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बैंकिंग सुधार: समितियां और उनकी सिफारिशें

बैंकिंग सुधार (Banking Reforms)

भारतीय बैंकिंग प्रणाली को मजबूत, पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और समावेशी बनाने के उद्देश्य से समय-समय पर किए गए नीतिगत परिवर्तनों को बैंकिंग सुधार कहा जाता है। इन सुधारों को विभिन्न समितियों की सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया है।

लीड बैंक योजना (Lead Bank Scheme)

शुरुआत: इस योजना की शुरुआत 1969 में नरीमन समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।

उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक जिले में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार और समन्वय के लिए एक बैंक को ‘लीड’ यानी नेतृत्व की भूमिका सौंपना था, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा सके।

नरसिंहम समिति की सिफारिशें

पहली समिति (1991)

1991 के आर्थिक संकट की पृष्ठभूमि में, भारतीय बैंकिंग प्रणाली को अधिक कुशल और लाभदायक बनाने के लिए एम. नरसिंहम की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया।

  • मुख्य सिफारिशें:
    • SLR और CRR में कमी: सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) और नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को धीरे-धीरे कम करना ताकि बैंकों के पास ऋण देने के लिए अधिक धन उपलब्ध हो।
    • ब्याज दरों का विनियमन समाप्त करना: ब्याज दरों को बाजार की ताकतों पर छोड़ने का सुझाव।
    • बैंकों का पुनर्गठन: बैंकों की 4-स्तरीय संरचना का सुझाव, जिसमें 3-4 बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल हों।
    • संपत्ति पुनर्निर्माण कोष (Asset Reconstruction Fund): बैंकों के खराब ऋणों (NPAs) से निपटने के लिए एक विशेष संस्था की स्थापना।

दूसरी समिति (1998)

पहली समिति के सुधारों की प्रगति की समीक्षा करने और बैंकिंग क्षेत्र को और मजबूत बनाने के लिए इस समिति का गठन किया गया।

  • मुख्य सिफारिशें:
    • बैंकों का विलय: बड़े और मजबूत बैंक बनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का सुझाव।
    • पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) में वृद्धि: बैंकों के लिए जोखिम भारित संपत्ति के अनुपात को बढ़ाना।
    • गैर-निष्पादित आस्तियों (NPAs) का प्रबंधन: NPAs के प्रबंधन के लिए अधिक प्रभावी तंत्र बनाना।

अन्य प्रमुख समितियाँ

उर्जित पटेल समिति (2013)

  • उद्देश्य: मौद्रिक नीति ढांचे की समीक्षा और मजबूती।
  • प्रमुख सिफारिश: मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (Inflation Targeting) को मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य बनाना और इसके लिए एक मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन करना।

नचिकेत मोर समिति (2013)

  • उद्देश्य: छोटे व्यवसायों और कम आय वाले परिवारों के लिए वित्तीय सेवाओं का विस्तार (वित्तीय समावेशन)।
  • प्रमुख सिफारिश: पेमेंट बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक जैसे विभेदित बैंकों (Differentiated Banks) की स्थापना का सुझाव।

विमल जालान समिति (2019)

  • उद्देश्य: RBI के आर्थिक पूंजी ढांचे (Economic Capital Framework) की समीक्षा करना।
  • प्रमुख सिफारिश: RBI के पास कितना अधिशेष भंडार (Surplus Reserves) होना चाहिए और उसे सरकार को कितना हस्तांतरित करना चाहिए, इसके लिए नियम निर्धारित किए।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. लीड बैंक योजना की शुरुआत किस समिति की सिफारिश पर की गई थी?
  • (a) नरसिंहम समिति
  • (b) नरीमन समिति
  • (c) उर्जित पटेल समिति
  • (d) विमल जालान समिति
2. 1991 की नरसिंहम समिति-I का मुख्य उद्देश्य क्या था?
  • (a) वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
  • (b) बैंकिंग प्रणाली को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाना।
  • (c) मौद्रिक नीति ढांचे में सुधार करना।
  • (d) RBI के अधिशेष भंडार का प्रबंधन करना।
3. मौद्रिक नीति समिति (MPC) के गठन की सिफारिश किस समिति ने की थी?
  • (a) नचिकेत मोर समिति
  • (b) नरसिंहम समिति-II
  • (c) उर्जित पटेल समिति
  • (d) विमल जालान समिति
4. ‘पेमेंट बैंक’ और ‘स्मॉल फाइनेंस बैंक’ की अवधारणा किस समिति की देन है?
  • (a) उर्जित पटेल समिति
  • (b) नचिकेत मोर समिति
  • (c) लीड बैंक योजना
  • (d) नरसिंहम समिति-I
5. नरसिंहम समिति-II (1998) की एक प्रमुख सिफारिश क्या थी?
  • (a) ब्याज दरों का विनियमन समाप्त करना।
  • (b) CRR और SLR को बढ़ाना।
  • (c) बड़े और मजबूत बैंक बनाने के लिए बैंकों का विलय।
  • (d) लीड बैंक योजना को समाप्त करना।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1: 1991 के बाद से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में हुए सुधारों में नरसिंहम समिति की दोनों रिपोर्टों के योगदान का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
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