कंप्यूटर: परिचय और इतिहास
कंप्यूटर क्या है?
‘कम्प्यूटर’ शब्द लैटिन भाषा के ‘computare’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गणना करना’। यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो डेटा को इनपुट के रूप में स्वीकार करता है, उसे दिए गए निर्देशों (प्रोग्राम) के अनुसार प्रोसेस करता है और परिणाम (आउटपुट) प्रदान करता है।
इतिहास और महत्वपूर्ण आविष्कारक
अबेकस (Abacus)
लगभग 3000 ईसा पूर्व चीन में विकसित, अबेकस को विश्व का पहला गणना यंत्र माना जाता है। यह एक यांत्रिक उपकरण था जिसका उपयोग अंकगणितीय गणनाओं के लिए किया जाता था।
पास्कलाइन (Pascaline)
1642 में ब्लेज़ पास्कल द्वारा बनाया गया, पास्कलाइन पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। यह केवल जोड़ और घटा सकता था।
एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine)
1837 में चार्ल्स बैबेज द्वारा इसकी अवधारणा दी गई थी। इसे आधुनिक कम्प्यूटर का पूर्वज माना जाता है क्योंकि इसमें इनपुट, प्रोसेस, स्टोर और आउटपुट की अवधारणा शामिल थी। इसी कारण बैबेज को ‘कम्प्यूटर का जनक’ कहा जाता है।
मार्क-1 (Mark-I)
1944 में हावर्ड एकेन द्वारा निर्मित, यह विश्व का पहला पूर्ण स्वचालित विद्युत-यांत्रिक (electro-mechanical) गणना यंत्र था।
ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer)
1946 में जे.पी. एकर्ट और जॉन मॉचली द्वारा निर्मित, यह पहला पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर था। इसने कंप्यूटING के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया।
कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली
कम्प्यूटर मुख्य रूप से चार चरणों में कार्य करता है:
- इनपुट (Input): की-बोर्ड, माउस आदि उपकरणों द्वारा डेटा और निर्देशों को स्वीकार करना।
- प्रोसेसिंग (Processing): इनपुट किए गए डेटा पर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) द्वारा निर्देशों के अनुसार अंकगणितीय और तार्किक गणनाएँ करना।
- आउटपुट (Output): प्रोसेस किए गए डेटा को उपयोगी जानकारी के रूप में मॉनिटर, प्रिंटर आदि पर दिखाना।
- स्टोरेज (Storage): डेटा और जानकारी को भविष्य के उपयोग के लिए स्थायी या अस्थायी रूप से संग्रहीत करना।
कम्प्यूटर का वर्गीकरण
1. कार्य पद्धति के आधार पर
- एनालॉग कम्प्यूटर (Analog Computer): ये भौतिक मात्राओं (जैसे दाब, तापमान) को मापने का कार्य करते हैं। उदाहरण: स्पीडोमीटर, भूकंप सूचक यंत्र।
- डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer): ये बाइनरी अंकों (0 और 1) पर कार्य करते हैं। आजकल प्रयुक्त अधिकांश कंप्यूटर डिजिटल होते हैं।
- हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer): इनमें एनालॉग और डिजिटल दोनों कम्प्यूटरों के गुण होते हैं। उदाहरण: ECG मशीन, डायलिसिस मशीन।
2. आकार और कार्यक्षमता के आधार पर
- माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer): इन्हें PC (Personal Computer) भी कहा जाता है। उदाहरण: डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट।
- मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer): ये माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े और अधिक शक्तिशाली होते हैं। इनका उपयोग सर्वर के रूप में होता है।
- मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer): इनका उपयोग बड़ी कंपनियों, बैंकों द्वारा बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है।
- सुपर कम्प्यूटर (Super Computer): ये सबसे अधिक शक्तिशाली होते हैं। इनका उपयोग मौसम की भविष्यवाणी, वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे जटिल कार्यों के लिए किया जाता है।
कम्प्यूटर की विशेषताएँ और सीमाएँ
विशेषताएँ (Characteristics)
- गति (Speed): अत्यंत तीव्र गति से गणनाएँ कर सकता है।
- सटीकता (Accuracy): बिना किसी त्रुटि के 100% सही परिणाम देता है।
- भंडारण क्षमता (Storage Capacity): विशाल मात्रा में डेटा को संग्रहीत कर सकता है।
- बहुमुखी प्रतिभा (Versatility): विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम है।
- कर्मठता (Diligence): बिना थके या बोर हुए लगातार काम कर सकता है।
सीमाएँ (Limitations)
- बुद्धिमत्ता की कमी (No IQ): कम्प्यूटर स्वयं कुछ नहीं सोच सकता, यह केवल दिए गए निर्देशों का पालन करता है।
- भावनाओं का अभाव (No Feelings): इसमें मानवीय भावनाएँ या सहज ज्ञान नहीं होता है।
- आत्म-रक्षा में अक्षम (Incapable of Self-Protection): इसे वायरस और साइबर हमलों से बचाने के लिए उपयोगकर्ता पर निर्भर रहना पड़ता है।
- चार्ल्स बैबेज: इन्हें ‘कंप्यूटर का जनक’ कहा जाता है।
- लेडी एडा लवलेस: इन्हें ‘दुनिया की पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर’ माना जाता है।