IP एड्रेस और डोमेन नेम
IP एड्रेस (Internet Protocol Address)
IP एड्रेस नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक डिवाइस (जैसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सर्वर) का एक अनूठा संख्यात्मक पता (unique numerical address) होता है। इसका उपयोग नेटवर्क पर डिवाइसों की पहचान करने और उनके बीच डेटा संचार करने के लिए किया जाता है।
- IPv4 (Internet Protocol version 4): यह 32-बिट का पता होता है। इसे चार संख्याओं के समूह के रूप में लिखा जाता है, जिन्हें डॉट (.) से अलग किया जाता है।
उदाहरण: 192.168.1.1 - IPv6 (Internet Protocol version 6): IPv4 पतों की कमी के कारण इसे विकसित किया गया। यह 128-बिट का पता होता है और इसे हेक्साडेसिमल अंकों में लिखा जाता है, जिन्हें कोलन (:) से अलग किया जाता है।
उदाहरण: 2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334
डोमेन नेम सिस्टम (Domain Name System – DNS)
DNS को “इंटरनेट की फोनबुक” भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य मानव-पठनीय डोमेन नामों (जैसे gyanpragya.com) को मशीन-पठनीय IP पतों (जैसे 172.217.167.78) में अनुवादित (translate) करना है।
चूंकि मनुष्यों के लिए संख्यात्मक IP पतों को याद रखना मुश्किल होता है, इसलिए हम डोमेन नामों का उपयोग करते हैं। जब आप ब्राउज़र में एक डोमेन नेम टाइप करते हैं, तो DNS उस नाम से जुड़े IP एड्रेस को ढूंढता है और आपके कंप्यूटर को सही सर्वर से जोड़ता है।
डोमेन नेम (Domain Name)
डोमेन नेम एक वेबसाइट का विशिष्ट नाम होता है जिसे उपयोगकर्ता वेब ब्राउज़र में टाइप करते हैं।
- टॉप-लेवल डोमेन (Top-Level Domain – TLD): यह डोमेन नेम का अंतिम भाग होता है। यह वेबसाइट के उद्देश्य या भौगोलिक स्थिति को इंगित करता है।
उदाहरण:- .com (Commercial – व्यावसायिक)
- .gov (Government – सरकारी)
- .edu (Education – शैक्षणिक)
- .org (Organization – संगठन)
- .in (India – भारत)