मुद्रा और पूंजी बाजार के साधन
वित्तीय बाजार में धन जुटाने और निवेश करने के लिए विभिन्न प्रकार के साधनों का उपयोग किया जाता है। इन्हें मुख्य रूप से उनकी परिपक्वता अवधि के आधार पर मुद्रा बाजार (अल्पकालिक) और पूंजी बाजार (दीर्घकालिक) के साधनों में वर्गीकृत किया जाता है।
1. परक्राम्य लिखत (Negotiable Instruments)
ये वे लिखित दस्तावेज़ हैं जो एक निश्चित राशि के भुगतान का वादा या आदेश देते हैं। इन्हें नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत विनियमित किया जाता है।
विनिमय पत्र (Bill of Exchange)
यह एक लिखित आदेश है, जिसमें एक व्यक्ति (Drawer) दूसरे व्यक्ति (Drawee) को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है।
वचन पत्र (Promissory Note)
यह एक लिखित वचन है, जिसमें एक व्यक्ति (Maker) दूसरे व्यक्ति (Payee) को एक निश्चित राशि का भुगतान करने का वादा करता है।
2. मुद्रा बाजार के साधन
ट्रेजरी बिल (Treasury Bills – T-Bills)
ये भारत सरकार द्वारा अपनी अल्पकालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी किए गए साधन हैं। इन्हें RBI द्वारा नीलाम किया जाता है। ये शून्य-कूपन बॉन्ड होते हैं, जिन्हें छूट पर जारी किया जाता है और अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है।
- अवधि: 91-दिन, 182-दिन, और 364-दिन।
3. पूंजी बाजार के साधन (बॉन्ड)
मसाला बॉन्ड (Masala Bonds)
ये वे बॉन्ड हैं जो भारतीय संस्थाओं द्वारा विदेशी बाजारों में जारी किए जाते हैं, लेकिन ये भारतीय रुपये में अंकित होते हैं। इसका मतलब है कि मुद्रा विनिमय दर का जोखिम निवेशक पर होता है, न कि जारीकर्ता पर।
ग्रीन बॉन्ड (Green Bonds)
यह एक प्रकार का ऋण साधन है जिससे जुटाई गई धनराशि का उपयोग विशेष रूप से पर्यावरण के अनुकूल और जलवायु-संबंधी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाता है। उदाहरण: नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन, हरित भवन।
गिल्ट-एज्ड बॉन्ड (Gilt-Edged Bonds)
यह सरकारी प्रतिभूतियों (G-Secs) के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है। ये केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं। इन्हें लगभग शून्य डिफॉल्ट जोखिम के कारण सबसे सुरक्षित ऋण साधन माना जाता है।
जंक बॉन्ड (Junk Bonds)
इन्हें ‘हाई-यील्ड बॉन्ड’ भी कहा जाता है। ये उन कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं जिनकी क्रेडिट रेटिंग कम होती है। इनमें डिफॉल्ट का जोखिम अधिक होता है, इसलिए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इन पर बहुत अधिक ब्याज दर दी जाती है।