लोकोक्तियाँ (या कहावतें) ऐसे पूर्ण वाक्य होते हैं जो किसी समाज के अनुभव, ज्ञान और सत्य को संक्षिप्त और सारगर्भित रूप में व्यक्त करते हैं। ये अपने आप में एक पूरा अर्थ समेटे होती हैं और अक्सर किसी कहानी या घटना पर आधारित होती हैं। मुहावरों के विपरीत, लोकोक्तियाँ स्वतंत्र वाक्य के रूप में प्रयोग की जा सकती हैं।
1. लोकोक्तियों के प्रयोग के व्याकरणिक नियम
लोकोक्तियाँ भाषा को समृद्ध और प्रभावशाली बनाती हैं। इनका प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- पूर्ण वाक्य: लोकोक्तियाँ अपने आप में पूर्ण वाक्य होती हैं, इसलिए इन्हें किसी अन्य क्रिया या शब्द के साथ जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। ये सीधे-सीधे प्रयोग की जा सकती हैं।
- परिवर्तनशीलता का अभाव: मुहावरों के विपरीत, लोकोक्तियों में लिंग, वचन, काल आदि के अनुसार बहुत कम या न के बराबर परिवर्तन होता है। वे आमतौर पर अपने मूल रूप में ही प्रयोग की जाती हैं।
- संदर्भ का महत्त्व: लोकोक्ति का प्रयोग हमेशा उचित संदर्भ में ही करना चाहिए, ताकि उसका अर्थ स्पष्ट हो सके और वह स्वाभाविक लगे।
- उपदेशात्मक या अनुभवात्मक: लोकोक्तियाँ अक्सर कोई सीख, उपदेश या जीवन का अनुभव बताती हैं।
- कथन की पुष्टि: इनका प्रयोग अक्सर किसी बात या कथन की पुष्टि करने या उसे और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है।
2. प्रमुख लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ (उदाहरण सहित)
- अधजल गगरी छलकत जाए। अर्थ: कम ज्ञान या धन वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है। उदाहरण: उसे थोड़ा सा ज्ञान क्या मिला, वह तो सबसे बहस करने लगा, सच है अधजल गगरी छलकत जाए।
- अपनी करनी पार उतरनी। अर्थ: अपने कर्मों का फल स्वयं ही भोगना पड़ता है। उदाहरण: परीक्षा में नकल करने का नतीजा तो भुगतना ही पड़ेगा, क्योंकि अपनी करनी पार उतरनी।
- अंधों में काना राजा। अर्थ: मूर्खों के बीच थोड़ा पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी ज्ञानी माना जाता है। उदाहरण: इस गाँव में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है, इसलिए दसवीं पास रामलाल ही यहाँ अंधों में काना राजा है।
- आम के आम गुठलियों के दाम। अर्थ: दोहरा लाभ होना। उदाहरण: उसने पुराना फ़ोन बेचकर नया फ़ोन खरीदा, यह तो आम के आम गुठलियों के दाम वाली बात हो गई।
- आगे कुआँ पीछे खाई। अर्थ: दोनों ओर से मुसीबत होना। उदाहरण: नौकरी छोड़ दी और नई मिली नहीं, अब तो उसके लिए आगे कुआँ पीछे खाई वाली स्थिति है।
- एक पंथ दो काज। अर्थ: एक साथ दो काम पूरे करना। उदाहरण: दिल्ली जाकर शादी में भी शामिल हो गया और अपना काम भी निपटा लिया, इसे कहते हैं एक पंथ दो काज।
- एक अनार सौ बीमार। अर्थ: वस्तु कम और चाहने वाले अधिक होना। उदाहरण: एक ही सरकारी नौकरी के लिए इतने सारे उम्मीदवार हैं, यह तो एक अनार सौ बीमार वाली बात है।
- कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली। अर्थ: दो व्यक्तियों या वस्तुओं में बहुत अधिक अंतर होना। उदाहरण: तुम एक छोटे से दुकानदार हो और वह बड़ा उद्योगपति, कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
- कंगाली में आटा गीला। अर्थ: गरीबी में और अधिक मुसीबत आना। उदाहरण: पहले ही नौकरी नहीं थी, अब बीमारी भी लग गई, यह तो कंगाली में आटा गीला हो गया।
- कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना। अर्थ: समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता, सुख-दुःख आते-जाते रहते हैं। उदाहरण: जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना।
- कोयले की दलाली में हाथ काले। अर्थ: बुरे काम का बुरा नतीजा होता है या बुरी संगति का असर पड़ता है। उदाहरण: उसने चोरों का साथ दिया, तो जेल तो जाना ही था, कोयले की दलाली में हाथ काले होते ही हैं।
- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। अर्थ: अपनी असफलता या शर्मिंदगी को छिपाने के लिए दूसरों पर गुस्सा निकालना। उदाहरण: जब वह परीक्षा में फेल हो गया, तो अपनी गलती मानने के बजाय टीचर पर चिल्लाने लगा, इसे कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया। अर्थ: बहुत अधिक परिश्रम करने पर भी बहुत कम लाभ होना। उदाहरण: इस प्रोजेक्ट पर हमने महीनों काम किया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला, यह तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली बात हो गई।
- गरजने वाले बादल बरसते नहीं। अर्थ: जो व्यक्ति केवल धमकी देता है, वह कुछ करता नहीं। उदाहरण: वह हमेशा बड़ी-बड़ी बातें करता है, पर काम कुछ नहीं करता, सच है गरजने वाले बादल बरसते नहीं।
- घर का भेदी लंका ढाए। अर्थ: आपसी फूट या घर के भेद जानने वाला ही नुकसान पहुँचाता है। उदाहरण: रावण का भाई विभीषण ही उसकी हार का कारण बना, इसी को कहते हैं घर का भेदी लंका ढाए।
- चोर की दाढ़ी में तिनका। अर्थ: अपराधी स्वयं ही अपने अपराध का संकेत दे देता है। उदाहरण: जब पुलिस ने पूछताछ शुरू की, तो सबसे पहले वही घबराया, सच है चोर की दाढ़ी में तिनका।
- जल में रहकर मगर से बैर। अर्थ: किसी शक्तिशाली व्यक्ति के क्षेत्र में रहकर उससे दुश्मनी करना। उदाहरण: तुम अपने बॉस से झगड़ा मत करो, जल में रहकर मगर से बैर नहीं करते।
- जिसकी लाठी उसकी भैंस। अर्थ: शक्तिशाली व्यक्ति की ही चलती है। उदाहरण: गाँव में ज़मीन के झगड़े में वही जीता जिसके पास ताकत थी, आखिर जिसकी लाठी उसकी भैंस।
- जितनी चादर उतनी पैर फैलाओ। अर्थ: अपनी आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। उदाहरण: हमें हमेशा अपनी जितनी चादर उतनी पैर फैलाना चाहिए, वरना कर्ज में डूब जाओगे।
- दूर के ढोल सुहावने। अर्थ: दूर से चीजें अच्छी लगती हैं, पास से उनकी सच्चाई पता चलती है। उदाहरण: विदेश में नौकरी करना तुम्हें अच्छा लग रहा है, पर वहाँ की मुश्किलें नहीं जानते, दूर के ढोल सुहावने ही लगते हैं।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा। अर्थ: अपनी कमी या अयोग्यता छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना। उदाहरण: उसे खाना बनाना आता नहीं और कह रहा है कि बर्तन खराब हैं, यह तो नाच न जाने आँगन टेढ़ा वाली बात है।
- नेकी कर दरिया में डाल। अर्थ: भलाई करके भूल जाओ, बदले की उम्मीद मत करो। उदाहरण: गरीबों की मदद करके कभी एहसान मत जताओ, नेकी कर दरिया में डाल।
- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं। अर्थ: सब लोग या चीजें एक जैसी नहीं होतीं। उदाहरण: तुम अपने सभी बच्चों से एक जैसी उम्मीद मत करो, क्योंकि पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं।
- बूँद-बूँद से घड़ा भरता है। अर्थ: थोड़ा-थोड़ा करके भी बहुत कुछ जमा हो जाता है। उदाहरण: हर महीने थोड़ी-थोड़ी बचत करने से ही बड़ा फंड बनता है, आखिर बूँद-बूँद से घड़ा भरता है।
- मन चंगा तो कठौती में गंगा। अर्थ: यदि मन शुद्ध है तो तीर्थयात्रा की आवश्यकता नहीं। उदाहरण: मंदिर-मंदिर भटकने की क्या ज़रूरत है, यदि मन चंगा तो कठौती में गंगा।
- मुँह में राम बगल में छुरी। अर्थ: ऊपर से मीठा बोलना और अंदर से दुश्मनी रखना। उदाहरण: उस व्यक्ति पर भरोसा मत करो, वह तो मुँह में राम बगल में छुरी रखता है।
- यथा राजा तथा प्रजा। अर्थ: जैसा नेता होता है, वैसी ही उसकी प्रजा होती है। उदाहरण: शहर में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है, क्या करें, यथा राजा तथा प्रजा।
- लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अर्थ: दुष्ट व्यक्ति समझाने से नहीं, बल्कि दंड से ही मानता है। उदाहरण: मैंने उसे बहुत समझाया, पर वह नहीं माना, अब तो उसे सबक सिखाना पड़ेगा, क्योंकि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
- सौ सुनार की, एक लोहार की। अर्थ: कमजोर के सौ वार से शक्तिशाली का एक वार बेहतर होता है। उदाहरण: छोटे-मोटे झगड़े करने से अच्छा है कि एक बार में ही फैसला कर दो, सौ सुनार की, एक लोहार की।
- साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे। अर्थ: बिना किसी नुकसान के काम पूरा हो जाना। उदाहरण: उसने ऐसी तरकीब निकाली कि काम भी हो गया और किसी को पता भी नहीं चला, मानो साँप भी मरे और लाठी भी न टूटे।
- हाथी चले बाज़ार, कुत्ते भौंकें हज़ार। अर्थ: बड़े व्यक्ति अपने काम में लगे रहते हैं, छोटे लोगों की परवाह नहीं करते। उदाहरण: तुम अपने काम पर ध्यान दो, लोग तो बातें बनाते ही रहेंगे, हाथी चले बाज़ार, कुत्ते भौंकें हज़ार।
- होनहार बिरवान के होत चिकने पात। अर्थ: होनहार बच्चे के लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं। उदाहरण: वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज़ था, सच है होनहार बिरवान के होत चिकने पात।
- बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख। अर्थ: बिना प्रयास के कभी-कभी बड़ी चीज़ मिल जाती है, जबकि माँगने पर छोटी चीज़ भी नहीं मिलती। उदाहरण: उसे बिना इंटरव्यू दिए ही नौकरी मिल गई, जबकि मैंने बहुत कोशिश की पर कुछ नहीं मिला, यह तो वही बात हुई कि बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख।
- ढाक के तीन पात। अर्थ: स्थिति में कोई बदलाव न होना, हमेशा एक जैसी स्थिति रहना। उदाहरण: तुम कितनी भी कोशिश कर लो, उसकी हालत तो हमेशा ढाक के तीन पात ही रहती है।
- आ बैल मुझे मार। अर्थ: जानबूझकर मुसीबत मोल लेना। उदाहरण: उसने बिना सोचे-समझे उस झगड़े में हस्तक्षेप किया, मानो आ बैल मुझे मार।
- जिसका काम उसी को साजे, और करे तो डंडा बाजे। अर्थ: जो व्यक्ति जिस काम में कुशल है, वही उसे अच्छी तरह कर सकता है। उदाहरण: तुम यह काम किसी विशेषज्ञ से ही कराओ, क्योंकि जिसका काम उसी को साजे, और करे तो डंडा बाजे।
- अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत। अर्थ: समय निकल जाने के बाद पछताने से कोई लाभ नहीं होता। उदाहरण: परीक्षा में फेल होने के बाद अब रोने से क्या फायदा, अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।
- नौ नकद न तेरह उधार। अर्थ: उधार देने से अच्छा है कि कम दाम में नकद बेच दिया जाए। उदाहरण: मैंने अपनी दुकान पर हमेशा यही नियम रखा है, नौ नकद न तेरह उधार।
- एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। अर्थ: एक बुरा व्यक्ति पूरे समूह को बदनाम कर देता है। उदाहरण: उस एक छात्र की वजह से पूरे स्कूल का नाम खराब हो गया, सच है एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
- गाँव का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध। अर्थ: अपने घर में किसी की इज्जत नहीं होती, बाहर ही उसकी कद्र होती है। उदाहरण: उसे अपने शहर में कोई नहीं पूछता, पर बाहर जाकर वह बड़ा विद्वान बन गया है, यह तो गाँव का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध वाली बात है।
- घर की मुर्गी दाल बराबर। अर्थ: अपनी चीज़ या व्यक्ति का महत्व न समझना। उदाहरण: उसे अपने भाई की सलाह अच्छी नहीं लगती, पर दूसरों की सुनता है, क्योंकि घर की मुर्गी दाल बराबर होती है।
- चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए। अर्थ: अत्यधिक कंजूस होना। उदाहरण: वह इतना कंजूस है कि उसकी तो चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
- छोटा मुँह बड़ी बात। अर्थ: अपनी हैसियत से बढ़कर बात करना। उदाहरण: एक छोटे बच्चे के मुँह से ऐसी बात सुनकर लगा, छोटा मुँह बड़ी बात।
- जहाँ चाह वहाँ राह। अर्थ: यदि कुछ करने की इच्छा हो तो रास्ता मिल ही जाता है। उदाहरण: उसने अपनी लगन से असंभव को संभव कर दिखाया, सच है जहाँ चाह वहाँ राह।
- ढाक के तीन पात। अर्थ: स्थिति में कोई बदलाव न होना, हमेशा एक जैसी स्थिति रहना। उदाहरण: तुम कितनी भी कोशिश कर लो, उसकी हालत तो हमेशा ढाक के तीन पात ही रहती है।
- तीन लोक से मथुरा न्यारी। अर्थ: सबसे अलग या अनोखी चीज़। उदाहरण: उसकी बातें तो हमेशा तीन लोक से मथुरा न्यारी होती हैं।
- धोबी का कुत्ता घर का न घाट का। अर्थ: कहीं का न रहना। उदाहरण: नौकरी छोड़ने के बाद उसे कहीं काम नहीं मिला, वह तो धोबी का कुत्ता घर का न घाट का हो गया।
- न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। अर्थ: झगड़े की जड़ को ही खत्म कर देना। उदाहरण: बच्चों के झगड़े खत्म करने के लिए मैंने खिलौना ही हटा दिया, ताकि न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
- बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी। अर्थ: मुसीबत कब तक टलेगी, कभी न कभी तो आनी ही है। उदाहरण: वह कब तक पुलिस से बचता रहेगा, बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी।
- भागते भूत की लंगोटी ही सही। अर्थ: कुछ न मिलने से अच्छा है कि थोड़ा बहुत मिल जाए। उदाहरण: व्यापार में घाटा हो रहा था, जो भी मिला, ले लिया, सोचा भागते भूत की लंगोटी ही सही।
- मान न मान, मैं तेरा मेहमान। अर्थ: जबरदस्ती किसी के यहाँ मेहमान बन जाना। उदाहरण: वह बिना बुलाए ही आ गया और कहने लगा, मान न मान, मैं तेरा मेहमान।
- मुसीबत मोल लेना। अर्थ: जानबूझकर परेशानी खड़ी करना। उदाहरण: उस झगड़े में पड़कर तुमने मुसीबत मोल ले ली।
- लोहे को लोहा काटता है। अर्थ: शक्तिशाली को शक्तिशाली ही हरा सकता है। उदाहरण: उस पहलवान को हराने के लिए तुम्हें उससे भी ताकतवर पहलवान लाना होगा, क्योंकि लोहे को लोहा काटता है।
- सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है। अर्थ: जिसे एक बार सुख मिल जाए, उसे हमेशा सुख ही सुख दिखता है। उदाहरण: वह हमेशा खुश रहता है और दूसरों की परेशानियों को नहीं समझता, जैसे सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है।
- सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। अर्थ: जीवन भर बुरे काम करके अंत में धर्मात्मा बनने का दिखावा करना। उदाहरण: वह जीवन भर बेईमानी करता रहा और अब दान-पुण्य कर रहा है, यह तो सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली वाली बात है।
- हाथ कंगन को आरसी क्या। अर्थ: प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण: उसकी ईमानदारी तो सब जानते हैं, उसे साबित करने की क्या ज़रूरत, हाथ कंगन को आरसी क्या।
- हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए। अर्थ: बिना किसी खर्च या मेहनत के अच्छा परिणाम मिलना। उदाहरण: उसने बिना किसी लागत के यह व्यापार शुरू किया और खूब कमाया, इसे कहते हैं हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए।
- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। अर्थ: अकेला व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता। उदाहरण: तुम अकेले इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर सकते, क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
- आँख का अंधा, नाम नयनसुख। अर्थ: गुण के विपरीत नाम होना। उदाहरण: वह तो बिल्कुल मूर्ख है और उसका नाम है ‘ज्ञानी’, यह तो आँख का अंधा, नाम नयनसुख वाली बात हुई।
- ऊँची दुकान फीके पकवान। अर्थ: दिखावा अधिक और गुणवत्ता कम होना। उदाहरण: उस बड़े होटल का नाम तो बहुत है, पर खाना अच्छा नहीं है, यह तो ऊँची दुकान फीके पकवान वाली बात है।
- कौवा चला हंस की चाल। अर्थ: कोई व्यक्ति दूसरों की नकल करके अपनी पहचान खो देता है। उदाहरण: उसने अमीर बनने के चक्कर में अपनी सादगी छोड़ दी, अब तो वह कौवा चला हंस की चाल जैसा हो गया है।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया। अर्थ: बहुत परिश्रम करने पर भी बहुत कम लाभ होना। उदाहरण: पूरे दिन काम करने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिला, यह तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली बात हुई।
- गरीब की जोरू सबकी भाभी। अर्थ: कमजोर व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं करता। उदाहरण: उसकी हालत खराब होने पर सब उसे सलाह देने लगे, सच है गरीब की जोरू सबकी भाभी।
- चोर चोर मौसेरे भाई। अर्थ: एक जैसे बुरे स्वभाव वाले लोग आपस में मिल जाते हैं। उदाहरण: वे दोनों मिलकर धोखाधड़ी करते हैं, क्योंकि चोर चोर मौसेरे भाई होते हैं।
- जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि। अर्थ: कवि की कल्पना शक्ति बहुत दूर तक जाती है। उदाहरण: उसकी कविताएँ इतनी गहरी थीं कि लगा जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि।
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ढाक के तीन पात।
अर्थ: स्थिति में कोई बदलाव न होना, हमेशा एक जैसी स्थिति रहना।
उदाहरण: तुम कितनी भी कोशिश कर लो, उसकी हालत तो हमेशा ढाक के तीन पात ही रहती है। - तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर। अर्थ: अपनी क्षमता के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। उदाहरण: हमेशा अपनी आय देखकर ही खर्च करो, क्योंकि तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।
- दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है। अर्थ: एक बार धोखा खाने वाला व्यक्ति हर काम सावधानी से करता है। उदाहरण: व्यापार में घाटा होने के बाद वह हर कदम सावधानी से उठाता है, क्योंकि दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा। अर्थ: अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना। उदाहरण: उसे क्रिकेट खेलना आता नहीं और कह रहा है कि पिच खराब है, यह तो नाच न जाने आँगन टेढ़ा वाली बात है।
- पाँव भर की हाँडी, नौ मन का मसाला। अर्थ: छोटी सी चीज़ के लिए बहुत अधिक खर्च या तैयारी करना। उदाहरण: छोटी सी पार्टी के लिए उसने लाखों खर्च कर दिए, यह तो पाँव भर की हाँडी, नौ मन का मसाला है।
- बिल्ली के भागों छींका टूटा। अर्थ: अचानक बिना किसी प्रयास के लाभ हो जाना। उदाहरण: उसे बिना तैयारी के ही नौकरी मिल गई, मानो बिल्ली के भागों छींका टूटा।
- भैंस के आगे बीन बजाना। अर्थ: मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देना व्यर्थ है। उदाहरण: उसे समझाना बेकार है, यह तो भैंस के आगे बीन बजाना है।
- मुँह काला करना। अर्थ: बदनाम होना या कोई बुरा काम करना। उदाहरण: गलत काम करके उसने अपना मुँह काला कर लिया।
- रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई। अर्थ: सब कुछ नष्ट होने पर भी घमंड न जाना। उदाहरण: उसका व्यापार डूब गया, पर उसका घमंड अभी भी वैसा ही है, रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई।
- साँप को दूध पिलाना। अर्थ: दुष्ट व्यक्ति का भला करना। उदाहरण: तुमने उस धोखेबाज की मदद करके साँप को दूध पिलाया है।
- हथेली पर सरसों जमाना। अर्थ: असंभव कार्य को संभव करना। उदाहरण: इतनी जल्दी यह काम पूरा करना तो हथेली पर सरसों जमाने जैसा है।
- हाथ कंगन को आरसी क्या। अर्थ: प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण: उसकी ईमानदारी तो जगजाहिर है, हाथ कंगन को आरसी क्या।
- हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए। अर्थ: बिना किसी खर्च या मेहनत के अच्छा परिणाम मिलना। उदाहरण: उसने बिना किसी लागत के यह व्यापार शुरू किया और खूब कमाया, इसे कहते हैं हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए।
- अंधा क्या चाहे दो आँखें। अर्थ: जिसे जिस चीज़ की सबसे अधिक आवश्यकता हो, वही मिल जाना। उदाहरण: मुझे नौकरी की सख्त ज़रूरत थी और मुझे वही मिल गई, यह तो अंधा क्या चाहे दो आँखें वाली बात हुई।
- आँखों देखा हाल। अर्थ: स्वयं देखा हुआ विवरण। उदाहरण: मैंने दुर्घटना का आँखों देखा हाल बताया।
- ऊँट पहाड़ के नीचे। अर्थ: किसी बड़े के सामने छोटे का महत्व कम होना। उदाहरण: जब वह बड़े अधिकारी से मिला, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, मानो ऊँट पहाड़ के नीचे आ गया हो।
- कौड़ी के तीन। अर्थ: बहुत सस्ता होना, महत्वहीन होना। उदाहरण: आजकल बाज़ार में यह सामान कौड़ी के तीन बिक रहा है।
- गरीब की जोरू सबकी भाभी। अर्थ: कमजोर व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं करता। उदाहरण: उसकी हालत खराब होने पर सब उसे सलाह देने लगे, सच है गरीब की जोरू सबकी भाभी।
- चोर की दाढ़ी में तिनका। अर्थ: अपराधी स्वयं ही अपने अपराध का संकेत दे देता है। उदाहरण: जब पुलिस ने पूछताछ शुरू की, तो सबसे पहले वही घबराया, सच है चोर की दाढ़ी में तिनका।
- जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि। अर्थ: कवि की कल्पना शक्ति बहुत दूर तक जाती है। उदाहरण: उसकी कविताएँ इतनी गहरी थीं कि लगा जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि।
- ढाक के तीन पात। अर्थ: स्थिति में कोई बदलाव न होना, हमेशा एक जैसी स्थिति रहना। उदाहरण: तुम कितनी भी कोशिश कर लो, उसकी हालत तो हमेशा ढाक के तीन पात ही रहती है।
- तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर। अर्थ: अपनी क्षमता के अनुसार ही खर्च करना चाहिए। उदाहरण: हमेशा अपनी आय देखकर ही खर्च करो, क्योंकि तेते पाँव पसारिए, जेती लांबी सौर।
- दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है। अर्थ: एक बार धोखा खाने वाला व्यक्ति हर काम सावधानी से करता है। उदाहरण: व्यापार में घाटा होने के बाद वह हर कदम सावधानी से उठाता है, क्योंकि दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँक कर पीता है।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा। अर्थ: अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ना। उदाहरण: उसे क्रिकेट खेलना आता नहीं और कह रहा है कि पिच खराब है, यह तो नाच न जाने आँगन टेढ़ा वाली बात है।
- पाँव भर की हाँडी, नौ मन का मसाला। अर्थ: छोटी सी चीज़ के लिए बहुत अधिक खर्च या तैयारी करना। उदाहरण: छोटी सी पार्टी के लिए उसने लाखों खर्च कर दिए, यह तो पाँव भर की हाँडी, नौ मन का मसाला है।
- बिल्ली के भागों छींका टूटा। अर्थ: अचानक बिना किसी प्रयास के लाभ हो जाना। उदाहरण: उसे बिना तैयारी के ही नौकरी मिल गई, मानो बिल्ली के भागों छींका टूटा।
- भैंस के आगे बीन बजाना। अर्थ: मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देना व्यर्थ है। उदाहरण: उसे समझाना बेकार है, यह तो भैंस के आगे बीन बजाना है।
- मुँह काला करना। अर्थ: बदनाम होना या कोई बुरा काम करना। उदाहरण: गलत काम करके उसने अपना मुँह काला कर लिया।
- रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई। अर्थ: सब कुछ नष्ट होने पर भी घमंड न जाना। उदाहरण: उसका व्यापार डूब गया, पर उसका घमंड अभी भी वैसा ही है, रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई।
- साँप को दूध पिलाना। अर्थ: दुष्ट व्यक्ति का भला करना। उदाहरण: तुमने उस धोखेबाज की मदद करके साँप को दूध पिलाया है।
- हथेली पर सरसों जमाना। अर्थ: असंभव कार्य को संभव करना। उदाहरण: इतनी जल्दी यह काम पूरा करना तो हथेली पर सरसों जमाने जैसा है।
- हाथ कंगन को आरसी क्या। अर्थ: प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण: उसकी ईमानदारी तो जगजाहिर है, हाथ कंगन को आरसी क्या।
- हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए। अर्थ: बिना किसी खर्च या मेहनत के अच्छा परिणाम मिलना। उदाहरण: उसने बिना किसी लागत के यह व्यापार शुरू किया और खूब कमाया, इसे कहते हैं हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा आए।
निष्कर्ष
लोकोक्तियाँ हिंदी भाषा की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये भाषा को गहराई, अर्थ और प्रभाव प्रदान करती हैं। इनका सही प्रयोग लेखन और मौखिक संचार दोनों को अधिक सशक्त बनाता है।