परिचय: भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं
भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जिसकी अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं। यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन साथ ही यह कृषि पर निर्भरता, जनसंख्या दबाव और आय की असमानता जैसी चुनौतियों का भी सामना करती है। इन विशेषताओं को समझना प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. कृषि पर निर्भरता (Dependence on Agriculture)
आजादी के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान में कमी आई है, लेकिन आज भी यह रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत है।
- रोजगार: भारत की लगभग 47% कार्यशील जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है।
- GVA में योगदान: 2023-24 के आँकड़ों के अनुसार, कृषि का सकल मूल्य वर्धन (GVA) में योगदान लगभग 18% है।
- उत्पादन: भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक तथा चावल और गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
2. जनसांख्यिकीय विशेषताएं (Demographic Features)
भारत की जनसंख्या इसकी एक प्रमुख विशेषता और चुनौती दोनों है।
- विशाल जनसंख्या: 2024-25 तक भारत की जनसंख्या 1.4 अरब से अधिक हो चुकी है, जो इसे दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनाती है।
- जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend): भारत की एक बड़ी विशेषता इसकी युवा आबादी है। यहाँ की लगभग 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। यह विशाल कार्यशील जनसंख्या आर्थिक विकास के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करती है।
3. मिश्रित अर्थव्यवस्था का स्वरूप (Nature of Mixed Economy)
भारत ने एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल अपनाया है, जिसमें समाजवादी और पूंजीवादी दोनों प्रणालियों के तत्व शामिल हैं।
- सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का सह-अस्तित्व: यहाँ एक ओर रेलवे, रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र सरकार के अधीन हैं, वहीं दूसरी ओर सूचना प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में निजी कंपनियों की प्रमुख भूमिका है।
- उदारीकरण का प्रभाव: 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से, अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की भूमिका लगातार बढ़ी है, जिससे प्रतिस्पर्धा और विकास को बढ़ावा मिला है।
4. उच्च जीडीपी एवं निम्न प्रति व्यक्ति आय
यह भारतीय अर्थव्यवस्था का एक विरोधाभासी लेकिन महत्वपूर्ण पहलू है।
- उच्च जीडीपी: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आकार के मामले में, भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसकी GDP लगभग $4.3 ट्रिलियन है।
- निम्न प्रति व्यक्ति आय: विशाल जनसंख्या के कारण, भारत की प्रति व्यक्ति आय अभी भी काफी कम है। 2024-25 के अनुमानों के अनुसार, यह लगभग ₹2,15,000 (लगभग $2,800) प्रति वर्ष है, जो कई विकसित और विकासशील देशों से कम है।
5. पूंजी निर्माण और विदेशी पूंजी पर निर्भरता
- पूंजी निर्माण: आर्थिक विकास के लिए उच्च पूंजी निर्माण दर आवश्यक है। भारत में सकल स्थायी पूंजी निर्माण (GFCF) जीडीपी का लगभग 29-30% है, जिसे विकास की गति बढ़ाने के लिए और अधिक करने की आवश्यकता है।
- विदेशी पूंजी: विकास परियोजनाओं और तकनीकी उन्नयन के लिए भारत विदेशी पूंजी, विशेष रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर निर्भर करता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत में लगभग $81.04 बिलियन का FDI आया।
6. आय की असमानता (Income Inequality)
तेज आर्थिक विकास के बावजूद, भारत में आय और धन का वितरण अत्यधिक असमान है। ऑक्सफैम (Oxfam) जैसी रिपोर्टों के अनुसार, भारत के शीर्ष 1% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40% से अधिक हिस्सा है, जो एक बड़ी सामाजिक और आर्थिक चुनौती है।
अभ्यास प्रश्न (MCQs)
कारण R: 1991 में भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीति अपनाई।