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कोर बैंकिंग (Core Banking)

परिभाषा (Definition)

कोर बैंकिंग (Core Banking) एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से एक बैंक की सभी शाखाएँ एक ही नेटवर्क से जुड़ी होती हैं और ग्राहकों को किसी भी शाखा से सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं।

  • कोर बैंकिंग का मतलब है “सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन रियल-टाइम एक्सचेंज” (Centralized Online Real-Time Exchange)।
  • कोर बैंकिंग सॉफ़्टवेयर बैंकों को डेटा को केंद्रीकृत करने और तेज़ सेवाएँ प्रदान करने में मदद करता है।

कोर बैंकिंग का परिचय (Introduction to Core Banking)

  1. शुरुआत:
    • भारत में कोर बैंकिंग की शुरुआत 1990 के दशक में हुई।
    • इसका उद्देश्य बैंकों की शाखाओं को डिजिटल नेटवर्क पर लाना था।
  2. समय से पहले प्रणाली:
    • कोर बैंकिंग से पहले बैंकिंग सेवाएँ मैन्युअल और धीमी थीं।
    • ग्राहक केवल अपनी होम ब्रांच से लेन-देन कर सकते थे।
  3. वर्तमान स्थिति:
    • लगभग सभी भारतीय बैंक कोर बैंकिंग प्रणाली का उपयोग करते हैं।
    • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह सेवा 2010 के बाद से पूरी तरह से लागू हो गई।

कोर बैंकिंग के प्रमुख कार्य (Key Functions of Core Banking)

  1. केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन (Centralized Data Management):
    • कोर बैंकिंग के माध्यम से बैंक का पूरा डेटा एक केंद्रीय डेटाबेस में संग्रहीत होता है।
  2. किसी भी शाखा से सेवा (Anywhere Banking):
    • ग्राहक अपनी होम ब्रांच के अलावा किसी भी शाखा से सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
    • उदाहरण: खाता बैलेंस चेक करना, फंड ट्रांसफर करना, और ऋण आवेदन करना।
  3. तेज़ लेन-देन (Faster Transactions):
    • कोर बैंकिंग रियल-टाइम लेन-देन को संभव बनाता है।
  4. बहु-चैनल सेवा (Multi-Channel Service):
    • बैंकिंग सेवाएँ एटीएम, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, और शाखाओं के माध्यम से उपलब्ध हैं।
  5. ग्राहक प्रबंधन (Customer Management):
    • ग्राहक के खातों और सेवाओं का डेटा एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध होता है।

कोर बैंकिंग के लाभ (Benefits of Core Banking)

  1. ग्राहक सुविधा में वृद्धि (Improved Customer Convenience):
    • ग्राहक किसी भी शाखा से सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
  2. डेटा का केंद्रीकरण (Centralized Data):
    • डेटा को केंद्रीकृत करके बैंकों के लिए रिकॉर्ड बनाए रखना और संचालन करना आसान हो गया है।
  3. प्रभावी जोखिम प्रबंधन (Effective Risk Management):
    • बैंकों को धोखाधड़ी और जोखिमों की पहचान करने में मदद करता है।
  4. प्रक्रिया में दक्षता (Operational Efficiency):
    • मैन्युअल प्रक्रियाओं की जगह स्वचालित प्रणाली ने समय और लागत की बचत की।
  5. तेज़ निर्णय लेना (Faster Decision Making):
    • बैंकों को डेटा एनालिटिक्स और रिपोर्टिंग के माध्यम से तेज़ी से निर्णय लेने में मदद मिलती है।
  6. डिजिटल सेवाओं का विस्तार (Expansion of Digital Services):
    • कोर बैंकिंग ने डिजिटल बैंकिंग सेवाओं जैसे UPI, NEFT, RTGS, और IMPS को संभव बनाया।

कोर बैंकिंग की चुनौतियाँ (Challenges of Core Banking)

  1. साइबर सुरक्षा (Cyber Security):
    • कोर बैंकिंग में डेटा केंद्रीकृत होने के कारण साइबर हमलों का जोखिम बढ़ता है।
    • उदाहरण: 2016 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में साइबर हमला।
  2. उच्च लागत (High Cost):
    • कोर बैंकिंग सिस्टम को स्थापित करने और बनाए रखने की लागत बहुत अधिक होती है।
  3. तकनीकी समस्याएँ (Technical Issues):
    • नेटवर्क की समस्याएँ या सॉफ़्टवेयर में गड़बड़ियाँ सेवाओं में बाधा डाल सकती हैं।
  4. कर्मचारियों को प्रशिक्षण (Employee Training):
    • कर्मचारियों को नई प्रणाली पर प्रशिक्षित करना एक बड़ी चुनौती है।

भारत में कोर बैंकिंग की स्थिति (Current Status of Core Banking in India)

  1. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks):
    • सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कोर बैंकिंग प्रणाली को अपनाया है।
    • उदाहरण: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में कोर बैंकिंग 2004 में लागू हुआ।
  2. निजी क्षेत्र के बैंक (Private Sector Banks):
    • एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और एक्सिस बैंक जैसे निजी बैंकों ने शुरुआत से ही कोर बैंकिंग को अपनाया।
  3. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks):
    • 2016 से सभी RRBs ने कोर बैंकिंग प्रणाली लागू कर दी।
  4. डिजिटल बैंकिंग का विकास (Growth of Digital Banking):
    • कोर बैंकिंग के कारण डिजिटल बैंकिंग का विस्तार हुआ।
    • 2023 तक, भारत में 60% से अधिक लेन-देन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हो रहे हैं।

महत्वपूर्ण आँकड़े (Key Facts and Figures)

  1. कोर बैंकिंग का कवरेज (Coverage of Core Banking):
    • 2023 तक, सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों ने कोर बैंकिंग लागू कर दी है।
    • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) में 100% कोर बैंकिंग लागू।
  2. डिजिटल लेन-देन:
    • UPI ने 2023 में ₹15 लाख करोड़ का लेन-देन किया, जो कोर बैंकिंग के बिना संभव नहीं था।
  3. नेटवर्क विस्तार:
    • कोर बैंकिंग के कारण भारत में बैंक शाखाओं की संख्या 1.6 लाख से अधिक हो गई है।
  4. तकनीकी निवेश:
    • 2022-23 में भारतीय बैंकों ने कोर बैंकिंग सिस्टम पर ₹15,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया।

कोर बैंकिंग का भविष्य (Future of Core Banking)

  1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग:
    • कोर बैंकिंग में AI और मशीन लर्निंग का उपयोग ग्राहक अनुभव को और बेहतर करेगा।
  2. क्लाउड आधारित कोर बैंकिंग:
    • बैंकिंग सिस्टम को क्लाउड पर शिफ्ट करना लागत कम करेगा और डेटा एक्सेस तेज़ बनाएगा।
  3. ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में विस्तार:
    • कोर बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग का विस्तार।
  4. ब्लॉकचेन तकनीक:
    • कोर बैंकिंग में ब्लॉकचेन के उपयोग से डेटा सुरक्षा और तेज़ लेन-देन संभव होगा।

कोर बैंकिंग ने भारतीय बैंकिंग प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए हैं। यह प्रणाली ग्राहकों और बैंकों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हुई है। कोर बैंकिंग के माध्यम से बैंकिंग सेवाएँ अब तेज़, पारदर्शी, और सुलभ हो गई हैं। हालाँकि साइबर सुरक्षा और तकनीकी अपग्रेडेशन जैसी चुनौतियाँ हैं, लेकिन तकनीकी विकास और डिजिटलाइजेशन के साथ, कोर बैंकिंग भविष्य में और अधिक कुशल और व्यापक होगी।

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