भुगतान संतुलन (Balance of Payments – BoP)
परिभाषा: भुगतान संतुलन (BoP) किसी देश के निवासियों और शेष विश्व के बीच एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) में हुए सभी आर्थिक लेन-देन का एक व्यवस्थित विवरण है। यह देश के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। BoP में हमेशा संतुलन होता है, जिसका अर्थ है कि सभी डेबिट (भुगतान) और क्रेडिट (प्राप्तियां) का योग शून्य होना चाहिए।
भुगतान संतुलन के घटक
1. चालू खाता (Current Account)
यह वस्तुओं, सेवाओं और एकतरफा हस्तांतरण के प्रवाह को रिकॉर्ड करता है। यह देश की अल्पकालिक आय और व्यय को दर्शाता है।
- वस्तुओं का व्यापार (Trade in Goods): इसे ‘दृश्य व्यापार’ (Visible Trade) भी कहते हैं। इसमें वस्तुओं के आयात और निर्यात का संतुलन होता है, जिसे व्यापार संतुलन (Balance of Trade) कहते हैं।
- सेवाओं का व्यापार (Trade in Services): इसे ‘अदृश्य व्यापार’ (Invisible Trade) कहते हैं। इसमें आईटी सेवाएं, पर्यटन, परिवहन जैसी सेवाओं का आयात-निर्यात शामिल है। भारत का सेवा व्यापार आमतौर पर अधिशेष (surplus) में रहता है।
- एकतरफा हस्तांतरण (Unilateral Transfers): इसमें उपहार, दान और प्रेषण (remittances) शामिल हैं। भारत दुनिया में प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।
चालू खाता घाटा (Current Account Deficit – CAD): जब चालू खाते पर कुल डेबिट (भुगतान) कुल क्रेडिट (प्राप्तियों) से अधिक हो जाता है।
2. पूंजी खाता (Capital Account)
यह देश में और देश से बाहर पूंजी के प्रवाह को रिकॉर्ड करता है। यह दीर्घकालिक लेन-देन से संबंधित है।
- विदेशी निवेश: इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) शामिल हैं।
- ऋण (Loans): इसमें बाहरी वाणिज्यिक उधार (ECBs) और अन्य सरकारी और निजी ऋण शामिल हैं।
- बैंकिंग पूंजी: इसमें अनिवासी भारतीयों (NRIs) की जमा राशि शामिल है।
चालू खाता और पूंजी खाता के बीच अंतर
| आधार | चालू खाता (Current Account) | पूंजी खाता (Capital Account) |
|---|---|---|
| अर्थ | यह वस्तुओं, सेवाओं और हस्तांतरण के प्रवाह को रिकॉर्ड करता है। | यह पूंजीगत लेन-देन जैसे निवेश और ऋण को रिकॉर्ड करता है। |
| अवधारणा | यह एक ‘प्रवाह’ (Flow) अवधारणा है, जो एक अवधि के दौरान लेन-देन को मापता है। | यह एक ‘स्टॉक’ (Stock) अवधारणा है, जो एक निश्चित समय पर देश की संपत्ति और देनदारियों को प्रभावित करता है। |
| प्रभाव | यह देश की राष्ट्रीय आय को सीधे प्रभावित करता है। | यह देश की पूंजी और संपत्ति की स्थिति को प्रभावित करता है। |
भुगतान संतुलन से संबंधित चुनौतियाँ
- तेल आयात पर निर्भरता: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में वृद्धि सीधे भारत के आयात बिल को बढ़ाती है, जिससे चालू खाता घाटा (CAD) बढ़ता है।
- मुद्रा का अवमूल्यन: वैश्विक अनिश्चितताओं या घरेलू कारकों के कारण रुपये के मूल्य में गिरावट से आयात और महंगा हो जाता है, जिससे CAD पर और दबाव पड़ता है।
- वैश्विक अस्थिरता: वैश्विक मंदी या भू-राजनीतिक तनाव (जैसे युद्ध) भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं और विदेशी निवेश (विशेषकर FPI) के बहिर्वाह का कारण बन सकते हैं, जिससे BoP पर दबाव पड़ता है।
भुगतान संतुलन सुधार के उपाय
- निर्यात को बढ़ावा: ‘मेक इन इंडिया’ और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं के माध्यम से घरेलू विनिर्माण और निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाना।
- आयात प्रतिस्थापन: गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात को कम करना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
- विदेशी निवेश आकर्षित करना: व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) में सुधार करके और एक स्थिर नीतिगत वातावरण प्रदान करके दीर्घकालिक FDI को आकर्षित करना।
- प्रेषण (Remittances) को सुगम बनाना: प्रवासियों के लिए अपने देश में पैसा भेजना आसान और सस्ता बनाना।
अभ्यास प्रश्न (MCQs)
1. भुगतान संतुलन (BoP) में ‘अदृश्य व्यापार’ (Invisible Trade) का संबंध किससे है?
2. निम्नलिखित में से कौन सा पूंजी खाते का एक घटक है?
3. चालू खाता घाटा (CAD) कब होता है?
4. भारत के भुगतान संतुलन में, निम्नलिखित में से कौन सा आइटम आमतौर पर अधिशेष (surplus) में रहता है?
5. भारत का भुगतान संतुलन का रिकॉर्ड कौन रखता है?
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1: भुगतान संतुलन के चालू खाते और पूंजी खाते के बीच अंतर स्पष्ट करें। भारत के चालू खाता घाटे (CAD) के प्रबंधन में सेवा निर्यात और प्रेषण की भूमिका का विश्लेषण करें। (250 शब्द)