक, राजपूत वीरता का वर्णन।
    • मिर्ज़ा साहिबा (प्रहसन-नाटकों में से एक रूपांतर): लोककथा पर आधारित; प्रारंभिक हिंदी रंगमंच की झलक।
  • जयशंकर प्रसाद (1889-1937)

    विशेषता: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, दार्शनिक दृष्टिकोण, स्त्री स्वतंत्रता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • स्कंदगुप्त: गुप्तकाल के गौरव का वर्णन, राष्ट्रवाद व त्याग की प्रधानता।
    • चंद्रगुप्त: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि; मौर्य साम्राज्य की स्थापना पर आधारित।
    • ध्रुवस्वामिनी: स्त्री स्वतंत्रता व आत्मसम्मान का प्रश्न; नायिका-प्रधान नाटक।
    • संन्यासी (प्रारंभिक नाटकों में शामिल): त्याग और वैराग्य का दार्शनिक दृष्टिकोण।
    • कामना: मनोभावों का गहन विश्लेषण, प्रतीकात्मक संवाद।
    • राज्यश्री (अपूर्ण): हर्षवर्धन की बहन राज्यश्री का संदर्भ; ऐतिहासिक कथानक।
    • क्रांति-यज्ञ (कर्मभूमि से प्रेरित): स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित, आदर्शवादी पात्र।
  • प्रेमचंद (1880-1936)

    विशेषता: देशभक्ति, बलिदान, सामाजिक संघर्ष।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कर्बला: शहीद हुसैन की कथा के माध्यम से बलिदान और सच्चाई का संदेश।
    • चंदरशेखर (नाटक रूप में प्रयुक्त, मूलतः उपन्यास भी): देशभक्ति भाव, स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि।
    • रंगभूमि (मूलतः उपन्यास, किंतु नाट्य-रूप में भी मशहूर): सूरदास का चरित्र, सामाजिक संघर्ष; मंचन लोकप्रिय।
  • राधाकृष्ण दास

    विशेषता: भक्तिकालीन विषय, संगीत और भक्ति।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • संगीत रत्नाकर: संगीत और भक्ति का समन्वय; मंचीय प्रयोग में प्रसिद्ध।
  • रामकुमार वर्मा

    विशेषता: श्रीकृष्ण लीलाओं का नया दृष्टिकोण, काव्यात्मक भाषा, प्रेम-संघर्ष।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कृष्णायन: श्रीकृष्ण की लीलाओं का नया दृष्टिकोण; काव्यात्मक भाषा।
    • उर्वशी (प्रेरणा कालिदास से): स्वर्ग और पृथ्वी के प्रेम-संघर्ष का नाटकीय रूपांतर।
    • मर्यादा: पारिवारिक दायित्व व समाजशास्त्र की चिंता।
  • शूद्रक (मूल संस्कृत)

    विशेषता: प्राचीन क्लासिक, प्रेमगाथा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मृच्छकटिक (हिंदी रूपांतरण/मंचन): प्राचीन क्लासिक; चारुदत्त और वसंतसेना की प्रेमगाथा।
  • विष्णु प्रभाकर

    विशेषता: बुद्ध के जीवन, ऐतिहासिक-राजनीतिक विश्लेषण, धार्मिक पाखंड।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • यशोधरा (नाटक रूप में): बुद्ध की पत्नी यशोधरा के मनोभावों पर केंद्रित।
    • दरबार-ए-अकबर (ऐतिहासिक नाटक): अकबर के दरबार व दीन-ए-इलाही की कहानी; धार्मिक सहिष्णुता का पक्ष।
    • चाणक्य: ऐतिहासिक-राजनीतिक विश्लेषण; नीति, कूटनीति का दर्शन।
    • देवकी: कृष्ण की माता देवकी का मनोवैज्ञानिक पक्ष।
    • भागवत अजगर (व्यंग्यात्मक नाटक): सधन्यवाद ढोंगियों पर व्यंग्य; धार्मिक पाखंड।
  • लक्ष्मीनारायण मिश्र

    विशेषता: आध्यात्मिकता, मानवकल्याण, बुद्ध के जीवन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अमृत की ओर: आध्यात्मिकता और मानवकल्याण की विचारधारा।
    • सिद्धार्थ: बुद्ध के जीवन व संदेश पर आधारित।
  • अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

    विशेषता: कृष्ण की द्वारका यात्रा, भक्ति व प्रेम।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • प्रियप्रवास (काव्य, पर मंचित भी): कृष्ण की द्वारका यात्रा; भक्ति व प्रेम की अभिव्यक्ति।
  • दत्तात्रेय रामचंद्र बेंद्रे (कन्नड़-हिंदी रूपांतर)

    विशेषता: संस्कृति और लोकपरंपरा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • पूर्वरंग: संस्कृति और लोकपरंपरा का रंगमंचीय रूप।
  • उदय शंकर भट्ट

    विशेषता: क्रांतिकारी तेवर, लोकचेतना, सत्ता और जनता का विरोधाभास।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रक्त और अश्रु: क्रांतिकारी तेवर, आज़ादी के आंदोलन की गूँज।
    • अंजोर की लौ: स्वतंत्रता पूर्व जागरण, लोकचेतना का प्रसार।
    • पहरेदार: सत्ता और जनता के बीच का विरोधाभास।
    • कैकई: रामकथा में कैकई का मनोविश्लेषण; कैकई के दृष्टिकोण से रामायण की घटना का पुनर्मूल्यांकन।
  • उपेंद्रनाथ अश्क

    विशेषता: कलाकार की संघर्षगाथा, मध्यवर्गीय जीवन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • शिल्पी: कलाकार की संघर्षगाथा, सृजन और समाज के अंतर्द्वंद्व।
    • गुलर के फूल: मध्यवर्गीय जीवन, सामाजिक चुनौतियाँ।
  • आगा हश्र कश्मीरी (उर्दू से हिंदी रूपांतर)

    विशेषता: धार्मिक असहिष्णुता के विरुद्ध प्रेम और मानवता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • यहूदी की लड़की: धार्मिक असहिष्णुता के विरुद्ध प्रेम और मानवता का संदेश।
  • चंद्रकिरण सौनरेक्सा

    विशेषता: श्रमिक आंदोलन, सामाजिक अन्याय, जनजातीय समाज।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • जुलूस (युवानाटक): श्रमिक आंदोलन, सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आवाज।
    • ज़बेरी: पिछड़े जनजातीय समाज का संघर्ष, समाज-सुधार की ललक।
  • वृंदावनलाल वर्मा

    विशेषता: ऐतिहासिक, प्रसिद्ध नगरवधू की कथा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • आम्रपाली (नाट्यरूपांतर): वैशाली गणराज्य की प्रसिद्ध नगरवधू की कथा।
  • गिरीश कर्नाड (कन्नड़ मूल, हिंदी रूपांतर)

    विशेषता: पौराणिक तत्वों का आधुनिक संस्करण, मनुष्य की पहचान का संकट, सत्ता व बुद्धि का द्वंद्व।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अग्नि और बरखा: यज्ञ और अधिकार की कथा; भारतीय पौराणिक तत्वों का आधुनिक संस्करण।
    • हयवदन: मनुष्य की पहचान का संकट; मुख-देह की अदला-बदली।
    • तुगलक: सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के माध्यम से सत्ता व बुद्धि का द्वंद्व।
    • रक्त कल्याण: इतिहास और मिथक का एक और सम्मिश्रण; हिंसा का विडंबनात्मक रूप।
    • नागमंडल: कन्नड़ लोककथा पर आधारित; विवाह, प्रेम और फंतासी का मिश्रण।
  • नरेंद्र कोहली

    विशेषता: सांस्कृतिक व राष्ट्रीय प्रश्न, व्यंग्यात्मक शैली।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • स्वर्ण जयंती: सांस्कृतिक व राष्ट्रीय प्रश्नों का विवेचन; व्यंग्यात्मक शैली।
  • रवींद्रनाथ ठाकुर (बंगाली से हिंदी रूपांतर)

    विशेषता: राष्ट्रवाद, आम जनता की शक्ति, जल समस्या।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • राजरक्त (विसर्जन नाम से भी): राष्ट्रवाद व आम जनता की शक्ति; “विसर्जन” नाम से भी जाना जाता है।
    • दो बूंद पानी: जल समस्या पर रूपक; ग्रामीण पृष्ठभूमि।
  • नवीन कुमार

    विशेषता: आधुनिक सामाजिक-राजनीतिक नाटक, युवा जागरण।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रंग दे बसंती: युवा जागरण, शहीद भगत सिंह की प्रेरणा।
  • सआदत हसन मंटो (उर्दू, नाट्य रूपांतर)

    विशेषता: सांप्रदायिकता पर तीखा व्यंग्य, विभाजन के अनुभव।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • सबसे सस्ता गोश्त: सांप्रदायिकता पर तीखा व्यंग्य; विभाजन के अनुभव।
  • रामवृक्ष बेनीपुरी

    विशेषता: स्वतंत्रता संग्राम, समाज का अपराधीकरण।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मुजरिम हम सब: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाज का अपराधीकरण व तंत्र की विडंबना।
  • तारासिंह

    विशेषता: विज्ञान कथा, भविष्यदृष्टि, सामाजिक चेतना।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • टाइम मशीन: भविष्यदृष्टि व सामाजिक चेतना।
  • सेठ गोविंद दास

    विशेषता: युवा पीढ़ी की दुविधाएँ, देशभक्ति।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • जलती जवानी: युवा पीढ़ी की दुविधाएँ, स्वतंत्रता पूर्व-काल की मनोस्थिति।
    • शहीद: क्रांतिकारी भावनाओं का प्रसार, आज़ादी से पूर्व लिखा गया देशभक्ति नाटक।
  • रामचंद्र शुक्ल

    विशेषता: ऐतिहासिक कथानक, भावनात्मक उदात्तता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • उदयाटन (नाट्य-प्रयोग): ऐतिहासिक कथानक, भावनात्मक उदात्तता।
  • भारतेंदु मंडली

    विशेषता: जनजागरण, स्वदेशी आंदोलन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • जनता की प्रगति (सामूहिक नाटक): जनजागरण, स्वदेशी आंदोलन का संदेश।
  • मथुरा प्रसाद गुुप्त

    विशेषता: जल समस्या, सामाजिक सरोकार।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • एक बूंद जिन्दगी: जल समस्या, सामाजिक सरोकार का मंचन।
  • राधेश्याम कथावाचक

    विशेषता: रामकथा का नाट्यरूप, बृजभाषा-खड़ी बोली मिश्रित शैली।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • राधेश्याम रामायण: रामकथा का नाट्यरूप; बृजभाषा-खड़ी बोली मिश्रित शैली।
  • नगेन्द्र

    विशेषता: हास्य-प्रहसन, धन लिप्सा, पारिवारिक संबंधों का विचलन।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रुपया तेरा-मेरा (प्रहसन): धन लिप्सा व पारिवारिक संबंधों का विचलन।
  • शंकर शेष

    विशेषता: आधुनिक समाज के भ्रष्टाचार, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रश्न।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कलिकथा: आधुनिक समाज के भ्रष्टाचार व अन्याय पर आधारित।
    • अपराध: मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, अपराधबोध व पश्चाताप का कथानक।
    • बीमार: स्वास्थ्य सेवाओं और नैतिक जिम्मेदारी पर गंभीर प्रश्न।
  • शम्भूनाथ सिंह

    विशेषता: आत्मसंघर्ष, नारी विमर्श।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • चौथी सीढ़ी (रेडियो नाटक): एक महिला की आत्मसंघर्ष कथा, नारी विमर्श।
  • मृदुला गर्ग (जन्म: 1938)

    विशेषता: पारिवारिक विघटन, आधुनिक जटिलताएँ।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • दरार (नाटक रूप भी): पारिवारिक विघटन, आधुनिक जटिलताएँ।
  • गिरीश कर्नाड (हिंदी में भी मंचित)

    विशेषता: कन्नड़ लोककथा, विवाह, प्रेम और फंतासी।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • नागमंडल: कन्नड़ लोककथा पर आधारित; विवाह, प्रेम और फंतासी का मिश्रण।
  • गिरिराज किशोर

    विशेषता: वनवासी जीवन, प्रकृति रक्षा।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • अरण्य-उत्सव: वनवासी जीवन, प्रकृति रक्षा का संदेश।
  • निर्मल वर्मा (1929-2005)

    विशेषता: आधुनिक अस्तित्ववाद, संबंधों की परतें।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • एक नन्ही सी जान (संवादप्रधान नाटक): आधुनिक अस्तित्ववाद, संबंधों की परतें।
  • विनोद कुमार शुक्ल

    विशेषता: प्रतीकात्मक, स्वप्न और यथार्थ का सामंजस्य।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • दीवार में एक खिड़की रहती थी (उपन्यास, नाट्य रूपांतर भी): प्रतीकात्मक खिड़की; स्वप्न और यथार्थ का सामंजस्य।
  • शांता गांधी

    विशेषता: प्रयोगधर्मी नाटक, मेटा-थियेटर शैली।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • कहानी का प्लॉट: नाटक में कहानी और मंचन का द्वंद्व; मेटा-थियेटर शैली।
  • राजेंद्र राजन

    विशेषता: आधुनिक समसामयिक नाटक, आतंक, हिंसा और सत्ता के विरुद्ध रूपक।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • रक्तबीज: आतंक, हिंसा और सत्ता के विरुद्ध रूपक।
  • अमृत राय

    विशेषता: मानवतावाद, सामाजिक समरसता।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • मनुष्य (प्रेमचंद के विचारों से प्रेरित नाटक): मानवतावाद, सामाजिक समरसता का संदेश।
  • एंटन चेखव (रूपांतर)

    विशेषता: मनोरोग, समाज व व्यवस्था की कुरूपता (विश्व क्लासिक)।

    प्रमुख रचनाएँ:

    • वार्ड नंबर 6 (हिंदी रूप): मनोरोग, समाज व व्यवस्था की कुरूपता; विश्व क्लासिक का हिंदी मंचन।

D) प्रमुख कवि और लेखक (उत्तराखंड राज्य से)

यह खंड विशेष रूप से उत्तराखंड राज्य से संबंधित कुछ प्रमुख हिंदी कवियों और लेखकों का संक्षिप्त परिचय और उनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ प्रस्तुत करता है। यह जानकारी भी कक्षा 6 से 12 तक की एनसीईआरटी पुस्तकों के आधार पर संकलित की गई है।

  • 1. सुमित्रानंदन पंत (1900-1977)

    जन्मस्थान: कौसानी, बागेश्वर जिला, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 20 मई 1900

    पुरस्कार: ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968), पद्म भूषण (1961), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1960)

    संक्षिप्त परिचय: सुमित्रानंदन पंत हिंदी साहित्य के छायावाद युग के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति प्रेम, सौंदर्य और कोमल भावनाओं का सुंदर चित्रण मिलता है। उन्हें हिंदी काव्य में आधुनिकता का अग्रदूत माना जाता है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    कविता संग्रह:

    • उच्छवास
    • पल्लव
    • ग्राम्या
    • युगांत
    • स्वर्ण किरण
    • चिदंबरा (इस रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त)
    • कला और बूढ़ा चांद (साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त)

    गद्य रचनाएँ:

    • हार
    • लोकायतन
  • 2. महादेवी वर्मा (1907-1987)

    जन्मस्थान: फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश (लेकिन उनका कार्यक्षेत्र और निवास नैनीताल, उत्तराखंड में रहा)

    जन्म वर्ष: 26 मार्च 1907

    पुरस्कार: ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982), पद्म भूषण (1956), पद्म विभूषण (1988), साहित्य अकादमी फेलोशिप

    संक्षिप्त परिचय: महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री हैं। उन्हें “आधुनिक युग की मीरा” कहा जाता है। उनकी रचनाओं में वेदना, करुणा और नारी जीवन के विभिन्न पक्षों का मार्मिक चित्रण है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    कविता संग्रह:

    • नीहार
    • रश्मि
    • नीरजा
    • सांध्यगीत
    • दीपशिखा

    गद्य रचनाएँ:

    • स्मृति की रेखाएँ
    • अतीत के चलचित्र
    • पथ के साथी
    • श्रृंखला की कड़ियाँ
    • मेरा परिवार
  • 3. शिवानी (गौरा पंत) (1923-2003)

    जन्मस्थान: राजकोट, गुजरात (लेकिन उनका परिवार मूलतः कुमाऊँ, उत्तराखंड से है, और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन नैनीताल में बिताया)

    जन्म वर्ष: 17 अक्टूबर 1923

    पुरस्कार: पद्मश्री (1982)

    संक्षिप्त परिचय: शिवानी हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध उपन्यासकार थीं, जिन्होंने मुख्यतः नारी मनोविज्ञान और कुमाऊँनी संस्कृति पर लिखा। उनकी कहानियाँ सरल भाषा और प्रवाहमयी शैली के लिए जानी जाती हैं।

    प्रमुख रचनाएँ:

    उपन्यास:

    • कृष्णकली
    • चौदह फेरे
    • भैरवी
    • सूरजमुखी अंधेरे के
    • शमशान चंपा

    कहानी संग्रह:

    • परिधि
    • आमादेर शंकर
  • 4. शैलेश मटियानी (1931-2001)

    जन्मस्थान: बाड़ेछीना, अल्मोड़ा, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 14 अक्टूबर 1931

    पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार (1995)

    संक्षिप्त परिचय: शैलेश मटियानी हिंदी के प्रमुख कथाकारों में से एक हैं। उनकी कहानियों में ग्रामीण जीवन, सामाजिक संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं का जीवंत चित्रण मिलता है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    उपन्यास:

    • मुठभेड़
    • गोपुली गफुरन
    • बोरगिन
    • रग्घू

    कहानी संग्रह:

    • अहिंसा
    • चिट्ठी रसूल की
  • 5. पल्लव (1964-वर्तमान)

    जन्मस्थान: अल्मोड़ा, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 16 जुलाई 1964

    पुरस्कार: रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार

    संक्षिप्त परिचय: पल्लव समकालीन हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक, आलोचक और संपादक हैं। वे साहित्यिक पत्रिका “समय साक्ष्य” के संपादक हैं और उनके लेखों में सामाजिक और साहित्यिक चिंतन का उत्कृष्ट समावेश है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    आलोचना:

    • कहानी का लोकतंत्र
    • साहित्य का लोक
    • आधुनिकता और हिंदी आलोचना

    संपादन:

    • समय साक्ष्य (साहित्यिक पत्रिका)
  • 6. मंगलेश डबराल (1948-2020)

    विशेषता: आधुनिक समाज, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं का गहन चित्रण मिलता है।

    जन्मस्थान: काफलपानी, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 16 मई 1948

    पुरस्कार: साहित्य अकादमी पुरस्कार (2000)

    संक्षिप्त परिचय: मंगलेश डबराल हिंदी के प्रसिद्ध कवि, पत्रकार और साहित्यिक आलोचक थे। उनकी कविताओं में आधुनिक समाज, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं का गहन चित्रण मिलता है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    कविता संग्रह:

    • पहाड़ पर लालटेन
    • घर का रास्ता
    • हम जो देखते हैं
    • आवाज भी एक जगह है

    गद्य रचनाएँ:

    • लेखक की रोटी
    • कवि का अकेलापन
  • 7. गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ (1945-2010)

    जन्मस्थान: ज्योलीकोट, नैनीताल, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 10 सितंबर 1945

    संक्षिप्त परिचय: गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोककवि, गीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने उत्तराखंड के जनांदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई और अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से सामाजिक चेतना जगाई।

    प्रमुख रचनाएँ:

    लोकगीत और कविताएँ:

    • ओ रे साथी रे
    • उत्तराखंड आंदोलन के गीत
    • धन्य है मेरी उत्तराखंड भूमि
  • 8. गोपाल बहल ‘अनुरागी’ (1925-2005)

    जन्मस्थान: अल्मोड़ा, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 1925

    संक्षिप्त परिचय: गोपाल बहल ‘अनुरागी’ हिंदी और कुमाऊँनी भाषा के प्रसिद्ध कवि थे। उनकी रचनाओं में पहाड़ी जीवन, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण मिलता है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    कविता संग्रह:

    • अनुरागी के गीत
    • पहाड़ की पुकार
    • कुमाऊँ की वादियाँ
  • 9. यशोधर मठपाल (1941-वर्तमान)

    जन्मस्थान: नैनीताल, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 15 अगस्त 1941

    संक्षिप्त परिचय: यशोधर मठपाल उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार, लेखक और चित्रकार हैं। उन्होंने कुमाऊँनी संस्कृति, इतिहास और कला पर व्यापक कार्य किया है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    गद्य रचनाएँ:

    • कुमाऊँ का इतिहास
    • उत्तराखंड की लोककथाएँ
    • पांडुलिपियों की दुनिया
  • 10. प्रभा शंकर (1955-वर्तमान)

    विशेषता: सामाजिक मुद्दों, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है।

    जन्मस्थान: देहरादून, उत्तराखंड

    जन्म वर्ष: 2 फरवरी 1955

    संक्षिप्त परिचय: प्रभा शंकर हिंदी के समकालीन कवि और लेखक हैं। उनकी रचनाओं में सामाजिक मुद्दों, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है।

    प्रमुख रचनाएँ:

    कविता संग्रह:

    • धरती का गीत
    • आकाश के स्वर
    • सपनों की तलाश


B) 100 प्रमुख हिंदी कहानियाँ

(इनमें से कई कहानियाँ संकलनों में हैं, पर यहाँ स्वतंत्र रूप से उल्लेख किया जा रहा है।)

  1. पूस की रात – प्रेमचंद
    • विशेषता: किसान जीवन का दर्द (हल्कू का चरित्र)।
  2. ईदगाह – प्रेमचंद
    • विशेषता: बाल मनोविज्ञान, हामिद का दादी के लिए चिमटा खरीदना।
  3. कफ़न – प्रेमचंद
    • विशेषता: घोर गरीबी व संवेदनहीनता का चरम चित्रण।
  4. बड़े घर की बेटी – प्रेमचंद
    • विशेषता: संयुक्त परिवार व बहू का त्यागपूर्ण चरित्र।
  5. सद्गति – प्रेमचंद
    • विशेषता: जातिवाद व शोषण पर करारी चोट; दुखी चमार की कथा।
  6. शतरंज के खिलाड़ी – प्रेमचंद
    • विशेषता: नवाबी ऐशोआराम व राष्ट्रीय कर्तव्य से पलायन का व्यंग्य।
  7. दो बैलों की कथा – प्रेमचंद
    • विशेषता: जानवरों की मार्मिक कथा; हीरा-मोती के माध्यम से मनुष्यता का संदेश।
  8. ठाकुर का कुआँ – प्रेमचंद
    • विशेषता: जातीय व्यवस्था का मुखर विरोध।
  9. जानकी – जयनंदन (आधुनिक कथा)
    • विशेषता: पारिवारिक संबंधों का जटिल चित्र; व्यावहारिक जीवन की उलझनें।
  10. गर्दभदान – उदय शंकर भट्ट
    • विशेषता: समाज में दहेज की कुरीति पर व्यंग्यपूर्ण प्रहार।
  11. सात चुटकियाँ – यशपाल
    • विशेषता: सभ्यता व नैतिकता के द्वंद्व पर केंद्रित।
  12. परदा – यशपाल
    • विशेषता: रूढ़िवादी मानसिकता की आलोचना; प्रगतिशीलता का पक्ष।
  13. देवदार के वृक्ष – हिमांशु जोशी
    • विशेषता: पर्वतीय पृष्ठभूमि, प्रकृति व मनुष्य के संबंध।
  14. डायरी के पन्ने – हिमांशु जोशी
    • विशेषता: आत्मकथात्मक शैली में भावनात्मक संघर्ष।
  15. दो हाथ – अमरकांत
    • विशेषता: सामाजिक संघर्ष, मुनाफाखोरी पर प्रहार।
  16. हत्यारे – अमरकांत
    • विशेषता: सत्ता व अत्याचार की कथा, आम आदमी का शोषण।
  17. डिप्टी कलेक्टरी – अमरकांत
    • विशेषता: मध्यवर्गीय महत्वाकांक्षा पर तीखा व्यंग्य।
  18. डर – भीष्म साहनी
    • विशेषता: सांप्रदायिक दंगों के मानसिक प्रभाव का चित्रण।
  19. चीफ की दावत – भीष्म साहनी
    • विशेषता: अफ़सरशाही और चापलूसी पर व्यंग्य।
  20. साग-मीट – भीष्म साहनी
    • विशेषता: साम्प्रदायिक सद्भाव और छोटी-छोटी बातों से बिगड़ते संबंध।
  21. अमृतसर आ गया है – भीष्म साहनी (कहानी रूप में भी उपलब्ध)
    • विशेषता: विभाजन की त्रासदी।
  22. हार की जीत – सुदर्शन
    • विशेषता: महात्मा बुद्ध से प्रेरित कथा; त्याग और धैर्य का संदेश।
  23. निर्वासन – अज्ञेय
    • विशेषता: आधुनिक मन की उलझन, आत्मचिंतन।
  24. रोज़ – अज्ञेय
    • विशेषता: विभाजन की पृष्ठभूमि; जड़ों से कटने का दर्द।
  25. अपना-अपना भाग्य – जैनेन्द्र कुमार
    • विशेषता: मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति, चरित्रों का भीतरी द्वंद्व।
  26. पाजेब – जैनेन्द्र कुमार
    • विशेषता: लघु कथा में प्रेम और नैतिकता का टकराव।
  27. गुल्ली-डंडा – प्रेमचंद (अन्य कहानियों के संकलन में भी)
    • विशेषता: बचपन की स्मृतियाँ, वर्गीय भेदभाव की व्यथा।
  28. इंदुमती – प्रेमचंद
    • विशेषता: नारी शिक्षा और स्वतंत्रता का मुद्दा।
  29. लाल पान की बेगम – रेणु
    • विशेषता: आंचलिक भाषा का सौंदर्य, समाज के छोटे-छोटे प्रसंगों में रस।
  30. पहलवान की ढोलक – रेणु
    • विशेषता: ग्रामीण संस्कृति, मेलों और लोकजीवन की सजीव झलक।
  31. रसप्रिया – रेणु
    • विशेषता: संगीत और प्रेम का अनूठा मिश्रण; मार्मिक अंत।
  32. ठेस – राग दरबारी (श्रीलाल शुक्ल की कहानियों में से)*
    • विशेषता: चोट और व्यथा का प्रतीकात्मक वर्णन, आम मनुष्य की पीड़ा।
  33. कहानी के उस पार – अमृतलाल नागर
    • विशेषता: शहरी मध्यम वर्ग, पारिवारिक संघर्ष।
  34. बूँद और समुद्र – अमृतलाल नागर (उपन्यास भी, कहानी के रूप में संक्षिप्त संस्करण)
    • विशेषता: गहन भावनाओं का प्रस्फुटन, सांस्कृतिक मूल्य।
  35. नया जीवन – विष्णु प्रभाकर
    • विशेषता: गांधीवादी विचार, परिवर्तन की ललक।
  36. फूलों का कुरता – उदय शंकर भट्ट
    • विशेषता: बाल मन और पारिवारिक ताने-बाने की कथा।
  37. विषकन्या – राजेंद्र यादव
    • विशेषता: मनोवैज्ञानिक डर, सांकेतिक शैली।
  38. छोटे-छोटे ताजमहल – राजेंद्र यादव
    • विशेषता: प्रेम और यथार्थ का विरोधाभास।
  39. एक प्लेट सैलाब – कमलेश्वर
    • विशेषता: विभाजन के समय की मार्मिक अनुभूति; लोग बेघर हुए।
  40. राजा निरबंसिया – कमलेश्वर
    • विशेषता: जातिवाद, सामाजिक विसंगतियाँ; प्रगतिशील मूल्यों का समर्थन।
  41. दिल्ली में एका – कमलेश्वर
    • विशेषता: राजनीतिक पृष्ठभूमि, आपसी मतभेद।
  42. देशनिकाला – कमलेश्वर
    • विशेषता: सांप्रदायिकता व राष्ट्रवाद पर गहरा प्रश्नचिह्न।
  43. साँप और सीढ़ी – भीष्म साहनी
    • विशेषता: प्रतीकात्मक कथा; जीवन में उतार-चढ़ाव का दर्शन।
  44. बैल और मैं – भीष्म साहनी
    • विशेषता: मानवीय संवेदनाओं का पशु-चरित्र से सादृश्य।
  45. नशा – प्रेमचंद
    • विशेषता: नशाखोरी और सामाजिक पतन का चित्रण।
  46. वरदान – प्रसाद (छोटी कथा भी है)
    • विशेषता: त्याग के महत्त्व पर बल; काव्यात्मक शैली।
  47. आदमी का ज़हर – सुभद्रा कुमारी चौहान
    • विशेषता: सामाजिक विषमताओं पर लेखिका का प्रहार; सरल भाषा।
  48. मजहब – महादेवी वर्मा (रेखाचित्रों के अतिरिक्त कहानियाँ भी)
    • विशेषता: सांप्रदायिक सद्भाव, मानवीय संवेदनाएँ।
  49. दो फूल – सुभद्रा कुमारी चौहान
    • विशेषता: बाल-मनोविज्ञान व मासूम रिश्तों का वर्णन।
  50. जलती झाड़ी – विवेकी राय
    • विशेषता: पूर्वांचल की ग्रामीण पृष्ठभूमि, विकास और विडंबना।
  51. सरदार – मोहन राकेश
    • विशेषता: जटिल पारिवारिक संबंध; आंतरिक मनोविज्ञान।
  52. मलबे का मालिक – मोहन राकेश (कहानी रूप में भी)
    • विशेषता: आपसी रिश्तों का विघटन और मानवीय संवेदनहीनता।
  53. क्वार्टर – मोहन राकेश
    • विशेषता: शहरी जीवन और छोटे घरों की बड़ी समस्याएँ।
  54. सड़क के किनारे – अज्ञेय
    • विशेषता: शहर के एकांकी जीवन का दार्शनिक चित्र।
  55. बेघर – अमरकांत
    • विशेषता: गृहविहीन लोगों के प्रति संवेदना; समाज की उदासीनता।
  56. तीसरी कसम – फणीश्वरनाथ रेणु (कहानी का नाम “मारे गए गुलफ़ाम”)
    • विशेषता: हीरामन और हीराबाई की मार्मिक प्रेमकथा; इसी पर फिल्म “तीसरी कसम”।
  57. रसफूल – फणीश्वरनाथ रेणु
    • विशेषता: आंचलिक मनोभाव और ग्रामीण जीवन का चित्रण।
  58. परमात्मा का कुत्ता – हरिशंकर परसाई
    • विशेषता: व्यंग्य; सामाजिक तंत्र में पाखंड और स्वार्थ पर चोट।
  59. दो गुब्बारे – हरिशंकर परसाई
    • विशेषता: बच्चों की दुनिया से बड़े समाज पर व्यंग्य।
  60. सदाचार का ताबीज – हरिशंकर परसाई (लघु कथा)
    • विशेषता: राजनीति की विडंबना, नैतिक मूल्यों का क्षरण।
  61. गुलाब का फूल – शरद जोशी
    • विशेषता: व्यंग्यात्मक शैली, प्रेम और यथार्थ का संघर्ष।
  62. काग भगोड़ा – शरद जोशी
    • विशेषता: भ्रष्टाचार और कर्तव्य-च्युत समाज की कहानी।
  63. व्यंग्य यात्रा – शरद जोशी (संकलन की कहानियाँ)
    • विशेषता: आधुनिक समय के सामाजिक प्रवृत्तियों पर चुटीले व्यंग्य।
  64. आप आदमी हैं – रवींद्र कालिया
    • विशेषता: शहरी अकेलापन, संबंधों का खोखलापन।
  65. गुफा – रवींद्र कालिया
    • विशेषता: आधुनिकीकरण और पारंपरिक मूल्यों का टकराव।
  66. वरदान – सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (एक लघु कथा भी)
    • विशेषता: सूक्ष्म भावों का काव्यात्मक गद्य में प्रदर्शन।
  67. कुण्डलिया – जैनेन्द्र कुमार
    • विशेषता: प्रेम, त्याग और सामाजिक मूल्यों की कड़ी परीक्षा।
  68. सुख – जैनेन्द्र कुमार
    • विशेषता: सुख की परिभाषा पर गहन मनोवैज्ञानिक पड़ताल।
  69. उलझन – जैनेन्द्र कुमार
    • विशेषता: पारिवारिक उलझनों में फँसे चरित्रों की कश्मकश।
  70. तीसरी कसम उर्फ़ मारे गए गुलफ़ाम – फणीश्वरनाथ रेणु
    • विशेषता: ग्रामीण प्रेमकथा; भाषा की आंचलिक खूबसूरती।
  71. वारिस – कमलेश्वर
    • विशेषता: जायदाद के लोभ में परिवार का विघटन; मानवीय संबंधों की मूल्यहीनता।
  72. सन्देश – कमलेश्वर
    • विशेषता: बदली हुई सामाजिक परिस्थितियों में परंपरा की भूमिका।
  73. मैं हार गई – मन्नू भंडारी
    • विशेषता: महिलाओं के अंतःसंघर्ष पर आधारित; अत्यंत सशक्त स्त्री-चरित्र।
  74. तीन निगाहों की एक तस्वीर – मन्नू भंडारी
    • विशेषता: एक ही घटना पर तीन अलग दृष्टिकोण; कथाशिल्प की विविधता।
  75. एक प्लेट गोलगप्पे – रमेश उपाध्याय
    • विशेषता: छोटे सुखों व रिश्तों की बारीकियों का वर्णन।
  76. पार्टी यहां है – रमेश उपाध्याय
    • विशेषता: उच्च वर्गीय पार्टियों की तड़क-भड़क और भीतर का खोखलापन।
  77. तीस साल बाद – विष्णु प्रभाकर
    • विशेषता: लंबा समय बीतने के बाद संबंधों का परीक्षण; पुनर्मूल्यांकन।
  78. अपूर्वा – विष्णु प्रभाकर
    • विशेषता: स्त्री मन की छटपटाहट, स्वतंत्रता की चाह।
  79. खोल दो – सआदत हसन मंटो (उर्दू, पर हिंदी पाठकों में भी बेहद प्रसिद्ध)
    • विशेषता: विभाजन की विभीषिका में नारी उत्पीड़न का हृदयविदारक प्रसंग।
  80. टोबा टेक सिंह – सआदत हसन मंटो
    • विशेषता: विभाजन व पागलखाना प्रतीक; मानवीय पहचान का प्रश्न।
  81. ठंडा गोश्त – सआदत हसन मंटो
    • विशेषता: दंगों की पशुता को दर्शाती है; दिल दहला देने वाली कहानी।
  82. हठीला हनुमान – प्रकाश मनु
    • विशेषता: बाल साहित्य में लोकप्रिय; बच्चों की रोचक कहानी।
  83. अजीब मसला – शिवानी (कम चर्चित कहानी)
    • विशेषता: स्त्री की दुविधाएँ, मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि।
  84. चलित्तर – शिवानी
    • विशेषता: पहाड़ी लोक-चित्र; जीवन की विडंबनाओं पर रोशनी।
  85. एहसान – प्रसाद
    • विशेषता: उपकार की भावना और परिणाम पर दर्शन-प्रभावित कथानक।
  86. ग्राम सेविका – आचार्य चतुरसेन
    • विशेषता: ग्रामीण विकास की अवधारणा; स्त्री शिक्षा का संदेश।
  87. अंतर्ध्वनि – महादेवी वर्मा (रेखाचित्रों के अलावा कुछ कहानियाँ भी)
    • विशेषता: करुणा और संवेदना; प्रकृति और पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम।
  88. भेड़िए – रामवृक्ष बेनीपुरी
    • विशेषता: ग्रामीण शोषण और दरिंदगी का प्रतीकात्मक चित्रण।
  89. अधूरी समाधि – रामवृक्ष बेनीपुरी
    • विशेषता: क्रांतिकारी तेवर, सामाजिक बेड़ियों से मुक्ति की कामना।
  90. नई सुभा – रांगेय राघव
    • विशेषता: प्रगतिवादी संदेश; नए युग की शुरुआत की आकांक्षा।
  91. अजान दर्जी – रांगेय राघव
    • विशेषता: निम्नवर्गीय जीवन में संघर्ष व आत्मसम्मान का पहलू।
  92. अग्निगर्भ – जैनेंद्र कुमार (छोटी कथा की शैली)
    • विशेषता: मानवीय संवेदनाओं का दार्शनिक विश्लेषण।
  93. एक परी एक मुन्ना – अमृतलाल नागर (बाल कहानी)
    • विशेषता: बाल-कल्पना, रोचक घटनाक्रम; सीख भरी।
  94. कलम का सिपाही – अमृत राय (कहानी नहीं, पर संक्षिप्त संदर्भ मिलता है)
    • विशेषता: प्रेमचंद की जीवनी पर आधारित, किंतु कहानी-तत्वों का समावेश भी।
  95. त्रिशंकु – रवींद्र कालिया
    • विशेषता: अधूरेपन की व्यथा, आधुनिक जीवन की उलझनें।
  96. बर्फ़ में फँसी मछली – ममता कालिया
    • विशेषता: शहरी स्त्री का मनोविश्लेषण, स्वतंत्र अस्तित्व की खोज।
  97. आपकी छोटी लड़की – ममता कालिया
    • विशेषता: पिता-पुत्री संबंध; भावनात्मक एवं सामाजिक पहलू।
  98. आरामहराम है – हरिशंकर परसाई
    • विशेषता: व्यंग्य; आरामतलब समाज पर कटाक्ष।
  99. तब की बात और थी – शरद जोशी
    • विशेषता: पुरानी यादें और वर्तमान जीवन का अंतर, हल्का हास्य-व्यंग्य।
  100. बाबू नागार्जुन की कहानियाँ (संकलन) – नागार्जुन
    – विशेषता: ग्रामीण समाज, वंचित तबके, राजनीतिक चेतना का समावेश।

C) 100 प्रमुख हिंदी नाटक

(हिंदी में संस्कृत नाट्य परंपरा का प्रभाव, साथ ही पाश्चात्य नाट्यशास्त्र का भी प्रभाव है; कुछ नाटक ऐतिहासिक, कुछ सामाजिक, तो कुछ प्रयोगधर्मी हैं।)

  1. अंधा युग – धर्मवीर भारती
    • विशेषता: महाभारत के युद्धोत्तर प्रसंग; परमाणु युग में नैतिक मूल्यों की तलाश।
  2. अशाढ़ का एक दिन – मोहन राकेश
    • विशेषता: कालिदास के जीवन पर आधारित; आधुनिक हिंदी नाट्य में युगांतकारी रचना।
  3. लहरों के राजहंस – मोहन राकेश
    • विशेषता: बुद्ध के पुत्र राहुल और यशोधरा पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण।
  4. आधे अधूरे – मोहन राकेश
    • विशेषता: नगरीय मध्यवर्गीय परिवार की टूटन; आधुनिक मूल्यों की विडंबना।
  5. आषाढ़ का एक दिन – मोहन राकेश (दोबारा संदर्भ: यह मोहन राकेश का प्रथम स्वतंत्र पूर्ण नाटक)
    • विशेषता: कालिदास और Mallika की प्रेमकथा; साहित्य और जीवन का द्वंद्व।
  6. सुनहला कैदखाना – मोहन राकेश (रेडियो-नाटक भी)
    • विशेषता: आधुनिक मन की बेचैनी, मूल्यहीनता का एहसास।
  7. बकरी – भीष्म साहनी
    • विशेषता: प्रतीकात्मक नाटक; शोषित जनता के प्रति सत्ता का रवैया।
  8. हानूश (कभी-कभी ‘हाथी के दाँत’) – जगदीशचंद्र माथुर
    • विशेषता: प्राग (चेक गणराज्य) के घड़ीसाज़ हानूश की कथा; नवाचार व सत्ता का द्वंद्व।
  9. कोंडू – जगदीशचंद्र माथुर
    • विशेषता: आदिवासी जीवन, प्राचीन लोककथा का आधुनिक रूपांतरण।
  10. पुनर्नवा – हजारी प्रसाद द्विवेदी (नाटक रूप में भी मिलता है)
    • विशेषता: सांस्कृतिक पुनर्जागरण, परंपरा और आधुनिकता का समन्वय।
  11. राम की शक्ति पूजा – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ (काव्य-नाटक के रूप में मंचित)
    • विशेषता: राम-रावण युद्ध में शक्ति की आराधना; काव्यात्मक संवाद।
  12. एक और द्रौपदी – मन्नू भंडारी (नाट्य-रूपांतर)
    • विशेषता: नारी विमर्श, महाभारत की द्रौपदी का आधुनिक पुनर्पाठ।
  13. मिर्ज़ा साहिबा – भारतेन्दु हरिश्चंद्र (उनके कई प्रहसन-नाटकों में से एक रूपांतर)
    • विशेषता: लोककथा पर आधारित; प्रारंभिक हिंदी रंगमंच की झलक।
  14. भारत-दुर्दशा – भारतेन्दु हरिश्चंद्र
    • विशेषता: भारत की दयनीय स्थिति पर व्यंग्य; अंग्रेज़ी शासन की आलोचना।
  15. अंधेर नगरी – भारतेन्दु हरिश्चंद्र
    • विशेषता: प्रहसनात्मक शैली; राजा की मूर्खता, न्याय की दुर्दशा का व्यंग्यपूर्ण चित्रण।
  16. सत्य हरिश्चंद्र – भारतेन्दु हरिश्चंद्र
    • विशेषता: पौराणिक कथानक, सत्यनिष्ठा पर बल; भावपूर्ण संवाद।
  17. नीलदेवी – भारतेन्दु हरिश्चंद्र
    • विशेषता: ऐतिहासिक-रोमांटिक नाटक, राजपूत वीरता का वर्णन।
  18. संन्यासी – जयशंकर प्रसाद (प्रारंभिक नाटकों में शामिल)
    • विशेषता: त्याग और वैराग्य का दार्शनिक दृष्टिकोण।
  19. कामना – जयशंकर प्रसाद
    • विशेषता: मनोभावों का गहन विश्लेषण, प्रतीकात्मक संवाद।
  20. चंद्रगुप्त – जयशंकर प्रसाद
    • विशेषता: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि; मौर्य साम्राज्य की स्थापना पर आधारित।
  21. स्कंदगुप्त – जयशंकर प्रसाद
    • विशेषता: गुप्तकाल के गौरव का वर्णन, राष्ट्रवाद व त्याग की प्रधानता।
  22. ध्रुवस्वामिनी – जयशंकर प्रसाद
    • विशेषता: स्त्री स्वतंत्रता व आत्मसम्मान का प्रश्न; नायिका-प्रधान नाटक।
  23. राज्यश्री – जयशंकर प्रसाद (अपूर्ण)
    • विशेषता: हर्षवर्धन की बहन राज्यश्री का संदर्भ; ऐतिहासिक कथानक।
  24. चंदरशेखर – प्रेमचंद (नाटक रूप में प्रयुक्त, मूलतः उपन्यास भी)
    • विशेषता: देशभक्ति भाव, स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि।
  25. कर्बला – प्रेमचंद
    • विशेषता: शहीद हुसैन की कथा के माध्यम से बलिदान और सच्चाई का संदेश।
  26. संगीत रत्नाकर – राधाकृष्ण दास (भक्तिकालीन विषय पर नाटक)
    • विशेषता: संगीत और भक्ति का समन्वय; मंचीय प्रयोग में प्रसिद्ध।
  27. कृष्णायन – रामकुमार वर्मा
    • विशेषता: श्रीकृष्ण की लीलाओं का नया दृष्टिकोण; काव्यात्मक भाषा।
  28. मृच्छकटिक – मूल संस्कृत: शूद्रक; (हिंदी रूपांतरण/मंचन)
    • विशेषता: प्राचीन क्लासिक; चारुदत्त और वसंतसेना की प्रेमगाथा।
  29. उर्वशी – रामकुमार वर्मा (प्रेरणा कालिदास से)
    • विशेषता: स्वर्ग और पृथ्वी के प्रेम-संघर्ष का नाटकीय रूपांतर।
  30. विष्णु प्रभाकर – यशोधरा (नाटक रूप में)
    • विशेषता: बुद्ध की पत्नी यशोधरा के मनोभावों पर केंद्रित।
  31. अमृत की ओर – लक्ष्मीनारायण मिश्र
    • विशेषता: आध्यात्मिकता और मानवकल्याण की विचारधारा।
  32. सिद्धार्थ – लक्ष्मीनारायण मिश्र
    • विशेषता: बुद्ध के जीवन व संदेश पर आधारित।
  33. महाभारत – जगदीशचंद्र माथुर (संकलित व रूपांतरित)
    • विशेषता: महाकाव्य का नाटकीय रूप; भारतीय रंगमंच में लोकप्रिय।
  34. प्रियप्रवास – अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ (काव्य, पर मंचित भी)
    • विशेषता: कृष्ण की द्वारका यात्रा; भक्ति व प्रेम की अभिव्यक्ति।
  35. दरबार-ए-अकबर – विष्णु प्रभाकर (ऐतिहासिक नाटक)
    • विशेषता: अकबर के दरबार व दीन-ए-इलाही की कहानी; धार्मिक सहिष्णुता का पक्ष।
  36. पूर्वरंग – दत्तात्रेय रामचंद्र बेंद्रे (कन्नड़-हिंदी रूपांतर)
    • विशेषता: संस्कृति और लोकपरंपरा का रंगमंचीय रूप।
  37. रक्त और अश्रु – उदय शंकर भट्ट
    • विशेषता: क्रांतिकारी तेवर, आज़ादी के आंदोलन की गूँज।
  38. शिल्पी – उपेंद्रनाथ अश्क
    • विशेषता: कलाकार की संघर्षगाथा, सृजन और समाज के अंतर्द्वंद्व।
  39. यहूदी की लड़की – आगा हश्र कश्मीरी (उर्दू से हिंदी रूपांतर)
    • विशेषता: धार्मिक असहिष्णुता के विरुद्ध प्रेम और मानवता का संदेश।
  40. अंजोर की लौ – उदय शंकर भट्ट
    • विशेषता: स्वतंत्रता पूर्व जागरण, लोकचेतना का प्रसार।
  41. जुलूस – चंद्रकिरण सौनरेक्सा (युवानाटक)
    • विशेषता: श्रमिक आंदोलन, सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आवाज।
  42. एक और अजनबी – मोहन राकेश (रेडियो नाटक)
    • विशेषता: समकालीनता, मानवीय संबंधों की पड़ताल।
  43. चाणक्य – विष्णु प्रभाकर
    • विशेषता: ऐतिहासिक-राजनीतिक विश्लेषण; नीति, कूटनीति का दर्शन।
  44. आम्रपाली – वृंदावनलाल वर्मा (नाट्यरूपांतर)
    • विशेषता: वैशाली गणराज्य की प्रसिद्ध नगरवधू की कथा।
  45. अग्नि और बरखा – गिरीश कर्नाड (कन्नड़ मूल, हिंदी रूपांतर)
    • विशेषता: यज्ञ और अधिकार की कथा; भारतीय पौराणिक तत्वों का आधुनिक संस्करण।
  46. हयवदन – गिरीश कर्नाड (हिंदी रूपांतर प्रसिद्ध)
    • विशेषता: मनुष्य की पहचान का संकट; मुख-देह की अदला-बदली।
  47. तुगलक – गिरीश कर्नाड (हिंदी रूपांतर)
    • विशेषता: सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक के माध्यम से सत्ता व बुद्धि का द्वंद्व।
  48. रंगभूमि – प्रेमचंद (मूलतः उपन्यास, किंतु नाट्य-रूप में भी मशहूर)
    • विशेषता: सूरदास का चरित्र, सामाजिक संघर्ष; मंचन लोकप्रिय।
  49. स्वर्ण जयंती – नरेंद्र कोहली
    • विशेषता: सांस्कृतिक व राष्ट्रीय प्रश्नों का विवेचन; व्यंग्यात्मक शैली।
  50. अब्राहम अल्काज़ी – तुगलक (निर्देशन) (अलकाज़ी ने ‘तुगलक’ का प्रसिद्ध मंचन किया)
    • विशेषता: NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में ऐतिहासिक प्रस्तुति।
  51. राजरक्त – रवींद्रनाथ ठाकुर (बंगाली से हिंदी रूपांतर)
    • विशेषता: राष्ट्रवाद व आम जनता की शक्ति; “विसर्जन” नाम से भी जाना जाता है।
  52. रक्त कल्याण – गिरीश कर्नाड (हिंदी में)
    • विशेषता: इतिहास और मिथक का एक और सम्मिश्रण; हिंसा का विडंबनात्मक रूप।
  53. विष वृक्ष – बॅंकिमचंद्र चटर्जी (उपन्यास से नाट्य रूपांतर)
    • विशेषता: 19वीं सदी का संदर्भ; सामाजिक व पारिवारिक मूल्यों का संघर्ष।
  54. रंग दे बसंती – नवीन कुमार (आधुनिक सामाजिक-राजनीतिक नाटक)
    • विशेषता: युवा जागरण, शहीद भगत सिंह की प्रेरणा।
  55. सबसे सस्ता गोश्त – मंटो (नाट्य रूपांतर)
    • विशेषता: सांप्रदायिकता पर तीखा व्यंग्य; विभाजन के अनुभव।
  56. मुजरिम हम सब – रामवृक्ष बेनीपुरी (नाटक)
    • विशेषता: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाज का अपराधीकरण व तंत्र की विडंबना।
  57. टाइम मशीन – तारासिंह (विज्ञान कथा का नाट्य रूप)
    • विशेषता: भविष्यदृष्टि व सामाजिक चेतना।
  58. पहरेदार – उदयशंकर भट्ट
    • विशेषता: सत्ता और जनता के बीच का विरोधाभास।
  59. महाभोज – मन्नू भंडारी (उपन्यास का नाट्य रूपांतरण भी)
    • विशेषता: राजनीतिक भ्रष्टाचार का पर्दाफाश; समकालीन परिस्थितियों का जीवंत चित्रण।
  60. जलती जवानी – सेठ गोविंद दास (प्रारंभिक हिंदी नाटककारों में से)
    • विशेषता: युवा पीढ़ी की दुविधाएँ, स्वतंत्रता पूर्व-काल की मनोस्थिति।
  61. उदयाटन – रामचंद्र शुक्ल (नाट्य-प्रयोग)
    • विशेषता: ऐतिहासिक कथानक, भावनात्मक उदात्तता।
  62. जनता की प्रगति – भारतेंदु मंडली (सामूहिक नाटक)
    • विशेषता: जनजागरण, स्वदेशी आंदोलन का संदेश।
  63. एक बूंद जिन्दगी – मथुरा प्रसाद गुुप्त
    • विशेषता: जल समस्या, सामाजिक सरोकार का मंचन।
  64. मर्यादा – रामकुमार वर्मा
    • विशेषता: पारिवारिक दायित्व व समाजशास्त्र की चिंता।
  65. रामलीला – लोकनाट्य (विभिन्न रूपों में प्रचलित)
    • विशेषता: धार्मिक व सांस्कृतिक पक्ष; गाँव-शहर सभी जगह लोकप्रिय मंचन।
  66. राधेश्याम रामायण – राधेश्याम कथावाचक
    • विशेषता: रामकथा का नाट्यरूप; बृजभाषा-खड़ी बोली मिश्रित शैली।
  67. राम की शक्तिपूजा – भारतेंदु मंचन (निराला की काव्य रचना का मंचन)
    • विशेषता: महाकाव्यात्मक कथानक, राम का आंतरिक द्वंद्व।
  68. गाँव के नाविक – आचार्य चतुरसेन (नाट्य)
    • विशेषता: ग्रामीण जीवन की समस्याओं, संघर्ष का चित्रण।
  69. गुलर के फूल – उपेंद्रनाथ अश्क
    • विशेषता: मध्यवर्गीय जीवन, सामाजिक चुनौतियाँ।
  70. एक लड़की पाँच दीवाने – रवींद्र कालिया (नाट्य रूप में)*
    • विशेषता: हास्य और सामाजिक विडंबना का मिश्रण।
  71. देवकी – विष्णु प्रभाकर
    • विशेषता: कृष्ण की माता देवकी का मनोवैज्ञानिक पक्ष।
  72. जस्सी की शादी – डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल (हास्य-नाटक)
    • विशेषता: दहेज प्रथा व सामाजिक कुरीतियों पर व्यंग्य।
  73. खड़े हो जाओ – हरिशंकर परसाई (व्यंग्य-नाटिका)
    • विशेषता: प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार पर तंज।
  74. अमृत मानव – रांगेय राघव (नाट्य रूप)
    • विशेषता: मनुष्य में अंतर्निहित दैवीय तत्व का उद्घाटन।
  75. सिलवट – मन्नू भंडारी (नाट्य-रूपांतर)*
    • विशेषता: स्त्री मन की दरारें, पारिवारिक तनाव।
  76. रुपया तेरा-मेरा – नगेन्द्र (प्रहसन)*
    • विशेषता: धन लिप्सा व पारिवारिक संबंधों का विचलन।
  77. कलिकथा – शंकर शेष
    • विशेषता: आधुनिक समाज के भ्रष्टाचार व अन्याय पर आधारित।
  78. अपराध – शंकर शेष
    • विशेषता: मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, अपराधबोध व पश्चाताप का कथानक।
  79. बीमार – शंकर शेष
    • विशेषता: स्वास्थ्य सेवाओं और नैतिक जिम्मेदारी पर गंभीर प्रश्न।
  80. नागमंडल – गिरीश कर्नाड (हिंदी में भी मंचित)
    • विशेषता: कन्नड़ लोककथा पर आधारित; विवाह, प्रेम और फंतासी का मिश्रण।
  81. चौथी सीढ़ी – शम्भूनाथ सिंह (रेडियो नाटक)
    • विशेषता: एक महिला की आत्मसंघर्ष कथा, नारी विमर्श।
  82. दरार – मृदुला गर्ग (नाटक रूप भी)
    • विशेषता: पारिवारिक विघटन, आधुनिक जटिलताएँ।
  83. शहीद – सेठ गोविंद दास
    • विशेषता: क्रांतिकारी भावनाओं का प्रसार, आज़ादी से पूर्व लिखा गया देशभक्ति नाटक।
  84. ज़बेरी – चंद्रकिरण सौनरेक्सा
    • विशेषता: पिछड़े जनजातीय समाज का संघर्ष, समाज-सुधार की ललक।
  85. क्रांति-यज्ञ – जयशंकर प्रसाद (कर्मभूमि से प्रेरित)
    • विशेषता: स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित, आदर्शवादी पात्र।
  86. त्रिपाठी का इंतज़ार – नरेन्द्र मोहन (आधुनिक प्रयोगधर्मी नाटक)
    • विशेषता: प्रतीकात्मक मंच-सज्जा, समय का दार्शनिक विश्लेषण।
  87. भोर का तारा – शकुंतला शुक्ल (महिला नाटककार)
    • विशेषता: स्त्री शिक्षा व आत्मसम्मान पर जोर।
  88. अरण्य-उत्सव – गिरिराज किशोर
    • विशेषता: वनवासी जीवन, प्रकृति रक्षा का संदेश।
  89. एक नन्ही सी जान – निर्मल वर्मा (संवादप्रधान नाटक)
    • विशेषता: आधुनिक अस्तित्ववाद, संबंधों की परतें।
  90. दो बूंद पानी – रवींद्रनाथ ठाकुर (बंगाली से हिंदी रूपांतर)
    • विशेषता: जल समस्या पर रूपक; ग्रामीण पृष्ठभूमि।
  91. आकाश दीप – जगदीशचंद्र माथुर
    • विशेषता: ज्ञान, विज्ञान और आस्था के बीच समन्वय।
  92. दीवार में एक खिड़की रहती थी – विनोद कुमार शुक्ल (रूपांतर)*
    • विशेषता: प्रतीकात्मक खिड़की; स्वप्न और यथार्थ का सामंजस्य।
  93. कैकई – उदय शंकर भट्ट (रामकथा में कैकई का मनोविश्लेषण)
    • विशेषता: कैकई के दृष्टिकोण से रामायण की घटना का पुनर्मूल्यांकन।
  94. कहानी का प्लॉट – शांता गांधी (प्रयोगधर्मी नाटक)
    • विशेषता: नाटक में कहानी और मंचन का द्वंद्व; मेटा-थियेटर शैली।
  95. भागवत अजगर – विष्णु प्रभाकर (व्यंग्यात्मक नाटक)
    • विशेषता: सधन्यवाद ढोंगियों पर व्यंग्य; धार्मिक पाखंड।
  96. करवा का व्रत – ममता कालिया (नाटिका)
    • विशेषता: दांपत्य जीवन की रुढ़ि-परंपरा पर प्रश्नचिह्न।
  97. वार्ड नंबर 6 – एंटन चेखव का रूपांतर (हिंदी रूप)
    • विशेषता: मनोरोग, समाज व व्यवस्था की कुरूपता; विश्व क्लासिक का हिंदी मंचन।
  98. रक्तबीज – राजेंद्र राजन (आधुनिक समसामयिक नाटक)
    • विशेषता: आतंक, हिंसा और सत्ता के विरुद्ध रूपक।
  99. मनुष्य – अमृत राय (प्रेमचंद के विचारों से प्रेरित नाटक)
    • विशेषता: मानवतावाद, सामाजिक समरसता का संदेश।
  100. कठोपनिषद – देवेंद्रराज अंकुर का मंचन (उपनिषदिक कथा का रूपांतर)
    – विशेषता: नचिकेता और यम संवाद का आधुनिक प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण।

नोट:

  • कुछ रचनाएँ बहुविध रूपों में भी पाई जाती हैं (जैसे उपन्यास/नाटक, कहानी/रेखाचित्र/निबंध)।
  • कई लेखकों की रचनाएँ बड़े संग्रहों में संकलित होती हैं, यहाँ मुख्यतः प्रमुख या बहुचर्चित कृतियों का ही उल्लेख है।
  • यदि किसी रचना के बारे में विस्तृत जानकारी चाहिए, तो उसके संकलन/मुख्य टेक्स्ट/समालोचनात्मक आलेखों का अध्ययन आवश्यक है।

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