बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman)
परिभाषा: बैंकिंग लोकपाल एक वरिष्ठ अधिकारी होता है जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नियुक्त किया जाता है ताकि वह बैंकिंग सेवाओं से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का समाधान कर सके। यह एक अर्ध-न्यायिक संस्था है जो ग्राहकों की शिकायतों का तेज, सरल और नि:शुल्क समाधान प्रदान करती है।
स्थापना और वर्तमान योजना
स्थापना और कानूनी आधार
बैंकिंग लोकपाल योजना को पहली बार 1995 में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35A के तहत लागू किया गया था।
RBI एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 (RBI Integrated Ombudsman Scheme – RB-IOS)
नवंबर 2021 में, RBI ने तीन पूर्ववर्ती लोकपाल योजनाओं (बैंकिंग लोकपाल, NBFC लोकपाल, और डिजिटल लेन-देन लोकपाल) को एकीकृत करके एक केंद्रीकृत योजना शुरू की। इसका मुख्य विषय ‘एक राष्ट्र, एक लोकपाल’ (One Nation, One Ombudsman) है।
- उद्देश्य: ग्राहकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र को सरल और अधिक प्रभावी बनाना।
एकीकृत लोकपाल योजना का कार्यक्षेत्र
यह योजना निम्नलिखित संस्थाओं से संबंधित शिकायतों को कवर करती है:
- सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs), और अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs)।
- प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट जारीकर्ता और अन्य भुगतान प्रणाली सहभागी।
शिकायतों के प्रकार
ग्राहक विभिन्न प्रकार की सेवा संबंधी कमियों के लिए शिकायत कर सकते हैं, जैसे:
- चेक, ड्राफ्ट के भुगतान या संग्रह में देरी।
- क्रेडिट/डेबिट कार्ड से संबंधित मुद्दे।
- डिजिटल भुगतान (मोबाइल/इंटरनेट बैंकिंग) में विफलता।
- बिना किसी वैध कारण के ऋण आवेदन को अस्वीकार करना।
- RBI के निर्देशों का पालन न करना।
शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
- पहला कदम: ग्राहक को पहले संबंधित बैंक/संस्था के पास लिखित रूप में अपनी शिकायत दर्ज करानी होगी।
- दूसरा कदम: यदि बैंक 30 दिनों के भीतर जवाब नहीं देता है, या ग्राहक बैंक के जवाब से संतुष्ट नहीं है, तो वह लोकपाल से संपर्क कर सकता है।
- कैसे शिकायत करें: शिकायत RBI के केंद्रीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (CMS) पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) पर ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है।
योजना के प्रमुख प्रावधान
- केंद्रीकृत प्रसंस्करण: सभी शिकायतें चंडीगढ़ में स्थापित एक केंद्रीकृत प्राप्ति और प्रसंस्करण केंद्र (CRPC) द्वारा प्राप्त और संसाधित की जाती हैं।
- मुआवजा: लोकपाल शिकायतकर्ता को हुए नुकसान के लिए ₹20 लाख तक का मुआवजा दे सकता है। इसके अतिरिक्त, मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए ₹1 लाख तक का अतिरिक्त मुआवजा दिया जा सकता है।