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अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों का वर्गीकरण

परिचय: अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को समझने के लिए, उसमें होने वाली आर्थिक गतिविधियों को वर्गीकृत करना आवश्यक है। इन गतिविधियों को मोटे तौर पर कुछ समूहों में बांटा जाता है, जिन्हें अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक (Sectors of the Economy) कहा जाता है। यह वर्गीकरण हमें यह जानने में मदद करता है कि देश की आय (GDP) में किस क्षेत्र का कितना योगदान है और कितने लोग किस प्रकार के कार्यों में लगे हुए हैं।

आर्थिक गतिविधियों की प्रकृति के आधार पर, अर्थव्यवस्था को पारंपरिक रूप से तीन मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र। आधुनिक वर्गीकरण में, ज्ञान-आधारित गतिविधियों को शामिल करने के लिए चतुर्थ और पंचम क्षेत्र को भी जोड़ा गया है।

क्षेत्रकों का वर्गीकरण

1. प्राथमिक क्षेत्रक (Primary Sector)

जब हम प्राकृतिक संसाधनों का सीधा उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं, तो यह गतिविधि प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत आती है। इसे ‘कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र’ भी कहा जाता है क्योंकि अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद हमें कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन और वनों से प्राप्त होते हैं। यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों के लिए कच्चे माल का आधार प्रदान करता है।

  • मुख्य विशेषता: प्रकृति पर प्रत्यक्ष निर्भरता।
  • उदाहरण: कृषि, खनन, मत्स्य पालन, वानिकी, पशुपालन।
  • महत्व: यह भारतीय आबादी के एक बड़े हिस्से को रोजगार प्रदान करता है और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

2. द्वितीयक क्षेत्रक (Secondary Sector)

द्वितीयक क्षेत्र में वे गतिविधियाँ शामिल होती हैं जिनमें प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण (Manufacturing) प्रक्रियाओं के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। इसे ‘औद्योगिक क्षेत्र’ (Industrial Sector) भी कहा जाता है।

  • मुख्य विशेषता: कच्चे माल का मूल्यवर्धन (Value Addition)।
  • उदाहरण: कपास से कपड़ा बनाना, गन्ने से चीनी बनाना, लौह अयस्क से स्टील बनाना।
  • महत्व: यह क्षेत्र देश के औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।

3. तृतीयक क्षेत्रक (Tertiary Sector)

तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वयं वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहायता या सहयोग करती हैं। इसलिए इस क्षेत्र को ‘सेवा क्षेत्र’ (Service Sector) भी कहा जाता है।

  • मुख्य विशेषता: वस्तुओं का उत्पादन नहीं, बल्कि सेवाओं का सृजन।
  • उदाहरण: परिवहन, भंडारण, बैंकिंग, संचार, व्यापार, शिक्षक, डॉक्टर, वकील आदि।
  • महत्व: वर्तमान में, भारतीय GDP में सबसे बड़ा योगदान इसी क्षेत्र का है।

4. चतुर्थ क्षेत्रक (Quaternary Sector)

यह तृतीयक क्षेत्र का ही एक उन्नत रूप है, जो ज्ञान-आधारित सेवाओं (knowledge-based services) पर केंद्रित है। इसमें मुख्य रूप से शोध और विकास (R&D), सूचना प्रसंस्करण, और ज्ञान सृजन जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं।

  • मुख्य विशेषता: बौद्धिक और नवाचारी गतिविधियों पर आधारित।
  • उदाहरण: सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा साइंस, शोध संस्थान (जैसे ISRO, DRDO), वित्तीय योजनाकार, और विशेष विश्लेषणात्मक कार्य।
  • महत्व: यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।

5. पंचम क्षेत्रक (Quinary Sector)

पंचम क्षेत्रक में अर्थव्यवस्था के सर्वोच्च स्तर के निर्णय-निर्माता शामिल होते हैं। इन्हें ‘गोल्ड कॉलर’ प्रोफेशनल्स भी कहा जाता है। इनके निर्णय समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

  • मुख्य विशेषता: उच्च स्तरीय नीति-निर्धारण और निर्णय-निर्माण।
  • उदाहरण: सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री, बड़ी कंपनियों के CEO और प्रबंध निदेशक (MD), शीर्ष वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के कुलपति, और न्यायपालिका के शीर्ष पद।
  • महत्व: यह क्षेत्र देश और संगठनों की दिशा और रणनीति निर्धारित करता है।

अन्य महत्वपूर्ण वर्गीकरण

आर्थिक गतिविधियों को रोजगार की शर्तों और स्वामित्व के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है।

A. संगठित और असंगठित क्षेत्रक (Organized and Unorganized Sectors)

  • संगठित क्षेत्रक: इसमें वे उद्यम आते हैं जहाँ रोजगार की शर्तें नियमित होती हैं और कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा (जैसे PF, बीमा) का लाभ मिलता है।
  • असंगठित क्षेत्रक: इसमें वे छोटी और बिखरी हुई इकाइयाँ आती हैं जहाँ रोजगार अनियमित और असुरक्षित होता है और कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलता।

B. सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक (Public and Private Sectors)

  • सार्वजनिक क्षेत्रक: इसमें अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है। उदाहरण: भारतीय रेलवे, BSNL।
  • निजी क्षेत्रक: इसमें परिसंपत्तियों का स्वामित्व निजी व्यक्तियों या कंपनियों के हाथों में होता है। उदाहरण: रिलायंस, इंफोसिस।

अभ्यास प्रश्न (MCQs)

1. एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर जो एक बैंकिंग फर्म के लिए एक नया मोबाइल एप्लिकेशन विकसित कर रहा है, उसकी गतिविधि को किस क्षेत्र में सबसे सटीक रूप से वर्गीकृत किया जाएगा?
  • (a) तृतीयक क्षेत्रक
  • (b) द्वितीयक क्षेत्रक
  • (c) पंचम क्षेत्रक
  • (d) चतुर्थ क्षेत्रक
2. निम्नलिखित में से कौन सा संयोजन सही ढंग से सुमेलित नहीं है?
  • (a) मछुआरा – प्राथमिक क्षेत्रक
  • (b) बैंक क्लर्क – तृतीयक क्षेत्रक
  • (c) कंपनी का CEO – पंचम क्षेत्रक
  • (d) फैक्ट्री मजदूर – चतुर्थ क्षेत्रक
3. एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकसित अर्थव्यवस्था में बदलने की प्रक्रिया में, आमतौर पर GDP में क्षेत्रों के योगदान का सही क्रम क्या होता है?
  • (a) तृतीयक का प्रभुत्व → द्वितीयक का प्रभुत्व → प्राथमिक का प्रभुत्व
  • (b) द्वितीयक का प्रभुत्व → प्राथमिक का प्रभुत्व → तृतीयक का प्रभुत्व
  • (c) प्राथमिक का प्रभुत्व → द्वितीयक का प्रभुत्व → तृतीयक का प्रभुत्व
  • (d) द्वितीयक का प्रभुत्व → तृतीयक का प्रभुत्व → प्राथमिक का प्रभुत्व
4. एक रेस्तरां जो खेत से सब्जियां खरीदता है, उन्हें पकाकर भोजन तैयार करता है, और ग्राहकों को परोसता है, उसकी गतिविधियाँ मुख्य रूप से किन क्षेत्रों का संयोजन हैं?
  • (a) केवल प्राथमिक और द्वितीयक
  • (b) केवल तृतीयक
  • (c) द्वितीयक और तृतीयक
  • (d) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक
5. ‘असंगठित क्षेत्र’ की सबसे मुख्य विशेषता क्या है, जो इसे ‘संगठित क्षेत्र’ से अलग करती है?
  • (a) यह केवल ग्रामीण क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • (b) इसमें केवल निजी स्वामित्व वाले उद्यम शामिल हैं।
  • (c) इसमें काम करने वालों को कोई लाभ नहीं मिलता है।
  • (d) इसमें सामाजिक सुरक्षा लाभों और नियमित रोजगार का अभाव होता है।
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