परिभाषा (Definition)
साख नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अर्थव्यवस्था में साख (Credit) और मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
- इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति की कमी (Deflation) के बीच संतुलन बनाना और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।
साख नियंत्रण के साधन (Instruments of Credit Control)
RBI साख नियंत्रण के लिए दो प्रकार के उपकरणों का उपयोग करता है:
- परिमाणात्मक साधन (Quantitative Tools): मुद्रा की मात्रा को प्रभावित करने के लिए।
- रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR, SLR।
- गुणात्मक साधन (Qualitative Tools): साख वितरण को प्रभावित करने के लिए।
- नैतिक दबाव, मार्जिन आवश्यकताएँ।
रेपो रेट (Repo Rate)
परिभाषा (Definition)
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI अल्पकालिक अवधि के लिए वाणिज्यिक बैंकों को नकदी उधार देता है।
- बैंकों को यह उधार सरकार की प्रतिभूतियाँ (Government Securities) गिरवी रखकर दिया जाता है।
विशेषताएँ (Features)
- मुद्रास्फीति नियंत्रण:
- रेपो रेट बढ़ने से बैंकों के लिए उधारी महँगी हो जाती है, जिससे बाजार में नकदी की कमी होती है और मुद्रास्फीति नियंत्रित होती है।
- अल्पकालिक तरलता (Short-Term Liquidity):
- यह बैंकों को नकदी संकट के समय राहत प्रदान करता है।
- ब्याज दरों पर प्रभाव:
- रेपो रेट में बदलाव से बचत और ऋण ब्याज दरें प्रभावित होती हैं।
वर्तमान स्थिति (Current Status)
- रेपो रेट (2023): 6.50%।
उदाहरण
- यदि बैंक को ₹100 करोड़ की अल्पकालिक धनराशि की आवश्यकता है और रेपो रेट 6.50% है, तो बैंक को ₹6.50 करोड़ ब्याज के रूप में देना होगा।
रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)
परिभाषा (Definition)
रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी अतिरिक्त नकदी भारतीय रिजर्व बैंक के पास जमा करते हैं और उस पर ब्याज प्राप्त करते हैं।
विशेषताएँ (Features)
- नकदी की निकासी:
- RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ाकर बाजार से अतिरिक्त नकदी को हटा सकता है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण:
- उच्च रिवर्स रेपो रेट बैंकों को अधिक नकदी RBI के पास रखने के लिए प्रेरित करता है, जिससे बाजार में नकदी की कमी होती है।
- तरलता प्रबंधन:
- यह RBI को अर्थव्यवस्था में तरलता को संतुलित करने में मदद करता है।
वर्तमान स्थिति (Current Status)
- रिवर्स रेपो रेट (2023): 3.35%।
उदाहरण
- यदि बैंक के पास ₹50 करोड़ की अतिरिक्त नकदी है और रिवर्स रेपो रेट 3.35% है, तो बैंक को ₹1.675 करोड़ ब्याज मिलेगा।
रेपो और रिवर्स रेपो रेट के बीच अंतर (Difference Between Repo and Reverse Repo Rates)
पैरामीटर | रेपो रेट (Repo Rate) | रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) |
---|---|---|
परिभाषा | RBI द्वारा बैंकों को उधार देने की दर। | बैंकों द्वारा RBI को जमा करने की दर। |
उद्देश्य | बैंकों को अल्पकालिक धनराशि प्रदान करना। | बाजार से अतिरिक्त नकदी को हटाना। |
ब्याज प्राप्तकर्ता | RBI को ब्याज मिलता है। | बैंक को ब्याज मिलता है। |
मुद्रास्फीति पर प्रभाव | बढ़ने से मुद्रास्फीति घटती है। | बढ़ने से नकदी की कमी होती है। |
वर्तमान दर (2023) | 6.50%। | 3.35%। |
रेपो और रिवर्स रेपो रेट का प्रभाव (Impact of Repo and Reverse Repo Rates)
- मुद्रास्फीति पर प्रभाव:
- उच्च रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हैं।
- ब्याज दरों पर प्रभाव:
- रेपो रेट में वृद्धि से ऋण महँगा हो जाता है।
- आर्थिक विकास:
- रेपो रेट में कमी से बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ता है, जिससे निवेश और विकास को बढ़ावा मिलता है।
- तरलता प्रबंधन:
- दोनों दरों का उपयोग अर्थव्यवस्था में नकदी की उपलब्धता को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
रेपो और रिवर्स रेपो रेट साख नियंत्रण के महत्वपूर्ण उपकरण हैं। ये दरें आर्थिक स्थिरता बनाए रखने, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, और बैंकों के तरलता प्रबंधन में सहायक होती हैं। RBI इनका उपयोग करके देश की अर्थव्यवस्था को विभिन्न चरणों में संतुलित रखता है।